Column By- Ashish Tiwari , Resident Editor

सूर्यग्रहण

वैसे तो सूर्य ग्रहण दिवाली के दूसरे दिन था, लेकिन छत्तीसगढ़ में एक और सूर्य ग्रहण पड़ गया. दिवाली वाले सूर्यग्रहण में पृथ्वी और सूर्य के बीच चंदा मामा आ गए थे, अबकी बार जो सूर्य ग्रहण पड़ा है, इसमें चंद्रमा की जगह ईडी ने ले ली है. ईडी के छापे के बाद से फरार चल रहे सूर्यकांत तिवारी ने कोर्ट में सरेंडर कर सबको चौका दिया. एक चर्चा छिड़ी कि तिलकधारी सूर्यकांत धार्मिक स्वाभाव के हैं, सो पंडितों से सरेंडर की तारीख निकलवा कर कोर्ट पहुंचे होंगे. उम्मीद रही होगी कि ग्रह-नक्षत्रों के प्रभाव में कोर्ट का नतीजा उनके पक्ष में बैठेगा.

खैर सूर्यकांत के यूं अचानक सामने आने से कोर्ट भी हैरान नजर आया. जिसकी चार्टशीट पेश भी नहीं हुई, उसका सरेंडर करना कोर्ट के लिए भी अचरज भरा रहा. कोर्ट ने सूर्यकांत के सरेंडर की सूचना ईडी को भेजी. ईडी के अफसर-वकील कोर्ट पहुंचे. ये बताने की कोशिश में जुट गए कि मनी लांड्रिंग मामले में सरेंडर का कोई प्रोविजन ही नहीं. बताते हैं कि कोर्ट ने ईडी से कहा कि ‘आपको लगता है कि अरेस्ट करना है तो कीजिए, नहीं करना है, तो कोर्ट इन्हें छोड़ देगा’. आनन-फानन में ईडी ने कोर्ट में ही अरेस्टिंग की प्रक्रिया पूरी की.

सूर्यकांत की पैरवी कर रहे वकील ने जान का खतरा बताते हुए न्यायिक अभिरक्षा में रखे जाने की मांग की. ईडी ने पूछा कि खतरा किससे है? ईडी पुलिस थोड़े ही है. ईडी की कस्टडी में आज तक किसकी डेथ हुई है? ईडी की दलीलों के बीच कोर्ट ने 12 दिन का रिमांड दे दिया. इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हुआ कि सूर्यकांत तिवारी ने अचानक सरेंडर कैसे किया? प्रशासनिक महकमे से लेकर राजनीतिक गलियारों तक इसे लेकर रायशुमारी हो रही है. 

अवैध कमाई की पार्किंग…

ईडी के छापे पर सीना फुलाए घूम रहे भाजपाईयों को ये खबर जाननी जरुरी है. ट्वीटर पर कथित भ्रष्टाचार की नुमाइश की जो गोल्डन आपर्चुनिटी मिली है, उसमें कुछ दिग्गज भाजपा नेताओं का नाम भी शामिल कर लिया जाना चाहिए. सुनने में आया है कि सूबे की सरकार के कई नेता-अफसरों की अवैध कमाई की पार्किंग भाजपा के चंद बड़े नेताओं से जुड़े कारोबार में की जा रही है. जबरदस्त गलबहियां चल रही है. भाजपा से हैं, तो अवैध कमाई की पार्किंग करने पर आईटी-ईडी का डर भी नहीं. सुनते हैं कि रायपुर और बिलासपुर संभाग से ऐसे दो बड़े भाजपा नेता हैं, जो बड़े पैमाने पर नेता-अफसरों की कमाई अपने से जुड़े कारोबार में खपा रहे हैं. अब मुमकिन है कि आईटी-ईडी वहां तक ना पहुंचे, मगर ऐसा नहीं है कि इसकी रिपोर्ट हाईकमान तक ना पहुंची हो. देर सबेर किस्सों की गूंज फुटेगी जरूर…वैसे बता दें कि चंद महीने पहले ही ‘पावर सेंटर’ के इस कालम में हमने बताया था कि आईएएस अफसर का  20 करोड़ रुपया एक भाजपा नेता के कारोबार में खपाया गया. 

महंगे तोहफे…

अफसरशाही में महंगे तोहफे ठीक वैसे ही है, जैसे शेर के मुंह में खून लगना. मगर इस दिवाली अफसरों का मन खराब हो गया. ठीक से मुंह मीठा नहीं हो पाया. दिल की धड़कने बड़ी हुई थी. कईयों का ब्लड प्रेशर ऐसा चढ़ा कि उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था. डाक्टरी सलाह लेनी पड़ी. नसीहत मिली कि मीठे-नमकीन से कुछ दिन परहेज करें, सो ठीक से दिवाली मनी नहीं. पुरानी दिवाली के दिन रह रह कर याद आते रहे. जब कारोबारियों-ठेकेदारों के महंगे तोहफों और उनकी लाई मिठाई की महक से बंगला सराबोर रहता था. इस दफे कमबख्त ईडी सीने पर चढ़कर क्या बैठ गई, मजा किरकिरा हो गया. डीएमएफ के भारी बजट वाले एक जिले का किस्सा सुनने को मिला. बताते हैं कि एक ठेकेदार ने एक अफसर के घर जाकर भारी भरकम सोने की बिस्किट का तोहफा देना चाहा, मगर अफसर की नीयत नहीं बिगड़ी. मजाल था टस से मस हुए हो. कहते हैं कि साहब ने ठेकेदार को घर में बने लड्डू खिलाते हुए कहा कि इस तोहफे को उनकी अमानत मानकर अगली दिवाली तक रख लें. ठेकेदार भी अफसर की सज्जनता का कायल हो गया. 

