सुधीर दंडोतिया, भोपाल। देश में मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के शपथ के साथ ही मोदी कैबिनेट में किसको जगह मिलेगी ? सबकी निगाह इसी पर है…चूंकि इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में एनडीए के घटक दलों को ज्यादा स्थान दिए जाने की संभावनाएं हैं। ऐसे में मध्य प्रदेश से मंत्री पद का कोटा कम हो सकता है। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में प्रदेश के 5 मंत्रियों को स्थान मिला था। लेकिन अब संभावना है कि जोरदार परिणाम देने के बाद भी मध्य प्रदेश को केंद्रीय मंत्रिमंडल में अधिकतम 4 पद मिल सकते हैं। इसमें भी जातिगत और भौगोलिक संतुलन बनाने पर पार्टी ध्यान देगी। संभावना है कि नई सरकार में आदिवासी वर्ग से नए चेहरे को आगे बढ़ाया जा सकता है। वजह यह है कि पार्टी आदिवासी वर्ग में अपनी जड़ें गहरी करने में जुटी है।
शिवराज सिंह को अहम जिम्मेदारी
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का उपयोग संगठन में किया जाएगा या फिर सत्ता में इस पर निर्णय होना भी बाकी है। शिवराज सिंह की राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा ओहदा मिलने की संभावना प्रबल दिखने लगी हैं। उनके समर्थक ज्यादातर अनुमान यही लगा रहे हैं कि शिवराज को मोदी कैबिनेट में अहम विभाग मिलेगा।
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वीडी शर्मा के केंद्र में जाने की चर्चा
मध्य प्रदेश में बीजेपी की जीत में लगातार सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाले संगठन के मुखिया वीडी शर्मा को केंद्र में अहम जिम्मेदारी मिल सकती है। माना जा रहा है उन्हें संगठन में बड़ी भूमिका मिलेगी या फिर केंद्र बड़े विभाग का मंत्री बनाया जा सकता है। VD के अध्यक्ष बनने के बाद मध्य प्रदेश में उनकी सफलता का स्ट्राइक रेट 100% रहा है।
कुलस्ते की जगह नया चेहरा, सिंधिया बने रहेंगे मंत्री
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 से पहले नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल भी केंद्रीय मंत्री थे। इनके अलावा फग्गन सिंह कुलस्ते, वीरेंद्र खटीक और ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र सरकार में अब तक मंत्री हैं। इस बार संभावना है कि कुलस्ते की जगह किसी नए आदिवासी चेहरे को मोदी सरकार में अवसर मिले। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया का मंत्री बनना तय माना जा रहा है।
महिला और आदिवासी नेतृत्व प्राथमिकता
मध्य प्रदेश से तीन आदिवासी महिलाएं लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में पहुंची हैं। इनमें शहडोल से हिमाद्री सिंह और धार से सावित्री ठाकुर, इसके अलावा अनीता नागर चौहान शामिल हैं। इनमें हिमाद्री या अनीता को मौका दिया जा सकता है। पार्टी नेताओं का मानना है कि आदिवासी वर्ग में अब नया नेतृत्व तैयार करना आवश्यक है। इसलिए किसी महिला को मंत्री बनाने से दो बात बन जाएगी। पहला आदिवासी वर्ग में नया नेतृत्व खड़ा कर लिया जाएगा और दूसरा महिला को कोटा भी बढ़ जाएगा।
दलित वर्ग से खटीक की जगह नया नाम
केंद्र में लंबे समय तक मंत्री रहे थावरचंद गहलोत के बाद से वीरेंद्र खटीक को छोड़कर मध्य प्रदेश से कोई भी दलित चेहरा केंद्रीय कैबिनेट में नहीं है। ऐसे में अनुसूचित जाति वर्ग से महेंद्र सिंह सोलंकी को भी स्थान देकर नई पीढ़ी को सामने लाया जा सकता है। सोलंकी न्यायिक सेवा में रहे हैं, ऐसे में उन्हें प्रशासनिक कामकाज का अनुभव भी है।
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