बिहाइंड द कर्टेन
हाल फिलहाल की बात है. चार सौ बीसी के एक मामले में नागपुर की एक कंपनी के डायरेक्टर तक छत्तीसगढ़ पुलिस पहुंच गई. टीम गिरफ्तारी करने गई थी. कंपनी के डायरेक्टर ने एक फोन काॅल करने की इजाजत मांगी. पुलिस इस शर्त पर राजी हुई कि एक दफे छत्तीसगढ़ की सीमा में प्रवेश कर लिया जाए, फोन पर बात करने की अनुमति दे दी जाएगी. पुलिस ने वादा भी निभाया. महाराष्ट्र छोड़ गाड़ी जब छत्तीसगढ़ में दाखिल हुई, आरोपी को फोन करने दे दिया गया. बताते हैं कि आरोपी ने सीधे एक केंद्रीय मंत्री के प्राइवेट नंबर पर फोन मिलाया और बात कर गिरफ्तारी का पूरा ब्यौरा दिया. बस फिर क्या था, इसके बाद जो हुआ बिहाइंड द कर्टेन हुआ. कहते हैं कि केंद्रीय मंत्री ने सत्ता के एक बड़े ताकतवर नेता से फोन पर बातचीत की. इस एक फोन ने चार सौ बीसी के आरोपी की सारी परेशानी हल कर दी. आरोपी गिरफ्तारी से बच गया. चूंकि पुलिस के साथ-साथ आरोपी की गाड़ियां पीछे-पीछे आ रही थी, लिहाजा पुलिस ने उसे छोड़ने की बात कही. मगर अब तक तो आरोपी गदगदा गया था. उसने कहा कि अब रायपुर घूम कर ही जाएगा. सुनते हैं कि आरोपी ने पुलिस के एक दफ्तर में एक आला अधिकारी के साथ बैठकर ना केवल चाय की चुस्कियां ली, बल्कि केंद्रीय मंत्री से बचपन की अपनी दोस्ती के कुछ किस्से भी सुना गया. अब लाख टके का सवाल. यह घटना क्या बताती है? दरअसल ये घटना कहती है कि आप अव्वल दर्जे के चोर हैं, माफिया या डकैत हैं, लेकिन आपकी पैठ बहुत ऊपर तक है, तो आपका बाल भी बांका नहीं हो सकता. आपके गिरेबान तक पुलिस हाथ डालेगी, मगर बाद में अपने हाथों से चाय पिलाकर विदाई देगी.
स्मार्ट इन्वेस्टमेंट
ईडी, आईटी जैसी सेंट्रल एजेंसीज की हलचल ने सियासत से लेकर नौकरशाहों तक खलबली मचाई हुई है. इन सबके बीच एक जिले के कलेक्टर ने इन्वेस्टमेंट का स्मार्ट तरीका ढूंढा है. ऐसी जगह इन्वेस्टमेंट चल रहा है, जहां सेंट्रल एजेंसी सोच समझकर ही कूदेगी. सुनते हैं कि इस कलेक्टर ने पिछली सरकार में मंत्री रहे बीजेपी के एक दिग्गज नेता से जुड़ी कंपनी में इन्वेस्टमेंट किया है. अब तक करीब 20 करोड़ रुपए इन्वेस्ट किए जाने की खबर है. बताते हैं कि कलेक्टर साहब पिछली सरकार में इस पूर्व मंत्री की आंखों के नूर थे, जाहिर है उनके लिए इन्वेस्टमेंट करने का इससे बेहतर ठिकाना दूसरा नहीं होगा. बीजेपी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार अब अपने ही नेता से जुड़े ठिकानों पर छापा तो मारेगी नहीं. कलेक्टर साहब जानते हैं कि ओस चाटने भर से प्यास नहीं बुझती, लिहाजा अपने हिस्से का सागर उन्होंने खुद तैयार कर लिया है. ऐसे कलेक्टर जिनका मीटर तगड़ा घूम रहा है, उनके लिए ये कलेक्टर साहब ‘गुरु’ बन सकते हैं.
इन्हें ‘प्रचार’ चाहिए
राज्य के कलेक्टरों को अब प्रचार चाहिए और वह भी सीएम से ज्यादा. सरगुजा कलेक्टर के बर्ताव से नाराज होकर जनसंपर्क विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के संघ ने जब मोर्चा खोला, तो एक के बाद एक कई दूसरे जिलों से भी कुछ ऐसी ही जानकारियां फूटकर बाहर आने लगी. सिर्फ सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार ही नहीं, बल्कि एक बड़े वीआईपी जिले के कलेक्टर ने अभी हाल ही में जब पद संभाला तब उन्हें उम्मीद थी कि उनके कामकाज को खूब सुर्खियां मिलेंगी, मगर ऐसा नहीं हुआ, उनका गुस्सा जनसंपर्क के जिला अधिकारियों पर फूटा. फटकार लगाते हुए कहा कि ‘ तुम सब सिर्फ सीएम के प्रचार में लगे रहते हो’. खैर, सुनते हैं कि जनसंपर्क विभाग की ओर से कलेक्टरों की करतूतों की जानकारी मुख्यमंत्री तक पहुंचाई जा रही है, जाहिर है ‘प्रचार’ के भूखे कलेक्टरों पर मुख्यमंत्री नजरें इनायत करेंगे.
