राजकुमार पाण्डेय की कलम से

क्या माफिया बनने का इरादा है साहब?

भोपाल। इन दिनों एक बड़े अधिकारी बड़ी चर्चाओं में है। साहब की चर्चा का विषय है, इन्वेस्टमेंट। साहब पुराने IAS अधिकारी हैं। जब से साहब TNCP में रहे, तब से ही इन्हें जमीनों का शौक लग गया। अब साहब ने उसी क्षेत्र में बड़ा रकबा फंसाया है। यहां 50 किलो सोना वाले सौरभ शर्मा का मामला खुला था। वन क्षेत्र के अलावा साहब ने बिशनखेड़ी स्थित 19 एकड़ जमीन भी हाथ में की है। वहीं बिशनखेड़ी जो कैचमेंट एरिया में आता है। पते की बात तो यह है कि जहां जमीन ली वहां सिर्फ और सिर्फ माफिया है। इतने दाग लगे माफिया कि यहां भी पूरी संभावनाएं हैं कि यहां भी नियमों को ताक पर रख अरबों का खेल होगा। अब चर्चा का विषय यह है कि साहब के बड़े इन्वेस्टमेंट का राज क्या है?

बुढ़ापे में इश्क का खुमार

बड़े कद के एक मंत्री के करीबी ऑफ रिकॉर्ड PA महोदय का इश्क काखुमार उतरने का नाम ही नहीं ले रहा है। इनसे अक्सर महिला कर्मचारी ही प्रताड़ित रहती है। अब ट्रांसफर में भी आदरणीय ने मनमानी करने की खूब कोशिश भी की। एक दो मामले तो वैसे भी सामने नहीं आते, लेकिन यहां तो मामला दर्जनों का है। विभाग भी जबरदस्त और माननीय के एजेंट बने करीबी कथित PA साहब। सुनने में आया है कि साहब की शिकायत भी माननीय तक पहुंचाई गई। उसका अंजाम भी बुरा ही हुआ। न्याय के स्थान पर अन्याय हुआ और ट्रांसफर ऐसे स्थान पर किया की आप नौकरी छोड़ने पर ही मजबूर हो जाएं। एक बात और गजब की हुई जब तीन मामलों की पुरानी शिकायतों को फिर खोला गया है। गजब के माननीय हैं और गजब के उनके कथित PA

सदन में भागे भागे पहुंचे कई मंत्री

मध्यप्रदेश में मानसून सत्र के दौरान एक घटनाक्रम चर्चा का केंद्र रहा। सत्र के दौरान लंच ब्रेक के बाद सत्ताधारी दल के कई मंत्री विधायक सदन में नहीं पहुंचे और सदन की कार्यवाही शुरू हो गई। कार्यवाही में शामिल नहीं होने के चलते सदन का कोरम पूरा नहीं हो पा रहा था। आनन-फानन में मंत्री और विधायकों को फोन घनघनाया गया। इस दौरान भागे भागे विधायक, मंत्री सदन की कार्यवाही में शामिल होने पहुंचे। 

कांग्रेस मीडिया विभाग में कम्युनिकेशन गैप

मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग में 50 से ज्यादा प्रवक्ताओं की एक लंबी जंबो कमेटी है। लेकिन मीडिया कमेटी के सदस्यों के बीच आपसी तालमेल खराब हो चुका है। प्रवक्ता एक दूसरे को नीचे दिखाने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। जिसको जब मौका मिलता है वो दूसरे को निपटा देता है वो भी सार्वजनिक जगह पर। इन्हीं सबके चलते कई प्रवक्ताओं ने मध्यप्रदेश कांग्रेस दफ्तर भी आना बंद कर दिया है और विभाग के अध्यक्ष समस्या का हल करने की जगह मौन धारण करके बैठे हुए हैं। 

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