ढहेगा कई नेताओं का किला….

बीजेपी लगातार विधानसभा स्तर पर बैठक कर रही है. चार दिनों में 17 विधानसभाओं की बैठक हो गई. अजय जामवाल-पवन साय बैठक ले रहे हैं. कार्यकर्ताओं की सुन रहे हैं. कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट रहा है. बड़े-बड़े नेताओं का नाम लेकर कार्यकर्ता खुलकर कह रहे हैं कि इस दफे मठाधीशों को टिकट दिया, तो हारना फिर तय है. बीजेपी में इससे पहले खुलकर इतनी बातें नहीं हुई, जो अब होती दिख रही है. बताते हैं कि कार्यकर्ताओं का गुस्सा खत्म करने क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल इस तरकीब पर काम कर रहे हैं. किसी तरह चुनाव आते-आते कार्यकर्ताओं का गुस्सा-भड़ास दूर हो जाए. बताते हैं कि एक विधानसभा में चल रही बैठक में तो ये आलम रहा कि बीजेपी शासन में मंत्री रहे एक वरिष्ठ नेता पर कार्यकर्ता फट पड़े. जिस तरह से कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया जा रहा है, उससे लगता है कि कई बड़े नेताओं का राजनीतिक किला ढह जाएगा. सुनते हैं कि अजय जामवाल ने एक बैठक में ये तक कह दिया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मायावी है. हराना आसान नहीं है. अब संगठन में उनके कहे के दो मायने निकाले जा रहे हैं. एक तबका कहता है कि ऐसा कहकर जामवाल अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल परखते हैं, दूसरा तबका कहता है कि बीजेपी चुनावी रुप से भूपेश बघेल के मुकाबले अब भी तैयार नहीं है. बहरहाल बीजेपी जाने अपने मन की बात. चुनाव आते-आते संगठन कहां जाकर ठहरेगा, फिलहाल कहना मुश्किल है. 

न्याय की गुहार

सत्ता के करीबी दरबान किस्म के लोग भी अपने आपको कम ताकतवर नहीं समझते. 2015 बैच के एक अधिकारी की ये करतूत देखिए और समझिए. पीएससी कोचिंग के दिनों में ही एक सहपाठी लड़की को प्रेमजाल में फंसाया. शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाए. लड़की प्रेगनेंट हुई, तो अबार्शन करा डाला. लड़की दूसरी बार गर्भवती हुई, तो पल्ला झाड़ने की कोशिश की. दबाव में आर्य समाज में शादी की. परिवार से छिपाकर किराये के मकान में रखा. दबाव डालकर दोबारा अबार्शन करा डाला. मालूम चला है कि अधिकारी अब तलाक के लिए दबाव डाल रहा है. बताते हैं कि पिछले दिनों पीड़ित लड़की लड़के के घर जा पहुंची. दरवाजा नहीं खोलने पर उसने डायल 112 में फोन किया. मगर रसूख ऐसा कि उसे किसी तरह की मदद नहीं मिली. अफसरी चकाचौंध से घबराई पीड़िता न्याय की गुहार लगा रही है. 

ढूंढेंगे पंक्षी 

वाइल्ड लाइफ के लिए जिन अधिकारियों ने सर्विस में रहते हुए कभी काम नहीं किया. दो कौड़ी का भी अनुभव जिनके पास नहीं. अब रिटायरमेंट के बाद एनजीओ बनाकर पक्षी ढूंढने का काम मांगने की तैयारी कर रहे हैं. सुनने में आया है कि एक ऐसे ही रिटायर्ड अधिकारी ने बर्ड सर्वे का प्रपोजल दिया है. अधिकारी ने इस क्षेत्र में कभी काम किया नहीं, इसलिए इन्हें ये भी नहीं मालूम कि इसके लिए किन-किन चीजों की जरूरत पड़ती है. बताते हैं कि इनके प्रपोजल में कैमरा ट्रैप का जिक्र है, जबकि बर्ड सर्वे में कभी इसका इस्तेमाल नहीं होता. पक्षी बाइनाक्यूलर से देखे जाते हैं, लेकिन साहब ने टेलीस्कोप का जिक्र किया है. लगता है जंगल में बैठकर पक्षी नहीं, तारे ढूंढेंगे. . 

कब होगा निलंबन?

प्रशासनिक महकमे में अब इस बात पर रायशुमारी चल रही है कि जेल जाने के बाद भी आख़िर क्या वजह है कि आईएएस समीर विशनोई पर अब तक निलंबन की गाज नहीं गिरी. जबकि नियम क़ायदों की माने तो अब तक जीएडी से ऐसा आदेश जारी कर दिया जाना चाहिए था. आईएएस हैं इसलिए वक़्त लग रहा होगा. आईपीएस या आईएफएस होते तो झट से निलंबन हो जाता. ख़ैर जेल जाने की तस्वीर जिस तरह से सामने आई है, उससे लगता नहीं कि सुविधाओं की कमी से दो चार होना पड़ेगा. प्रभावशाली हिस्ट्रीशीटर भी भीतर अपनी व्यवस्था कर लेता है फिर तो ये आईएएस हैं. संगति के लिए एक बड़ा कारोबारी भी.