साल खत्म होते-होते आई IPS प्रमोशन की लिस्ट
आखिरकार बहुप्रतिक्षित आईपीएस प्रमोशन की लिस्ट आ गई. प्रमोशन तो होना ही था. ये रूटिन प्रक्रिया है, लेकिन आदेश निकलते-निकलते 11 महीने लग गए. हालांकि प्रमोशन पाने वाले अधिकारियों को चालू प्रभार दे दिया गया था, पर प्रभार तो प्रभार ही होता है. प्रमोशन लिस्ट पीएचक्यू-मंत्रालय की फाइलों में ही चक्कर लगाती रही. वैसे देशभर के तमाम राज्य इस प्रैक्टिस पर काम करते आए हैं कि पहली जनवरी को आईएएस-आईपीएस अधिकारियों के प्रमोशन की सूची जारी कर दी जाए. नए साल में नई जिम्मेदारी. सूबे में आईएएस वक्त पर प्रमोशन पाते गए, मगर आईपीएस को लेकर दो साल से यह प्रैक्टिस गड़बड़ा गई है. पिछले साल भी प्रमोशन लिस्ट अक्टूबर में आई थी और इस साल नवंबर में जारी की गई. एक महीना बीत जाता, तो पूरा साल ही खत्म. बहरहाल 2003 बैच के आईपीएस अधिकारी सुंदरराज पी, रतनलाल डांगी, ओ पी पाल, एस सी दिवेदी और आ पी साय आईजी प्रमोट हो गए हैं. इनमें से सुंदरराज, डांगी और पाल पहले से ही रेंज संभाल रहे हैं. 2007 बैच के जितेंद्र सिंह मीणा, दीपक कुमार झा, डी के गर्ग और बालाजी राव सोमावार डीआईजी प्रमोट हुए हैं. डेपुटेशन पर काम कर रहे इसी बैच के अभिषेक शांडिल्य और रामगोपाल गर्ग को प्रोफार्मा प्रमोशन दिया गया है. इधर 2008 बैच के आईपीएस प्रशांत अग्रवाल, पारूल माथुर, मिलना कुर्रे, कमलोचन कश्यप, के एल ध्रुव को सलेक्शन ग्रेड मिला है. इससे ये बैच अब एसएसपी प्रमोट हो गए. डेपुटेशन पर काम कर ही इस बैच की नीथूकमल को प्रोफार्मा पदोन्नति दी गई है.
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डी श्रवण छूटे
सलेक्शन ग्रेड पाने वाले 2008 बैच के आईपीएस अधिकारियों में केवल राजनांदगांव एसपी डी श्रवण बाकी रह गए हैं. लिस्ट में उनका नाम नहीं आया. इस पर पूरे महकमे में चर्चा होती रही कि जब पूरे बैच को प्रमोट किया गया, तो फिर उनका नाम कैसे छूटा? बताते हैं कि सीनियर अधिकारियों ने उनका एसीआर पेंडिंग रख दिया था, जिस वजह से यह चूक हो गई. हालांकि अब जानकारी मिल रही है कि उनके एसीआर को लेकर महकमा सक्रिय हो गया है. जल्द ही डी श्रवण को प्रमोट किए जाने का सिंगल आर्डर अलग से जारी किया जाएगा.
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DF0 दफ्तरों से गायब !
सूबे के अधिकांश वनमंडलों का हाल बेहाल है. फील्ड में हुए काम का भुगतान नहीं हुआ है. आलम यह है कि डीएफओ ने अपने दफ़्तरों में बैठना छोड़ दिया है. डीएफओ भागे-भागे फिर रहे हैं कि कहीं कोई लेनदार ना आ जाए और मुंह छिपाना पड़े. बताते हैं कि करीब 180 करोड़ रूपए का भुगतान पेंडिंग है. सभी जिलों के वनमंडल पाई-पाई के लिए जूझ रहे हैं. एक ही रोना है कि वित्त विभाग फंड जारी नहीं कर रहा. दरअसल मसला कैम्पा फंड से जुड़ा है. वित्त की स्वीकृति मिलेगी, तब जाकर फंड का ट्रांसफर वन विभाग के खाते में होगा. वन महकमे के खाते में पैसा आएगा, तभी जिलों में फंड जाएगा और फिर लेनदारों का भुगतान संभव होगा. लेकिन प्रक्रिया कब तक पूरी- होगी, फिलहाल कोई नहीं जानता. डीएफओ परेशान हैं, अब कोई सामान्य काॅल भी करता है, तो उसे रिसीव करने से बच रहे.
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….और फिर चल गई गोली !
राजधानी के बार- क्लब-रेस्तरा में लाइसेंसी पिस्टल लेकर जाने पर प्रतिबंध लगाने की खबर है. कहा जा रहा है कि रायपुर एसएसपी ने इसके निर्देश दिए हैं. दरअसल पिछले दिनों एक क्लब में एक प्रभावशाली युवक पर पिस्टल तानने की घटना के बाद ये कदम उठाया गया. लेकिन असल कहानी कुछ और है. बताते हैं कि नया रायपुर स्थित एक क्लब में पिस्टल सिर्फ तानी नहीं गई थी. बल्कि हवाई फायरिंग भी हुई. वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो प्रभावशाली युवक से दूसरे गुट के एक युवक का विवाद हो गया. दोनों पूर्व परिचित थे और उससे पहले भी दोनों के बीच तनातनी हो चुकी थी. एक-दूसरे पर टिप्पणी के दौरान विवाद गहराया और बीच बचाव में उतरे एक हिस्ट्रीशीटर ने हवाई फायरिंग कर दी. कानून व्यवस्था पर सख्त रुख अपनाए सूबे के मुख्यमंत्री और नए डीजीपी के अपराध पर अंकुश लगाने का फरमान का ही असर था कि हवाई फायरिंग की चर्चा हवाओं में बह गई. कोरोना काल में वीआईपी रोड के एक होटल में भी हवाई फायरिंग हुई थी. लगभग कुछ ऐसा ही मामला था, लेकिन तब शायद किसी की दिलचस्पी रही होगी कि मामले ने जमकर तूल पकड़ा था.