Column By- Ashish Tiwari , Resident Editor

’23’ का सारथी

मुख्यमंत्री के काफिले में अब काले रंग की नई चमचमाती टोयोटा फॉर्च्यूनर नजर आएंगी. रमन सरकार में खरीदी गई मित्सुबिसी पजेरो को सुरक्षा कारणों से काफिले से हटाया जा रहा है. पुरानी गाड़ियां करीब पांच साल चल चुकी हैं. सुरक्षा के लिहाज से भी इन गाड़ियों को बदलना जरूरी हो गया था. नई गाड़ियों की खरीदी के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई थी. कमेटी ने कई अलग-अलग कंपनियों के कोटेशन बुलाए थे. कमेटी की ओर से टोयोटा फॉर्च्यूनर पसंद की गई. कमेटी के अप्रूवल के बाद काफिले के लिए 12 नई गाड़ियां खरीदी गई है, जिनमें से चार बुलेटप्रूफ बनाई गई है. नई गाड़ियां एडवांस तकनीक से लैस हैं. बताते हैं कि स्पीड मॉनिटरिंग से लेकर लाइव लोकेशन को भी ट्रैक किया जा सकता है. अब नई गाड़ियां आ गई है, तो जाहिर मुख्यमंत्री का चुनावी दौरा भी इन्हीं गाड़ियों से होगा. रमन सरकार के दौरान जब मित्सुबिसी पजेरो खरीदी गई थी, तब गाड़ियों का नंबर 0004 रखा गया था. राजनीतिक पंडितों ने यह कहकर माहौल बना दिया था कि सत्ता की चौथी पारी खेलने के इरादे से 0004 नंबर लिया गया है. मगर न्यूमेरोलॉजिस्ट (अंकगणितीय ज्योतिष) की गणना धरी की धरी रह गई. रमन सरकार सत्ता से बाहर हो गई. बहरहाल अब सुनाई पड़ रहा है कि काफिले की नई गाड़ियों के लिए नंबर की सीरीज ऐसी रखी जा रही है, जिसमें ’23’ आता हो. राज्य में 2023 में चुनाव होने हैं. मुमकिन है कि इस बार भी किसी ज्योतिष ने यह नंबर सुझाया हो. अंकगणितीय ज्योतिष के मुताबिक 2 और 3 का मूलांक 5 होता है. मूलांक 5 का स्वामी बुध ग्रह है. बुध ग्रह को सभी ग्रहों का राजकुमार कहा जाता है. मूलांक पांच के प्रभाव से व्यक्ति हर वक्त बली होता है. बुद्धिमानी और चतुराई भी कूट-कूट कर भरी होती है. जीवन में कामयाबी मिलती जाती है. मूलांक में अगर सीजी 02 के 2 को जोड़ दिया जाए, तो गाड़ी के नंबर का कुल मूलांक 7 हो जाता है. मूलांक 7 का स्वामी ग्रह केतु है. मूलांक 7 के प्रभाव वाला व्यक्ति अच्छा वक्ता होता है. अपने तर्कों के पक्ष में जनमत को लामबंद करने की योग्यता रखता है. विरोधियों को भी उनकी बातों से सहमत होना पड़ता है. राजनीतिक गलियारों में गाड़ी का यह नंबर चर्चा में खूब छाया हुआ है, लोग इंतजार में बैठे हैं कि कब चुनाव हो और नतीजे आए. चर्चा में यह भी सुना जा रहा है कि कहीं यह काफिला ’23’ की जीत का सारथी तो नहीं बनेगा?

“ट्रेनिंग” के लिए 17 करोड़

बात आंकड़ों की हो रही है, तो इस मामले से भी रूबरू होते चलें. मालूम चलेगा कि सीएसआर फंड का इस्तेमाल कैसे किया जाता है? यह इसका एक नायाब उदाहरण है. चर्चा है कि एक्सिस बैंक ने छत्तीसगढ़ में काम करने के लिए गुजरात की एक एनजीओ को 17 करोड़ रुपए दिए. एनजीओ ने बैंक से मिली सीएसआर फंड की राशि से लघु वनोपज में ट्रेनिंग दिए जाने का एक प्रेजेंटेशन वन महकमे को दिखाया. प्रेजेंटेशन में एक बात सामने आई कि ट्रेनिंग पाने वाले प्रति व्यक्ति पर पांच साल तक तीन हजार रुपए प्रति माह खर्च किए जाएंगे. प्रेजेंटेशन देखने के बाद एक आला अफसर ने मौके पर ही कैल्कुलेट कर कहा कि- यहां बार-बार ट्रेनिंग पर जोर दिया जा रहा है. इस हिसाब से प्रत्येक व्यक्ति पर पांच साल तक तीन हजार रुपए खर्च किया जाएगा. प्रति माह प्रत्येक व्यक्ति पर तीन हजार रुपए खर्च करने की स्थिति में सालाना 36 हजार रुपए खर्च होंगे. जबकि वनोपज संग्रह करने वाले व्यक्ति की कुल आमदनी पांच-छह हजार रुपए से ज्यादा नहीं होती, लेकिन उस व्यक्ति की ट्रेनिंग पर सालाना 36 हजार रुपए खर्च किए जाने का क्या औचित्य? इससे बेहतर है कि ट्रेनिंग की यह राशि सीधे उसके खाते में डाल दिया जाए. अफसर ने फतह की बात कहीं है. वैसे भी ज्यादातर ट्रेनिंग कागजों पर होती है, जमीनी तौर पर इसका लाभ कितना मिलता है, यह सभी जानते हैं. ‘पावर सेंटर’ के इसी साप्ताहिक कालम में हमने लिखा था कि अपनी रिटायरमेंट के ठीक बाद एक आईएफएस ने एक एनजीओ बनाया. एनजीओ का मकसद कुछ ऐसा ही था. ट्रेनिंग के नाम पर बड़ा फंड हासिल करना. शायद वह जानते थे कि आड़े तिरछे कमाई की जगह एनजीओ बनाकर ट्रेनिंग देने से मिलने वाली कमाई कहीं ज्यादा सुविधाजनक है. 

