मनीष जायसवाल, बुरहानपुर। मध्य प्रदेश में भले ही सरकार शिक्षा के स्तर के उच्च बनाने के लाख दावे करती रहे। लेकिन इन दावों की हकीकत कुछ और ही है, जो ग्रामीण क्षेत्रों मे देखी जा सकती है। यहां आदिवासी इलाको मे पढ़ने वाले बच्चे भी हैं और उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक भी, लेकिन इन बच्चो को बैठकर पढने के लिए भवनों का आभाव है। जिन जगहों पर भवन बने हैं, वह इतने जर्जर हैं जहां बच्चों को भेजने के लिए पालक तैयार नहीं हैं। जिसके चलते कई ऐसे आदिवासी बच्चे हैं जो स्कूल तक नहीं गए हैं। 

ऐसा ही एक मामला बुरहानपुर जिले के बुरहानपुर विकास खंड मे देखा गया, जहां परतकुंडिया गांव के मलगांव फालिया में एक साल पहले से प्राथमिक शाला भवन की छत जर्जर होने के चलते गिराई जा चुकी है। लेकिन उसका नवीनीकरण आज तक नहीं किया गया। जिसके चलते यहां कई बच्चों ने तो स्कूल आना ही बंद कर दिया है। जो बच्चे अभी स्कूल आते भी हैं उन्हे टपरों में बिठाकर पढाने के लिए शिक्षक मजबूर हैं। 

बुरहानपुर जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर बसे झिरपाजरिया गांव के मलगांव फालिया में स्कूलों की स्थिति बद से बत्तर हालत में पहुंच चुकी है। यहां शिक्षा विभाग की 1995 में बनाई प्राथमिक शाला देखरेख के अभाव में गिरने की कगार पर थी। बरसात में टपकते पानी और लगातार नीचे झुकती छतों को देखकर विभाग ने स्कूल के छत को 15 महीने पहले गिरा दिया था। जिसके बाद से आज तक न ही शिक्षा विभाग ने और न ही ग्राम पंचायत ने इसकी सुध ली है। 

नवीनीकरण के नाम पर यहां एक साल पहले ग्राम पंचायत ने टीन की चादर भिजवा दी थी, जिससे स्कूल भवन की छत को ढका जा सके। लेकिन विडंबना देखिए, एक साल बीत जाने के बाद भी इस सामग्री का उपयोग नहीं किया जा सका। जिसके चलते एक साल से यहां बच्चों को स्कूल के पास बने झोपड़ी मे पढ़ने को मजबूर होना पड़ रहा है। 

चारों ओर से झुकती दीवार पर शिक्षा विभाग टीन की छत डालने का प्रस्ताव जारी किया गया, जिससे पालक नाखुश हैं। उनका कहना है कि छत की तरह स्कूल की दीवारें भी जर्जर हो चुकी है, जो कभी भी गिर सकती है। इससे बच्चों की जान को खतरा है। इसलिए उन्हें स्कूल नहीं भेज रहे।

स्कूल मे दो शिक्षक पदस्थ हैं, लेकिन लंबे समय से महज एक ही महिला शिक्षक स्कूल पहुंच रही है। जो बार-बार विभागीय अधिकारियों को इस संबंध में मौखिक और लिखित शिकायत कर चुकी है। जिससे अब वह भी बच्चों को टपरों मे ही पढ़ाना आखरी विकल्प समझ रही है।

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