अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की सफलता के लिए उनके तमिलनाडु के पैतृक गांव थुलसेंद्रापुरम में विशेष पूजा और प्रार्थना की गई. यह गांव उस समय चर्चा में आया जब 2020 के चुनावों के दौरान जो बाइडेन ने कमला को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया. हैरिस की ऐतिहासिक जीत से गांववासी काफी उत्साहित हैं, क्योंकि वह अमेरिका की पहली महिला, पहली अफ्रीकी-अमेरिकी और पहली एशियाई-अमेरिकी उपराष्ट्रपति बनी हैं.
गांव के प्रमुख मंदिर में विशेष पूजा आयोजित की गई, जहां गांव के लोगों ने उनकी जीत के लिए अनुष्ठान किए. पूरे गांव में कमला हैरिस के बड़े-बड़े पोस्टर और बैनर लगाए गए, जिनमें उनकी सफलता के लिए शुभकामनाएं दी गईं. ग्रामीणों ने उन्हें शुभकामना पत्र भी भेजे. गांव के लोगों का कहना है कि यदि हैरिस चुनाव में विजयी होती हैं, तो गरीबों को मुफ्त भोजन करवाया जाएगा.
कमला हैरिस की मां, श्यामला गोपालन, जो एक कैंसर शोधकर्ता थीं, तमिलनाडु से थीं. श्यामला 19 साल की उम्र में अमेरिका गई थीं और वहीं उन्होंने अपने जीवन में कई उपलब्धियां हासिल कीं. उन्होंने दोनों बेटियों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं के महत्व से अवगत कराया. कमला अपनी मां के इस प्रभाव को गर्व से याद करती हैं.
हैरिस की भारतीय जड़ों के प्रति उनके लगाव का एक उदाहरण तब देखने को मिला, जब अपनी मां की मृत्यु के बाद वे अस्थियां विसर्जित करने के लिए भारतीय रीति-रिवाज के अनुसार अपनी बहन के साथ चेन्नई आईं थीं. उन्होंने हमेशा से अपने भारतीय और अफ्रीकी-अमेरिकी मूल को सम्मान दिया है और इसे अपनी पहचान का अभिन्न हिस्सा माना है.
कमला हैरिस का गांव थुलसेंद्रापुरम उनके ऐतिहासिक उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए गर्वित है. यहां के लोग उनकी सफलता को अपनी संस्कृति और मूल्यों की एक बड़ी जीत मानते हैं.
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