विधायकों की स्थिति !
भले ही विधानसभा चुनाव में डेढ़ साल से अधिक का वक्त बाकी रह गया है, लेकिन कांग्रेस की सत्ता में बने रहने की कवायद जोर-शोर से जारी है. अब इस मामले को ही देखिए. सुनने में आया है कि मुख्यमंत्री ने अपने विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करवाया है. तीन दौर का सर्वे किया जा चुका है, जिसमें कई विधायकों के कामकाज पर सवाल भी उठे हैं, तो कुछ मजबूत स्थिति में बरकरार है. एक विधायक ने बताया कि विधायकों को ये रिपोर्ट कार्ड विधायक दल की बैठक में दिया जाता है. एक अच्छी बात ये है कि लिफाफे में बंद कर एक-एक विधायकों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट गोपनीय ढंग से दे दी जाती है. खुद पढ़ो और अपने काम की खुद से समीक्षा करो. व्यक्तिगत तौर पर देने से उन विधायकों की इज्जत भी बच जाती है. वैसे कांग्रेस के कमजोर विधायक भी मुख्यमंत्री के उस ऐलान के बाद से सीना फुलाए घूम रहे हैं, जिसमें उन्होंने एक-एक विधायक को जीत दिलाने की बात कहीं थी. बहरहाल इसका ये मतलब कतई नहीं है कि विधायक अब काम धाम छोड़कर बैठ जाए. इमेज सुधारने की नसीहत दी गई है. अब सौ टके का सवाल ये कि चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस की नई रणनीति में इन 70 विधायकों में से कितनों की टिकट कटेगी, जो अगले चुनाव के लिए संसाधन जुटा रहे हैं?
मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है….
जानकारी देर से मिली, लेकिन मसला ताजा तरीन है. पता चला है कि विधानसभा में मदनवाड़ा न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट पेश होने खुद की भूमिका पर उठ रहे सवालों के बीच निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता ने चीफ सेक्रेटरी को चिट्ठी लिखी है. बताते हैं कि ये चिट्ठी 16 फरवरी को लिखी गई थी. यानी विधानसभा में रिपोर्ट पेश होने के पहले ही. अब यह मुकेश गुप्ता का डर था या फिर सफाई देने की कोशिश, मगर अपनी चिट्ठी में गुप्ता ने जांच आयोग के अध्यक्ष की भूमिका पर ही सवाल उठा दिए. कथित तौर पर ये आरोप लगाया कि जांच आयोग के अध्यक्ष जब पिछली सरकार में लोकायुक्त थे, तब उन्होंने ही उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया था. चीफ सेक्रेटरी को लिखी चिट्ठी का लब्बोलुआब मुकेश गुप्ता के शब्दों में कुछ यूं ही समझ आता है कि, मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है…बहरहाल ऐसा नहीं है कि आयोग की रिपोर्ट के बाद ही मुकेश गुप्ता की भूमिका पर सवाल उठे हो. मदनवाड़ा नक्सल अटैक के बाद से ही गुप्ता की भूमिका पर सवाल उठते रहे.
संजय शुक्ला की जल्द होगी ताजपोशी !
हालांकि ‘पावर सेंटर’ के इस कॉलम में हमने ये बताया था कि पीसीसीएफ और हेड आफ फारेस्ट राकेश चतुर्वेदी समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लेंगे. अब सुनने में आया है कि इसकी प्रक्रिया तेज हो गई है. अरण्य भवन और मंत्रालय के बीच पत्राचार शुरू हो गया है. जल्द ही संजय शुक्ला नए पीसीसीएफ बन जाएंगे. साल 2019 में मुदित कुमार को हटाकर जब राकेश चतुर्वेदी को पीसीसीएफ बनाया गया था, तब हॉफ बनने के लिए उन्हें कुछ वक्त इंतजार करना पड़ा था. मुदित कुमार की सीनियरिटी आड़े आ रही थी. मुदित कुमार को अरण्य भवन से हटाकर सीजी कॉस्ट का डीजी बनाया गया, तब राकेश चतुर्वेदी हेड आफ फारेस्ट बन सके थे. हालांकि इस बार मसला वैसा नहीं होगा. संजय शुक्ला की ताजपोशी सम्मानजनक होगी. वहीं पोस्ट रिटायरमेंट राकेश चतुर्वेदी के लिए सरकार ने सम्मानजनक ओहदा तैयार रखा है. चर्चा है कि उन्हें पाल्यूशन बोर्ड का चेयरमेन बनाया जा रहा है.
एक नजारा ऐसा भी…
विधानसभा के प्रमुख सचिव चंद्रशेखर गंगराड़े रिटायर हो गए. उनकी विदाई समारोह में स्पीकर, डिप्टी स्पीकर, नेता प्रतिपक्ष समेत पूरा विधानसभा परिवार शामिल था. हर किसी ने चंद्रशेखर गंगराड़े का साथ तस्वीरें खिचाई. बाद में प्रमुख सचिव जब अपने केबिन पहुंचे, तब वहां भी स्टाफ उनसे आकर मिलते रहे. इस दौरान कुछ ने टिप्पणी की कि एक नजारा ये है कि प्रमुख सचिव की विदाई के लिए पूरा स्टाफ उमड़ पड़ा, वहीं इससे पहले के प्रमुख सचिव जब रिटायर हुए. तब हर कोई अपने दफ्तर में काम करते मिला. महज कुछ ने ही परंपरा निभाते हुए विदाई दी थी. टिप्पणी ये भी सुनने को मिली प्रमुख सचिव बनने के बाद गंगराड़े को सरकारी आवास लेने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी थी, लेकिन जब खुद के रिटायर होने का वक्त आया, तब महीने भर पहले ही सरकारी आवास खाली कर दिया. चंद्रशेखर गंगराड़े की जगह सचिव दिनेश शर्मा ने ली है, जो स्पीकर के बेहद करीबी माने जाते हैं. हालांकि संकेत ये भी है कि गंगराड़े जल्द ही किसी नई और प्रभावी भूमिका में नजर आ सकते हैं.
‘आप’ को ना…
सूबे के मंत्री टी एस सिंहदेव ने पहली मर्तबा ये खुलकर जाहिर किया कि उन्हें आम आदमी पार्टी से ऑफर दिया गया था कि वह शामिल हो जाए, लेकिन उन्होंने दो टूक मना कर दिया. बीजेपी पर कहा कि मतभेद विचारधारा की है. यहां बीजेपी का जिक्र नहीं. बड़ी बात ये भी नहीं कि सिंहदेव ने आम आदमी पार्टी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया. राजनीतिक पंडित कहते हैं कि बड़ी बात आम आदमी पार्टी की अपनी तैयारी की है. सिंहदेव को पार्टी प्रवेश का ऑफर देना क्या ये संकेत नहीं कि आम आदमी पार्टी की कोशिश छत्तीसगढ़ में अपनी बंजर राजनीतिक जमीन को बड़े नेताओं को लाकर उर्वरक बनाने की है? मुंगेली के संदीप पाठक को राज्यसभा भेजा जाना उनके अच्छे काम का इनाम है, लेकिन इस इनाम के जरिए छत्तीसगढ़ से एक चेहरा खड़े करने की कवायद का हिस्सा भी इसे कहा जा रहा है. सुनाई पड़ा है कि इस महीने की दस तारीख आम आदमी पार्टी कुछ बड़ा करने जा रही है.
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