West Bengal Bans Potato Export: झारखंड (Jharkhand) के सीएम की शपथ लेने के चार दिन के अंदर ही हेमंत सोरेन (Hemant Soren) को ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) से बड़ा टेंशन मिला है। पश्चिम बंगाल (West Bengal) की ममता बनर्जी सरकार ने झारखंड समेत कई राज्यों में आलू निर्यात पर रोक लगा दी है। इससे झारखंड में आलू संकट (Potato Crisis) गहराता जा रहा है। इतना ही नहीं, बंगाल पुलिस प्रशासन ने सीमावर्ती थानों पर चौकियां स्थापित कर दी हैं, ताकि आलू से लोड ट्रक इन राज्यों में प्रवेश न कर सकें।

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इधर बॉर्डर पर आलू खेप रोके जाने की वजह से झारखंड में आलू के दामों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। बीते 5 दिनों से झारखंड में आलू नहीं आ रहा है। इससे कीमत में अब तक 5 रुपए से अधिक की बढ़ोतरी हो चुकी है। व्यापारियों की माने तो अगर बंगाल ने आलू पर रोक नहीं हटाया तो कीमत और बढ़ सकती है। अभी पूरे राज्य में करीब 35 रुपए किलो आलू बिक रहा है।

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दरअसल, पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने राज्य में स्टॉक को बनाए रखने और कीमत को नियंत्रण करने के लिए दूसरे राज्यों में आलू की सप्लाई पर रोक लगा दी है। गहराते संकट पर CM हेमंत सोरेन ने मुख्य सचिव अलका तिवारी को जल्द से जल्द समाधान निकालने का निर्देश दिया है।

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इधर सीएम हेमंत सोरेन एक्शन में आ गए और उन्होंने तत्काल इसे सुलझाने के निर्देश दिए हैं। झारखंड सीएमओ ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बंगाल बॉर्डर पर आलू के वाहन रोकने की खबरों पर संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव को मामला सुलझाने का निर्देश दिया है। झारखंड की मुख्य सचिव की ओर से मामले में हस्तक्षेप के बाद पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव ने कमेटी बनाकर मामले के जल्द निष्पादन का भरोसा दिया है।

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झारखंड में आलू 500 रुपए क्विंटल महंगा हुआ

बंगाल की ओर से बॉर्डर पर आलू खेप रोके जाने की वजह से झारखंड में आलू के दामो में बढ़ोतरी देखने को मिली है। आलू करीब 500 रुपए क्विंटल महंगा हो गया है। इस मसले को लेकर झारखंड बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि आलू की बढ़ती कीमतों की वजह से आमजन परेशान है। मुख्यमंत्री इस स्थिति से निपटने के लिए बंगाल सरकार से बातचीत करें। वहीं, पश्चिम बंगाल के आलू व्यापारियों ने चेतावनी दी है कि अगर राज्य सरकार दूसरे राज्यों को आलू बेचने पर बैन नहीं हटाती है तो वे हड़ताल करने पर मजबूर हो जाएंगे।

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बंगाल पूरी करता है 60% जरूरत

पश्चिम बंगाल झारखंड की आलू की कुल जरूरतों का 60% मांग पूरा करता है। जबकि, राज्य में उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पंजाब और स्थानीय उत्पादन से बची हुई जरूरत पूरी होती है। विभिन्न जिलों के बाजार समिति से मिली जानकारी के मुताबिक, राज्य के जिलों में औसतन आठ से 10 ट्रक आलू की जरूरत होती है। एक ट्रक में 20 टन के करीब आलू होता है।एक अनुमान के मुताबिक, झारखंड में 7,33,770 टन आलू की सालाना पैदावार होती है। जबकि, खपत 30 लाख टन है। झारखंड में रांची, पूर्वी सिंहभूम और हजारीबाग प्रमुख आलू उत्पादक जिले हैं। ऐसे में पूरे साल राज्य में आलू की जरूरत को बंगाल के साथ उत्तर प्रदेश पूरा करता है। थोड़ा बहुत आलू पंजाब से भी झारखंड आता है।

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