Column By- Ashish Tiwari , Resident Editor

तंत्र क्रिया के फेर में प्रियंका !

जाहिर है यूपी में प्रियंका गांधी की सीधी टक्कर साधु-संतों से घिरे योगी से है, सो लगता है समय रहते राहु-केतु को ठिकाने लगाने का बंदोबस्त शुरू हो गया है. पिछले दिनों प्रयागराज के दौरे पर रहीं प्रियंका गांधी का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक शख्स उनसे काना फुंसी कर रहा है. बताते हैं कि वह शख्स छत्तीसगढ़ के बिलासपुर का रहने वाला है. तंत्र क्रिया कर नेताओं को फायदा पहुंचाने का दावा करने वाले शख्स की प्रियंका से मुलाकात प्रयागराज में कैसे हुई, नहीं मालूम ! पर जिस गंभीरता से प्रियंका उसे सुन रही है, यह ध्यान खींचने वाला है. बिलासपुर के शख्स ने प्रियंका गांधी को पीले रंग की एक पोटली के साथ बैग में कुछ सामान भी दिया. इधर बताने वाले बताते हैं कि ढाई-ढाई साल के कथित फार्मूले और दिल्ली परेड के दौरान भी बिलासपुर के एक फ्लैट में अनुष्ठान किया गया था. उस अनुष्ठान में इस शख्स की भूमिका क्या थी, भगवान जाने. वैसे राजनीतिक पंडित मानते हैं कि चुनाव जीतने के लिए तीन बल की जरूरत होती है. मानव बल, भौतिक बल और देव बल ! कांग्रेस मास बेस्ड पार्टी है. सो विपरीत हालातों में भी मानव बल की कमी नहीं. भौतिक बल की जिम्मेदारी तो उठा  ली गई है. बच गया देव बल. तो अब लगता है इसका भी सहारा ढूंढ लिया गया है.
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….और एसपी पर चल गई तलवार

राज्य में अब कांस्टेबलों का मनोबल बढ़ गया होगा. एक कांस्टेबल के छह महीने पुराने आडियो ने एसपी का तबादला करवा दिया है. अनुशासन वाले विभाग में अब निचले कर्मचारियों को भी लगने लगा है कि सरकार में उनकी सुनवाई हो रही है. बलौदाबाजार एसपी के वायरल आडियो में सुशोभित किए गए अल्फाजों ने बयां कर दिया था कि उन पर तलवार लटक गई थी. सीएम से लेकर आईजी तक का जिक्र था, ज़ाहिर है ऊपर बैठे लोगों के ग़ुस्से का शिकार होना ही था. सुबह आडियो वायरल हुआ और देर शाम तक तबादले की जद में आ गए. लगे हाथ जो-जो एसपी सरकार की तिरछी नजर में थे, उन्हें भी ठिकाने लगा दिया गया. कवर्धा विवाद के बाद से ही हलचल थी कि मोहित गर्ग हटा दिए जाएंगे, लेकिन उन्हें कुछ वक्त मिल गया. वहां मो.अकबर के भरोसेमंद लाल उम्मेद सिंह की दोबारा वापसी कर दी गई.
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दीपक झा पर सवाल

कद के हिसाब से रायपुर के बाद बिलासपुर जिले के एसपी के रूप में काम करना सम्मान जनक माना जाता है. प्रशांत अग्रवाल के तबादले के बाद से बिलासपुर लाए गए दीपक झा को हटाकर बलौदाबाजार जैसे छोटे से जिले पर भेजा जाना यूं ही लिया गया फैसला नहीं है. दीपक झा डीआईजी रैंक के आईपीएस है, सो उनके कद के अनुरूप बलौदाबाजार छोटा जिला है. बताते हैं कि कुछ मामलों पर सरकार की नाराजगी थी, वरना पांच महीने के बेहद छोटे से कार्यकाल में बिलासपुर जैसे बड़ा जिला ऐसे ही नहीं छिना जाता.
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आईपीएस के लिए लकी साबित होता ‘गरियाबंद जिला’

अब ऐसा ना हो जाए कि आईपीएस गरियाबंद जिले में एसपी बनने के लिए लाॅबिंग तेज कर दें. एसपी के लिए गरियाबंद जिला लकी साबित होता दिख रहा है. इस छोटे से जिले में एसपी बन जाओ. बड़ा जिला मिलना तय. ताजा तबादले में पारूल माथुर को बिलासपुर दिया गया. इससे पहले भोजराम पटेल गरियाबंद जिले में तैनात थे. जिस वक्त कई सीनियरों की नजर कोरबा पर टिकी थी, वहां भोजराम अपनी काबिलियत का लोहा मनवाने में कामयाब रहे. सो जिले की कप्तानी मिल गई.
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काबरा की कवायद

