मंत्री की दबंगई (1)
सूबे के एक मंत्री अपने काम के लिए बेहद चर्चित हैं. ढाई साल पहले कुर्सी मिलने के दूसरे दिन से ही हिसाब-किताब में जुट गए थे. जमकर मोटी कमाई की. कमाई मोटी हुई, तो चमड़ी पर असर पड़ना ही था. अभी हाल ही में मंत्री जी एक कार्यक्रम में अपने क्षेत्र के दौरे पर थे. एक ग्रामीण ने तपाक से कहा, चुनाव के वक्त जल्दी-जल्दी आते थे, अबकी बार बहुत दिन कर दिए. काटो तो खून नहीं. मंत्री का गुस्सा फट पड़ा. मंत्री ने अपनी ताकत का परिचय देते हुए पुलिस को निर्देश जारी कर दिया. बेचारा ग्रामीण प्रतिबंधात्मक धाराओं में सलाखों के पीछे डाल दिया गया. अब वह उस दिन को कोस रहा है, जब उसने मंत्री को वोट दिया था. गांव के दूसरे लोगों ने भी हश्र देख अब चुप्पी साध ली है. गुपचुप चर्चा में कह रहे हैं, ‘आन दे चुनाव, देख लेबो’
मंत्री बंगले में गाली गलौज (2)
वैसे मंत्री के साथ कई किस्से हैं. सर्वाधिक किस्से मोटी कमाई के हैं. सुनने में आया है कि इनके क्षेत्र में रेत-मुरम खनन, सरकारी ठेकों से लेकर कई तरह के काम नाते-रिश्तेदार संभाल रहे हैं. सूखे के आलम में भी इनका नल खूब पानी दे रहा है. बहरहाल रुतबे में भी मंत्री का जवाब नहीं. अपने क्षेत्र में सवाल उठाने वालों पर दबंगई तो दिखा ही रहे हैं, बंगले की तस्वीर भी जुदा नहीं है. बताते हैं कि पिछले दिनों इलाके के किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल बंगले पर मिलने आया. भीतर से केवल 5 लोगों को मिलने की अनुमति दी गई. बाकी बंगले के बाहर खड़े हो गए. बाहर खड़े कुछ लोगों ने मंत्री बंगले पर अपना अधिकार समझ लिया. कुछ बंगले के भीतर पेड़ के नीचे जाकर आराम फरमाने की जहमत उठा ली. बस फिर क्या था, मंत्री के पीए ने मां-बहन याद दिला दी. अब ग्रामीण किसान दाऊ जी से शिकायत करने का रास्ता ढूंढ रहे हैं.
IPS के एक ट्वीट ने खराब किए संबंध
शनि की साढ़े साती इसे ही कहते हैं. सूबे के एक सीनियर ट्विटर वीर आईपीएस का ट्वीट प्रेम भारी पड़ गया. एक ट्वीट ने जमकर बवाल मचाया. खूब खरी-खोटी सुननी पड़ी. मामला हालांकि थोड़ा पुराना है, लेकिन नौकरशाही में इसकी गूंज अब भी बरकरार है. दरअसल सीनियर आईपीएस ने एक कार्टून ट्वीट किया था. इस ट्वीट ने सरकार की दुखती रग पर मानो हाथ फेर दिया. विपक्ष जिसे मुद्दा बनाकर घेरने की कोई कसर नहीं छोड़ रहा, अब नौकरशाही के भीतर भी इस पर चुटकी ली जा रही है. ये सोचकर सीएम सचिवालय ने हंटर चला दिया. हंटर का असर हुआ. आईपीएस साहब ने ट्विटर से ही तौबा कर लिया. एक ट्वीट ने संबंध खराब कर दिया. खैर एक चर्चा ये भी है कि जल्द ही साहब का टिकट कट सकता है.
बाबा की धड़कने तेज !
