बीजेपी की बैठक और तहसीलदार
पिछले हफ्ते की बात है, जब केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी दौरे पर आई थीं. सरकारी कामकाज खत्म करते ही उन्होंने बीजेपी कार्यालय आमद दर्ज कराई. एक इंटरनल मीटिंग लेने पहुंची थीं, जहां सिर्फ पार्टी नेताओं को बैठने की अनुमति थी. मगर इस बैठक में एक शख्स अपरिचित सा नजर आया. एक नेता की नजर जा टिकी. पूछताछ शुरू की गई, जनाब ने अपना परिचय तहसीलदार के रूप में दिया. उन्होंने अपना परिचय पत्र भी दिखाया. नेता भौचक हो गए. पार्टी की इंटरनल मीटिंग में तहसीलदार. बातचीत आगे बढ़ी तो जवाब मिला की केंद्रीय मंत्री के दौरे में मद्देनजर उनकी ड्यूटी लगाई गई है. नेता ने झट से कहा कि सरकारी बैठकों और कार्यक्रमों का सिलसिला तो खत्म हो चुका है. ये पार्टी की इंटरनल मीटिंग है. नेता ने हाथ जोड़कर बाहर का रास्ता दिखाया. तहसीलदार पकड़ में आ गए थे, सो बाहर लौटना पड़ा.
विदेश दौरा
सुनाई पड़ा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक प्रतिनिधिमंडल लेकर तीन देशों की यात्रा पर जा रहे हैं. 19 जून से 27 जून तक इंडोनेशिया, सिंगापुर और वियतनाम की यात्रा होगी. दौरे के दौरान इंडोनेशिया के बाली में होने वाली अंतरराष्ट्रीय स्तर की एवीपीएन ग्लोबल कॉन्फ्रेंस में भी शिरकत किये जाने की खबर है. क्लाइमेट चेंजेस, हेल्थ एंड न्यूट्रिशन, जेंडर और इकोनॉमिक्स अपॉर्चुनिटी जैसे विषय पर यह कांफ्रेंस केंद्रित है. बताते हैं कि मुख्यमंत्री के साथ इस प्रस्तावित दौरे में मुख्य सचिव, एसीएस टू सीएम, सेक्रेटरी टू सीएम भी जाएंगे. इससे पहले चर्चा चल रही थी कि मुख्यमंत्री यूरोप टूर पर जा सकते हैं, लेकिन यूरोप दौरा तय नहीं हुआ.
नई गाड़ी
सीएम साहब के काफिले में अब नई चमचमाती गाड़ियां दिखाई देंगी ! सुनते हैं कि फोर्ड कंपनी की 15 नई एंडेवर कार खरीदी गई है. इनमें से पांच कार बुलेट प्रूफिंग के लिए गई हैं. काफिले में मौजूद गाड़ियों की फिटनेस ठीक नहीं थी. सुरक्षा कारणों से बदलना जरूरी था. काफिले की गाड़ियां बदलने से पुराना किस्सा याद आ गया. साल 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने भी अपने काफिले की गाड़ियां बदल दी थी. तब सभी गाड़ियों का नंबर बदलकर 0004 कर दिया गया था. कयासों का दौर चलने लगा. लोगों ने यह कहकर जमकर चुटकी ली थी कि सत्ता की चौथी पारी खेलने के इरादे से किसी ज्योतिषी की सलाह पर गाड़ियों का यह नंबर रखा गया था. खैर अब जब काफिले की गाड़ियां बदल रही हैं, तब नंबर क्या होगा? जाहिर है इस पर सबकी नजर होगी…
कुर्सी जरूरी है !
वन महकमे ने नया सेटअप तैयार किया है, जिसमें पीसीसीएफ के दो नए पद क्रिएट हो रहे हैं. नए सेटअप में पीसीसीएफ क्लाइमेट चेंज,रिसर्च एंड ट्रेनिंग जैसा दायित्व संभालेंगे. नए पद क्रिएट होंगे, तो अधिकारियों को बढ़ने के मौके ज्यादा मिलेंगे, अब इस कवायद के बीच लाख टके का सवाल खड़ा हो रहा है. प्रशासनिक गलियारों में पूछा जा रहा है कि जंगल-जानवर जरूरी हैं या कुर्सी? बताते हैं कि पहले से ही सेटअप में स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट जैसी व्यवस्था है, जहां ना तो रिसर्च दिखती है, ना ही ट्रेनिंग. इंस्टीट्यूट में बजट इतना है नहीं कि ठीक से रिसर्च भी किया जा सके. ऐसे में क्लाइमेट चेंज और रिसर्च-ट्रेनिंग पर काम कैसे होगा?
मरकाम का रुख…
पिछले दिनों कांग्रेस ने अहम बदलाव करते हुए संगठन महामंत्री का चेहरा बदल दिया था. प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के आदेश जारी करने के वक्त लोगों को खबर मिली कि अहम फैसला ले लिया गया है. संगठन महामंत्री का कामकाज देख रहे चंद्रशेखर शुक्ला को भी भनक तक नहीं थी कि उन्हें हटाया जा रहा है. व्हाट्स एप पर मैसेज आया और मालूम चला कि वह अब संगठन महामंत्री नहीं रहे. अमरजीत सिंह को जिम्मेदारी सौंप दी गई है. जाहिर है ये अध्यक्ष का विशेषाधिकार है. मगर इस फैसले से संगठन के कई पुरोधा भौचक रह गए. एक ने टिप्पणी कर कहा कि इसकी जानकारी ना तो मुख्यमंत्री को थी और ना ही प्रदेश प्रभारी को. उन्हें भी तब मालूम चला जब नियुक्ति आदेश आया. एक ने यह टिप्पणी दर्ज की कि इतिहास अपने आप को खुद दोहराता है. लंबे समय तक संगठन महामंत्री का ओहदा संभालने वाले सुभाष शर्मा को हटाये जाने का तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल का फैसला भी तब अप्रत्याशित था. यह जानते हुए भी सुभाष शर्मा मोतीलाल वोरा खेमे के खास सिपहसालार हैं. एक झटके में हटाने का फैसला ले लिया गया था. बहरहाल मोहन मरकाम के रुख इन दिनों संगठन में खासे चर्चित हैं.