दीपांशु काबरा को जनसंपर्क आयुक्त बनाते वक्त ब्यूरोक्रेसी में चर्चा उठी थी कि एक आईपीएस को जनसंपर्क की कमान ? लेकिन जिम्मेदारी मिलने के बाद काबरा ने अपनी काबिलियत का लोहा मनवा लिया. हर बाॅल पर सीधे चौका-छक्का जड़ रहे हैं. उन्हें देखकर यह अंदाजा लगा पाना मुश्किल है कि जिस पिच पर बैटिंग कर रहे हैं, यह उनके लिए नई-नई है. दफ्तर में हैं, तो मैराथन मीटिंग करते हैं, सोशल मीडिया के जरिए सरकार की योजनाओं का प्रमोशन कर रहे हैं. किसी अहम मसले पर डिसीजन की पेडेंसी भी नहीं है. अब देखिए देश के बड़े मीडिया हाउस के कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का इंटरव्यू करा आए. इस इंटरव्यू के जरिए देश का परिचय ना केवल छत्तीसगढ़ में चल रहे कामकाज से हुआ, बल्कि भूपेश बघेल के एग्रेसिव मोड वाली पाॅलिटिक्स से भी लोग रूबरू हुए. वर्जिश प्रेमी दीपांशु काबरा ने कुछ अरसा पहले सोशल मीडिया पर लोगों को बर्पी एक्सरसाइज का चैलेंज दिया था. सो यह माना जा रहा है कि चैलेंज देने और लेने के वह हरफनमौला खिलाड़ी है.
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चड्ढा फिर से….

उत्तरप्रदेश, पंजाब जैसे राज्यों में बहुचर्चित और विवादित शराब किंग रहे चड्ढा की कंपनी अब राज्य की महिलाओं और बच्चों को सुपोषित करेगी ! सूत्र बताते हैं कि अब चड्ढा की कंपनी रेडी टू ईट पोषण आहार के जरिए सूबे में कुपोषण का आंकड़ा तेजी से घटाने, सरकार के साथ कदमताल करती नजर आएगी ! इसके एवज में करोड़ों की कमाई सो अलग. राज्य में अब तक रेडी टू ईट पोषण आहार तैयार करने का काम 20 हजार महिला स्व सहायता समूह कर रही थी. करीब चार लाख महिलाएं इससे जुड़ी थी, लेकिन बात क्वालिटी पर जाकर ठहर गई. सरकार हाइजीन और क्वालिटी से कोई समझौता नहीं करना चाहती, सो अब यह काम सेंट्रलाइज्ड किया जा रहा है. जानकारी है कि यह कंपनी सिंगल एजेंसी होगी, जो पूरे राज्य में रेडी टू ईट की सप्लाई करेगी. खैर ये पहली मर्तबा नहीं है कि चड्ढा की कंपनी को राज्य में बड़ा काम मिल रहा हो. तत्कालीन रमन सरकार में आदिवासियों को चना बांटने लाई गई योजना का ठेका भी चड्ढा को दिया गया था. बताते हैं कि तब 71 करोड़ रुपए की चना खरीदी चड्ढा की कंपनी से की गई थी. तब चौंकाने वाला खुलासा भी हुआ था. दस्तावेजों में कंपनी ने उत्तर प्रदेश का जो पता दिया था, मौके पर वह फर्जी निकला. खैर इन सबके बीच कुछ सवाल हलचल पैदा किए हुए हैं. अव्वल ये कि महिला एवं बाल विकास विभाग से यह काम लेकर बीज निगम को ही क्यों दिया गया? दूसरा, 40 करोड़ रुपए के कमीशन का आखिर मामला क्या है? और, तीसरा यह कि महिलाओं और बच्चों के अलावा और कौन-कौन पोषित होगा?
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सीनियर IPS बने सरकारी गवाह !

बड़ा दिलचस्प होता है कि जब कोई अधिकारी किसी बहुचर्चित मामले में जांच करने वाली एजेंसी की कमान संभाल चुका हो और बाद में वह खुद सरकारी गवाह बन जाए. कुछ ऐसा ही हुआ है, सरकार की आंख की किरकिरी बने बैठे एक सीनियर आईपीएस अधिकारी के साथ. सत्ता के नजदीक आते-आते ऐसे छिटके कि सीधे एफआईआर दर्ज हो गई. अब कोर्ट-कचहरी खेल रहे हैं. सुनाई पड़ रहा है कि राज्य के एक बहुचर्चित मामले की जांच कर रही दिल्ली की एक एजेंसी ने सीनियर आईपीएस को अपना सरकारी गवाह बना लिया है. पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में इस एजेंसी की ओर से पेश किए गए व्हाट्स एप चैट को सरकारी गवाह बने आईपीएस ने सही ठहराया है. भीतर खाने से आई खबर की मानें तो इस पूछताछ में आईपीएस ने कई अहम खुलासे किए हैं. इन सबके बीच सत्ता के करीबी एक उच्च पदस्थ ब्यूरोक्रेट की यह टिप्पणी गौर करने लायक है कि जिस आईपीएस पर गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज है, कोर्ट उसके बयानों की गंभीरता को कितनी संजीदगी से लेगा. इधर इस खबर से सत्तासीन लोगों के कान खड़े हुए हैं, लेकिन दिखाई पड़ रही तस्वीर बताती है कि किसी तरह की चिंता की कोई बात नहीं. बहरहाल, व्हाट्स एप चैट के किस्से का क्या? जिस पर लोगों के नंबर दर्ज हैं.