रायपुर. राजधानी में छत्तीसगढ़ संयुक्त प्रगतिशील कर्मचारी महासंघ नियमितिकरण की मांग को लेकर आक्रोश रैली अभियान की शुरुआत कर दी है. कर्मचारी महासंघ अपनी नियमितिकरण की मांग को लेकर अनियमित कर्मचारियों ने पोस्टर अभियान चलाना शुरु कर दिया है. इस अभियान में कर्मचारी जगह-जगह पर गाड़ियों, दीवारों में पोस्टर लगा रहे है और हाथों में पोस्टर रखकर नियमित करने की मांग कर रहे है. कर्मचारियों ने पोस्टर में लिखा है कि ‘मेरा वोट उसी को जो नियमित करे मुझको’.
प्रदेशभर में अनियमित कर्मचारी एक लाख 80 हजार है. जो कि आज पूरे शहर में आक्रोश रैली के तहत सभी जगहों पर गाड़ियों और दीवारों में अब तक 10 हजार पोस्टर लगा चुके हैं. ऐसा कर्मचारी इसलिए कर रहे है क्योंकि हड़ताल सामाप्त करने के लिए राजनांदगांव पूर्व सांसद औऱ वर्तमान महापौर मधुसूदन यादव ने कर्मचारियों को आश्वासन देकर हड़ताल खत्म करवा दिया था. और कहा था कि मुख्यमंत्री आपकी मांगों को लेकर विचार करेंगे. लेकिन उसके बाद भी इनकी मांगों पर मुहर नहीं लगाई गई. जिससे कर्मचारी आक्रोश में हैं.
छत्तीसगढ़ संयुक्त प्रगतिशील कर्मचारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष अनिल देवांगन ने लल्लूराम डॉट कॉम से हुई बातचीत में बताया कि अनियमित कर्मचारी 16 अगस्त से 7 अगस्त तक अपनी नियमितिकरण की मांग को लेकर हड़ताल पर थे. कई दफा विरोध प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री से भी मुलाकात हुई. इनके द्वारा आश्वासन दिया गया. लेकिन मांगों को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. जितनी बार कर्मचारियों द्वारा विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी की जाती है, तो मधुसूदन यादव का फोन आ जाता है. वो कहते है कि मुख्यमंत्री आपसे मुलाकात करने चाहते है. आपकी मांगों पर विचार करना चाहते है.
उन्होंने कहा कि यह सिलसिला यही नहीं रुका जब भी हम कुछ करना चाहते है तो फोन किया जाता है और ऐसा ही आश्वासन देकर विचार करने की बात कह दिया जाता है. लेकिन अभी तक मांग पूरा नहीं किया गया. उन्होंने बताया कि हड़ताल के दौरान 140 कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया, लेकिन अब तक उन्हें बहाली नहीं किया गया. उनका कहना है कि आचार संहिता से पहले हमारी नियमतिकरण की मांग को पूरा नहीं किया, तो इस बार दूसरी सरकार भी चुन सकते है.
उन्होंने कहा कि जो हमें नियमित करने का आश्वासन औऱ लिखित के साथ घोषणा करेगा. उसी को हम वोट देंगें. साथ ही ये भी कहा कि बीजेपी सरकार नियमितिकरण नहीं करती है तो बीजेपी को वोट नहीं देंगे. बाकी मौजूदा अन्य पार्टी को वोट कर देंगे. इतनी ही नहीं मांग पूरी नहीं होने पर अनिश्चितकालिन हड़ताल पर चले जाने की चेतावनी भी दी है. अब देखना यह होगा कि सरकार लंबे समय से चल रहे इनकी मांगों पर मुहर लगाती है या नहीं. या फिर अनियमित कर्मचारी किसी अन्य पार्टी को वोट देने के लिए बाध्य होंगे.