Column By- Ashish Tiwari , Resident Editor

मुख्यमंत्री बनने तंत्र क्रिया !

उधर उज्जैन में बाबा बमबम नाथ, योगी आदित्यनाथ को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने तंत्र साधना कर रहे हैं, तो इससे जुड़ी तमाम खबरें सोशल मी़डिया पर अटी पड़ी है, इधर छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बनने के लिए एक आदिवासी विधायक की तांत्रिक अनुष्ठान कराए जाने की चर्चा पर किसी का ध्यान तक नहीं. बहरहाल सुनाई पड़ा है कि सत्ताधारी दल के एक बड़े नेता मुख्यमंत्री बनने की संभावना टटोल रहे हैं. नेताजी ये बखूबी जानते हैं कि सिर्फ आदिवासी एक्सप्रेस दौड़ाने भर से दाल नहीं गलने वाली, लिहाजा उन्होंने तांत्रिक की शरण ले ली है. कहा जा रहा है कि गरियाबंद जिले के किसी गोपनीय स्थान पर अनुष्ठान चल रहा है. ऐसा नहीं है कि नेताजी की सरकार में कोई सुनवाई नहीं है, विधायकी के साथ-साथ संगठन में बड़ा ओहदा संभाले हुए हैं, लेकिन संभावनाओं को टटोलने में आखिर बुराई क्या है, ये सोचकर हाथ पांव मारना शुरू कर दिया है. कौन जानता है कि सियासत में कब और किसकी लॉटरी खुल जाए. ये पहले नेता तो है नहीं, जिन्होंने तंत्र क्रियाओं पर भरोसा जताया हो. राज्य गठन के बाद से ऐसे दर्जनों किस्से सुनाई पड़ते रहे हैं. कभी किसी दिग्गज नेता ने अपनी रैली में भीड़ लाने मंच के नीचे तांत्रिक अनुष्ठान कराया, तो कभी सियासत के शीर्ष पद पर बने रहने के लिए दतिया की दौड़ लगाई. बात आस्था की है. आस्था आत्मविश्वास से लबरेज करती है. काम बन जाए, यह दोगुनी हो जाती है.
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विधायक का गुस्सा फूटा

ये विधायक के सम्मान को ठेस पहुंचाने का मामला है. एक जिले में पीडब्ल्यूडी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के पास विधायक ने अपने खास आदमी को टेंडर में हिस्सा लेने भेजा था. फोन पर निर्देश था कि टेंडर उनके ही आदमी को दिया जाए, मगर मामला बना नहीं. दूसरी मर्तबा विधायक ने अपने आदमी को फिर भेजा, इस बार एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने सीधे दो टूक कह दिया, हां किसी फलाने विधायक का फोन आया था. इंजीनियर के रवैये ने विधायक की साख पर सवाल उठा दिए, जाहिर था, असर होना था. विधायक ने सीधे मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर  इंजीनियर के खिलाफ  भ्रष्टाचार के कसीदे गढ़ दिए. इंजीनियर सिस्टम से थोडा़ आफ ट्रेक हो चले थे, ट्रेक पर होते तो बात कुछ और होती. विधायकों के पास अधिकारियों को डराने चिट्ठी लिखने का शस्त्र तो है ही. वैसे इस जिले में पीडब्ल्यूडी के ठेके को लेकर कांग्रेस नेता के अपोजिट कांग्रेसी ही खड़ा है. अब भला अधिकारी के सामने एक तरफ कुआं है, दूसरी तरफ खाई.
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….जब सीएम ने तरेरी आंखें

रेत माफियाओं की बढ़ती सक्रियता और अवैध खनन की शिकायतों का ऊंचा अंबार देख सूबे के मुखिया ने जब कलेक्टर-एसपी पर आंखें तरेरी, तो ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू हो गई. कोरबा,धमतरी, राजनांदगांव, कांकेर और रायपुर ने तो लंबी छलांग लगाते हुए सबसे पहले धड़ाधड़ अवैध खनन करने वालों को धर दबोचा. इन जिलों का नंबर बढ़ते देख दूसरे दिन सुबह से ही बाकी जिलों ने भी मोर्चा संभाला. सूरजपुर, कोरिया, बिलासपुर, दुर्ग जैसे कई जिले फेहरिस्त में शामिल होते चले गए. अच्छा होता ये प्रतिस्पर्धा पहले शुरू हो गई होती. ना शिकायत सीएम तक पहुंचती और ना ही आंखों पर जोर देने की नौबत आती. इस बीच जिलों के कलेक्टर-एसपी ये बतियाते भी सुने गए कि सियासत की सारी रसीद उनके हिस्से ही क्यों कट जाती है. अधिकारी बताते हैं कि सत्ता से जुड़े नेताओं की दखलअंदाजी अवैध खनन पर रोक लगाने में बड़ी अड़चन थी, तभी तो भरी बारिश में रेत का अवैध खनन धड़ल्ले से चलता रहा. वह भी तब जब ग्रीन ट्रिब्यूनल की सख्त गाइडलाइन जारी की गई थी. एक चर्चा ये भी है कि जिलों में ये रेत माफिया अपने आप को प्रशासन से ऊपर मान बैठे थे. धड़ल्ले से उनकी मनमानी जारी थी. बहरहाल अब जब मुखिया ने फ्री हैंड दे दिया है, तब बात ही क्या है.
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खुफिया एजेंसी की टेढ़ी नजर

सुनने में आया है कि केंद्र की खुफिया एजेंसी ने राज्य में हरकत तेज कर दी है. अधिकारियों से लेकर नेता तक उनके रडार में है. बेहद गोपनीय ढंग से जानकारियां जुटाई जा रही हैं. सूत्र ने इस बात की तस्दीक की है कि जमीनों में निवेश, खनन जैसे कुछेक मामलों में एजेंसियों का खास जोर है. रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, अंबिकापुर, कोरबा, रायगढ़ जैसे कई जिलों पर इनकी पैनी नजर है. हालांकि ये रूटिन एक्सरसाइज है कि एजेंसियां शक के बुनियाद पर चिन्हिंत लोगों को सर्विलांस में रखती हैं, लेकिन इस दफे सामने आई जानकारी कहती है कि बड़े मामलों की डील से जुड़े लोगों के पीछे सर्विलांस तेज किया गया है.
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एक और IPS की डेपुटेशन से जल्द वापसी

सीनियर IPS राजेश मिश्रा की होम कैडर में वापसी के बाद सेंट्रल डेपुटेशन पर काम कर रहे रामगोपाल गर्ग की वापसी का काउंटडाउन शुरू हो गया है. होम मिनिस्ट्री में उनकी वापसी की फाइल मूव कर दी गई है. रामगोपाल गर्ग इस वक्त सीबीआई में पोस्टेड हैं. हालांकि गर्ग का डेपुटेशन जुलाई में खत्म हो रहा है. हाल ही में उन्हें प्रोफार्मा प्रमोशन देते हुए डीआईजी प्रमोट किया गया था. इधर एक सूचना ये भी है कि आईजी, डीआईजी और एसपी के पेंडिंग प्रमोशन की फाइल मूव हो गई है. सब कुछ ठीक रहा, तो जल्द इसका आदेश जारी हो सकता है.