जांजगीर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित पोराबाई प्रकरण में जिला न्यायालय ने 12 साल बाद आज एक बड़ा फैसला सुनाया है. इसए मामले के सभी आरोपियों को कोर्ट ने दोषमुक्त करार दे दिया है. साल 2008 में घटित पोराबाई प्रकरण स्कूल शिक्षा विभाग में हुए सबसे बड़े फर्जीवाड़ाकांड में से एक था. इस प्रकरण में 12 वीं बोर्ड में पोरा बाई नामक जांजगीर जिले की एक लड़की को टॉपर घोषित कर दिया गया था. मामले में जाँच और खुलासे के बाद कुल 9 लोगों को आरोपी बनाया गया था.
आइये आपको बताते हैं कि क्या था पूरा मामला
साल 2008 में माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से बारहवीं बोर्ड का परिणाम जारी किया गया. इस परिणाम में जांजगीर-चांपा जिले के शासकीय स्कूल बिर्रा की छात्रा पोरा बाई प्रदेश भर में टॉपर चुनी गई. परीक्षा परिणाम आने के बाद गाँव की एक साधरण लड़की की सफलता की चर्चा प्रदेश के साथ देशभर में होने लगी.
पोरा बाई की यह सफलता ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाई और जल्द इस मामले में माशिमं की ओर एक जाँच बैठा दी गई. जाँच होने के बाद कई खुलासे होते चले गए. इन खुलासों से पता चला कि पोरा बाई का प्रवेश ही गलत ढंग से हुआ था. पोरा बाई की उत्तरपुस्तिका बदली हुई थी. पोरा बाई के नाम से जमा उत्तर पुस्तिका असल उसकी थी ही नहीं.
माशिमं के अधिकारियों ने जाँच प्रतिवेदन के आधार 9 लोगों को आरोपी बनाया. इनमें पोरा बाई, प्राचार्य एसएल जाटव, केंद्राध्यक्ष फुलसाय, सहायक केंद्राध्यक्ष बालचंद भारती सहित 9 लोग शामिल थे. इनके खिलाफ धारा 420, 467, 471, 120बी व परीक्षा अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया गया था.