ढाई-ढाई साल के फार्मूले ने सबकी धड़कने बढ़ा रखी है. सरकार हो, नौकरशाही हो या फिर जनता. सूबे के स्वास्थ्य महकमे की जिम्मेदारी संभालने वाले मंत्री टी एस सिंहदेव खुद अपने स्वास्थ्य की चिंता लिए रूटीन चेकअप कराने दिल्ली दौरे पर थे. करीब हफ्ते भर वहां रहे. खबरची ने बताया कि मेदांता हॉस्पिटल में चेकअप के बाद जब रिपोर्ट आई, तो डॉक्टरों ने कहा, धड़कने काफी तेज है. टेंशन कम लें. जो होना होगा, वो होगा. किस्मत से ज्यादा और वक्त से पहले कुछ नसीब नहीं होता. इधर सिंहदेव की तबीयत की चिंता सूबे में भी की जा रही थी. पल-पल की खबर ली जा रही थी. इस बीच खबर ये आई कि सिंहदेव की देखरेख के लिए जिन्हें (सुरक्षाकर्मी) तैनात किया गया था, उन्हें खुद सिंहदेव ने हटा दिया. कहां जब जरूरत होगी तब बुला लिया जाएगा. बहरहाल तबीयत पर हाईकमान ने पूछपरख ली या नहीं? ये बड़ा सवाल बना हुआ है.
दुबई में आईपीएल, तो छत्तीसगढ़ में सियासी प्रीमियर लीग…..
उधर दुबई में आईपीएल के बचे मैच की तैयारी चल रही है, इधर छत्तीसगढ़ में भी सियासी प्रीमियर लीग यानी सीपीएल के लिए टीमें तैयार हो गईं है. ढाई साल पहले हुए सेमीफाइनल मुकाबले में चार टीमों के खेलने के बाद फाइनल मैच के लिए दो टीमें चुनी गई थी, लेकिन सियासी बारिश की वजह से डकवर्थ लुईस नियम से मैच रेफरी ने दाऊ जी की टीम को विनर डिक्लेयर कर दिया था. क्रिकेट में वैसे तो इसे फाइनल विनर माना जाता है, लेकिन सीपीएल के नियम थोड़े अलग हैं. इसलिए एक बार फिर चर्चा सेमीफाइनल मुकाबले से ही शुरू हो गई है. पिछली बार फाइनल की दौड़ से बाहर हुए एक सीनियर खिलाड़ी (महंत) ने अपने एक बयान से प्रस्तावित मैच को बेहद रोमांचकारी बना दिया है. दौड़ से बाहर होकर मैच का लुत्फ उठा रहे इस सीनियर खिलाड़ी ने कह दिया है कि फाइनल अभी बाकी हैं और फैसला दिल्ली में बैठे रेफरी को ही करना है.
क्या महंत कहेंगे, ”हां मैं खुश हूं”
जश्ने आजादी की पूर्व संध्या पर स्पीकर डाॅ.चरणदास महंत के एक बयान की खूब चर्चा रही जिसमें उन्होंने कहा था कि ” हां मैं नाराज हूं” अब महंत की इस नाराजगी के बीच दाऊ जी ने दो बड़ी सौगातें दे दी है. ये सौगात है चार नए जिलों की. इनमें से दो जिले महंत जी के राजनीतिक प्रभाव वाले क्षेत्र से हैं. एक है, उनकी पत्नी ज्योत्सना महंत के संसदीय क्षेत्र में आने वाला मनेंद्रगढ़ और दूसरा उनकी खुद के विधानसभा क्षेत्र से सक्ती. जाहिर है मनेंद्रगढ़ औऱ सक्ती के लोग खुश तो होंगे ही, महंत के कार्यकर्ताओं और समर्थकों में जश्न का माहौल भी होगा. वैसे महंत निगम, मंडल, आयोग में हुई नियुक्तियों में करीबियों को दरकिनार करने से बेहद नाराज थे. जांजगीर-चांपा में जिलाध्यक्ष की नियुक्ति की नाराजगी भी रह-रहकर उनके चेहरे पर फूट पड़ती है. अब जब राजनीतिक फायदा देने वाली घोषणा दाऊ ने की है, तो क्या महंत कहेंगे, ”हां मैं खुश हूं”