सीबीआई और अनुमति
छत्तीसगढ़ में सीबीआई बैन है. जाहिर है बगैर राज्य सरकार की अनुमति के सीबीआई घुस नहीं सकती. सत्ता में आने के बाद फौरन लिए गए चंद बड़े फैसलों में एक फैसला सीबीआई बैन करना भी था. तब से अब तक सीबीआई चाहकर भी घुस नहीं पा रही. पिछले दिनों सीबीआई ने सात अलग-अलग मामलों की जांच के लिए राज्य से अनुमति मांगी थी. सुनते हैं कि बैंक फ्राॅड से जुड़े मामलों की जांच के लिए यह अनुमति मांगी गई थी. मगर राज्य ने इसे खारिज कर दिया. दलील दी गई कि राज्य में ईओडब्ल्यू-एसीबी जैसी सक्षम एजेंसियां है, जो ऐसे मामलों की जांच कर सकती हैं. राज्य में ईडी,आईटी, डीआरआई और ना जाने कौन-कौन सी सेंट्रल एजेंसीज हैं, जो पहले से ही सक्रिय हैं. इन एजेंसियों की गिद्ध नजर पहले से ही बनी हुई है. अब सीबीआई अनुमति मांग रही है.
श्रीनिवास होंगे अगले पीसीसीएफ ?
अब वन महकमे में चर्चा तो यही हो रही है कि मौजूदा पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी के रिटायरमेंट के बाद श्रीनिवास राव की इस जिम्मेदारी पर ताजपोशी कर दी जाएगी ! वैसे भी वन महकमे में इस वक्त राव की हैसियत से हर कोई वाकिफ है. कैम्पा मद के सर्वेसर्वा है. साढ़े पांच हजार करोड़ के बजट का सारा गुणा भाग इन्हीं के हिस्से है. ऊपर तक पैठ है. अभी पिछले दिनों कैबिनेट ने एपीसीसीएफ से पीसीसीएफ के लिए जिन नामों को मंजूरी दी है, उन नामों में राव भी शामिल हैं. सीनियरिटी में राकेश चतुर्वेदी के बाद संजय शुक्ला का नाम आता है. कुछ अरसा पहले यह सुनाई पड़ा था कि चतुर्वेदी वीआरएस लेंगे और उनकी जगह संजय शुक्ला पीसीसीएफ और हाॅफ बनाए जाएंगे. मगर कहीं जाकर गड़बड़ी हो गई. मामला अटक गया. अब विभाग में राव के नाम पर नया समीकरण बनता दिख रहा है. हालांकि कई नाम हैं, जो उनसे सीनियरिटी में आगे हैं.
महंगाई ने पैदा किए ‘चोर’‘
महंगाई’ अपने खिलाफ एक लफ्ज भी नहीं सुन सकती. महंगाई ने जनता की जेब पहले से ही काट रखी थी, अब मोबाइल और जूते ले उड़ेगी, इसका जरा भी भान ना था. अभी पिछले दिनों की बात है, कांग्रेस ने देश में बढ़ती महंगाई के विरोध में प्रदर्शन किया. राजभवन कूच किया था. मगर बेरहम महंगाई ने कांग्रेसियों की ही जेब काट ली. कांग्रेस के रायपुर ग्रामीण के अध्यक्ष उधो वर्मा की जेब कटी. पचास हजार रुपए गायब हो गए. किसी का पर्स, तो किसी का मोबाइल गायब हो गया. यहां तक की एक कांग्रेसी ने बड़े जतन से जूते खरीदे थे, वह भी पार हो गया. हम सारा दोष यहां चोर को नहीं दे सकते. केंद्र सरकार ने महंगाई इतनी बढ़ा रखी है कि जरुरतों को पूरी करने लोग चोरी के प्रोफेशन में कूद रहे हैं. अभी हाल ही में जब प्रोफेशनल कांग्रेस का एक बड़ा कार्यक्रम था, तब वहां भी प्रोफेशनल चोरों ने कईयों की जेब काटी थी. अब सवाल उठ रहा है कि कांग्रेस के बड़े जमावड़े में ही ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं?
बीजेपी में सब ठीक नहीं !
बीजेपी में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है. नेतृत्व बदले जाने की सुगबुगाहट एक बार फिर से तेज हो गई है. छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी मिलने के बाद पहली बार बैठक लेने पहुंचे क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल जब दिल्ली लौटे, तो प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय को भी अपने साथ ले गए. खबर आई कि प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी को भी दिल्ली बुलाया गया है. हलचल तेज हो गई कि आलाकमान क्या नेतृत्व परिवर्तन पर जोर दे रहा है? जामवाल की तेजी बताती है कि जल्द ही संगठन में कुछ बड़ा फेरबदल होगा. दिल्ली ने जिन इरादों के साथ अजय जामवाल को छत्तीसगढ़ भेजा है, उन इरादों के संकेत अब दिखने लगे हैं. फिलहाल हालात इंतजार करने वाले हैं.