ईडी वर्सेस ईओडब्ल्यू !

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का डेरा कायम है. लंबी खामोशी के बाद ईडी ने पिछले दिनों आईएएस दंपत्ति समेत कोल और ट्रांसपोर्ट कारोबारियों के ठिकानों पर छापा मारा. इस छापे के बाद मुख्यमंत्री ने अपने एक बयान में कहा कि, ‘ईडी अब चुनाव कराकर ही लौटेगी’. लगता भी यही है. बहरहाल ईडी की इन कार्यवाहियों के बीच एक रोचक खबर सामने आई है. खबर ये है कि पूर्व मुख्यमंत्री और उनके परिजनों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की एक शिकायत ईओडब्ल्यू में दी गई है. इस शिकायत के आधार पर ईओडब्ल्यू ने 29 नवंबर 2022 को एक चिट्ठी सामान्य प्रशासन विभाग को भेजी. इस चिट्ठी में पूर्व मुख्यमंत्री और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के विरूद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत अपराध दर्ज करने पूर्वानुमोदन चाहा गया. सामान्य प्रशासन विभाग ने 5 जनवरी 2023 को ईओडब्ल्यू की चिट्ठी में की गई मांग की जानकारी राज्यपाल को भेजी है. इन परिस्थितियों के बीच अब कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में राज्य के भीतर कहीं ईडी वर्सेस ईओडब्ल्यू जैसी तस्वीर देखनी ना पड़ जाए…

‘दरार’ भरने दौरा

राज्य में चुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं. राजनीतिक दलों ने कमर कसनी शुरू कर दी है. इधर सत्ता कायम रखने की चुनौती के बीच नई जिम्मेदारी संभालने आई कांग्रेस प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा के तीखे तेवर ने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि आगे उनका कामकाज कैसा होगा. सत्ता-संगठन के बीच खींची दरारों से सैलजा वाकिफ हो चुकी हैं. सत्ता के खिलाफ, संगठन पदाधिकारियों की खुलकर की गई शिकायतों के बाद कुमारी सैलजा अब प्रदेश के दौरे पर निकलने की तैयारी कर रही हैं. कहा जा रहा है कि उनका यह दौरा ‘दरारों’ को भरने के लिए होगा. साथ ही सरकार के जमीनी कामकाज की रिपोर्ट भी वह खुद ही तैयार करेगी. विधायकों के परफॉर्मेंस आकलन किया जाएगा. जाहिर है, चुनाव के ऐन वक्त पहले जब टिकट वितरण का वक्त आएगा, यह रिपोर्ट बड़ा आधार बनेगी. 

केंद्रीय मंत्रिमंडल में कौन?

केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार की खबरों के बीच एक बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या इस विस्तार में छत्तीसगढ़ को तवज्जो दिया जाएगा? पिछले दिनों नई दिल्ली में ओम माथुर के घर हुई सांसद-बीजेपी नेताओं की बैठक के बाद इन सवालों को बल भी मिला है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि वह कौन सा चेहरा होगा? जातिगत समीकरणों के लिहाज से एससी वर्ग से आने वाले गुहाराम अजगले और ओबीसी वर्ग से आने वाले विजय बघेल मुख्य दावेदार बताए जा रहे हैं. ओबीसी वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष और नारायण चंदेल के होने से बघेल का पलड़ा थोड़ा कम आंका जा रहा है. वैसे इस दौड़ में सरोज पांडेय और पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह भी शामिल हैं. उनके नामों की चर्चा ना हो, यह मुमकिन नहीं. पिछले विस्तार के दौरान खबर आई थी कि डाॅक्टर रमन सिंह केंद्रीय मंत्री बनाए जा रहे हैं, लेकिन ऐन वक्त पर समीकरण बिगड़ गया. इस साल राज्य में चुनाव हैं. माना जा रहा है कि गुहाराम अजगले को यदि मंत्रिमंडल में जगह दी जाती है, तो बीजेपी से कटा-कटा रहने वाले वर्ग को साधने में मदद मिल सकती है.