चंडीगढ़। बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के कारण चंडीगढ़ में सोमवार रात से बिजली संकट जारी है. इसकी वजह से लोग बेहद परेशान हो रहे हैं. उनके इन्वर्टर, मोबाइल सब डिस्चार्ज हो चुके हैं. बिजली नहीं होने के कारण घरों में पानी भी नहीं आ पा रहा है. कई इलाकों में ट्रैफिक लाइट्स काम नहीं कर रही हैं, जिससे यातायात व्यवस्था भी ध्वस्त है.

बुलानी पड़ी सेना

चंडीगढ़ में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से बिजली सेवाएं ठप हैं, इसके चलते सरकारी अस्पतालों में सर्जरी टाली जा चुकी है. PGI चंडीगढ़ भी अलर्ट पर है. आधे से ज्यादा शहर अंधेरे में है. लोगों के मोबाइल, लैपटॉप, फ्रिज, टीवी, इनवर्टर सब बंद पड़े हैं. दुकानों में भी लोगों के काम प्रभावित हो रहे हैं. चंडीगढ़ स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉ सुमन सिंह ने कहा कि हमारे पास जनरेटर की तरह एक बैकअप योजना है, लेकिन आप एक जनरेटर पर अस्पताल का 100 प्रतिशत भार नहीं डाल सकते हैं, इसलिए सर्जरी को टालना पड़ा. निजीकरण के विरोध में हड़ताल कर रहे कर्मचारी फॉल्ट सुधारने के लिए तैयार नहीं हैं, ऐसे में हालात से निपटने के लिए प्रशासन को सेना बुलानी पड़ी.

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कर्मचारी यूनियन को हाईकोर्ट की फटकार

इधर आज पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चीफ इंजीनियर की पेशी हुई. उसने एक एफिडेविट दिया है, जिसमें कहा गया कि शहर के 80% हिस्से में बिजली सप्लाई चालू हो चुकी है. चंडीगढ़ प्रशासन को हरियाणा से कुछ कर्मचारी मिले हैं, जिनको लेकर अब बिजली की खराबी को ठीक करने और संभालने का काम शुरू कर दिया गया है. इसके अलावा चंडीगढ़ के ही कुछ बिजली कर्मचारी धरना देने के साथ काम भी कर रहे हैं. हाईकोर्ट ने इस मामले में कर्मचारी यूनियन को भी फटकार लगाई है. उनसे कहा गया है कि जब निजीकरण का मामला हाईकोर्ट में पेंडिंग है, तो वह हड़ताल पर क्यों गए ? यह तो सीधे तौर पर क्रिमिनल कंटेंप्ट का मामला बनता है. हाईकोर्ट ने इस मामले में यूनियन से भी जवाब तलब किया है. इस मामले की कल फिर सुनवाई होगी.

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बिजली नहीं होने के कारण पढ़ाई भी प्रभावित

वहीं, अब चंडीगढ़ के प्रशासक गवर्नर बीएल पुरोहित के एडवाइजर ने यूनियन नेताओं की मीटिंग बुला ली है, जिसमें कर्मचारियों की मांगों को लेकर बातचीत चल रही है. बिजली नहीं होने के कारण पढ़ाई भी प्रभावित है. ऑनलाइन कक्षाएं और कोचिंग संस्थान भी बंद हैं. प्रशासन ने मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (MES), वेस्टर्न कमांड, चंडी मंदिर से मदद मांगी है. वहीं पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से भी सहयोग मांगा जा रहा है. इससे पहले हाईकोर्ट में प्रशासन ने कहा था कि पंजाब ने डेपुटेशन पर कर्मी भेजने में असमर्थता जताई थी.