राजकुमार पाण्डेय की कलम से

कटे तो जुड़े

बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी के नामों पर मध्य प्रदेश से मंथन पूरा हो चुका है. देरी है तो दिल्ली से हरी झंडी मिलने की. कार्यकारिणी में स्थान मिलने को लेकर कुछ नेता असमंजस की स्थिति में हैं. कारण ये है कि स्थान मिलने के लिए हैं तो प्रबल दावेदार, लेकिन दूसरों के कारण नाम कट भी सकता है. यही पशोपेश की स्थति कुछ अन्य नेताओं की है. इन सभी नेताओं का यही मानना है कि दूसरे का कटेगा तब ही तो नाम जुड़ेगा.

कौन विदेशी

स्वदेशी अपनाने की मुहिम में मध्य प्रदेश के नेता तो बढ़-चढ़कर हिस्सा ले ही रहे हैं. कुछ अफसर भी स्वदेशी अपनाने के अभियान से जुड़ गए हैं. यह सब तो ठीक है. दोनों की बिरादरी में कुछ ऐसे सदस्य भी सक्रिय हो गए हैं तो ऊपर तक यह जानकारी पहुंचाने में जुटे हुए हैं कि विदेशी वस्तुओं का अधिक उपयोग उनका कौन प्रतिदंदी कर रहा है. एक नेताजी ने तो अपने प्रतिदंदी की हाथ घड़ी से लेकर गाड़ी तक की सूची ऊपर तक पहुंचाई है.

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2 लाख के बिजली खटका ऊपर

करीब दो हजार वर्गफीट के मकान में कितने के बिजली स्विच लगते हैं. आम तौर पर कितने भी महंगे स्विच लगवा लें, आंकड़ा हजारों में ही जाएगा. राजधानी के पॉश इलाके में बने एक अफसर ने अपने घर में पूरे दो लाख के अकेले बिजली खटका लगवाए हैं. अफसर के घर में लगे बिजली बटन की चर्चा अड़ोस पड़ोस तक फैल गई है. कुछ पड़ोसी तो ऐसे हैं जो देर-सबेर किसी न किसी बहाने से भाईसाहब के घर के बिजली खटका देखने आ जाते हैं.

मनचाही पोस्टिंग दी अब परफॉर्मेंस चाहिए

पिछली दो तबादला लिस्ट में पति-पत्नी अफसरों को उनके मनचाहे जिलों में पोस्टिंग दी गई है. खुद अफसरों को उम्मीद नहीं थी कि उनकी सुनवाई इतनी आसानी से हो जाएगी. पोस्टिंग देने के बाद अब अफसरों को संकेत भी दे दिए गए हैं कि मनचारी पोस्टिंग तो दे दी गई है अब परफॉर्मेंस भी चाहिए.

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पाजी कभी ऑफिस भी आ जाया करो, सब कुछ मैडम नहीं करेंगी

मध्य प्रदेश की स्कूल शिक्षा विभाग के एक प्रमुख अधिकारी को लेकर इन दोनों बहुत चर्चा सुर्खियों में है. साहब बहुत दिनों बाद किसी विभाग की जिम्मेदारी के लिए चुने गए लेकिन उनके कार्यप्रणाली को लेकर बहुत सवाल उठ रहे हैं. साहब ऑफिस आने के बजाय घर में फाइले बुलाना पसंद करते हैं. अब तो चर्चा यह हो गई है कि पाजी कभी समय पर आया करो सब का काम इन दिनों मैडम संभाल रही है, लेकिन मैडम के आदेश का पालन नीचे के बैठे अधिकारी नहीं कर रहे हैं. हालांकि एक महिला के मामले में सरकार से पंगा ले चुकेस लेकिन सरकार ने रियायत बताते हुए उनको क्लीन चिट दे दी, मगर उनका विभाग में मन नहीं लग रहा है. जिसे खामियाजा आम लोग भुगत रहे हैं. खास तौर पर उनके विभाग के ही शिक्षक भी अब भगवान से मनोकामना कर रहे हैं कि कब साहब जाए और उनके वापस लौटकर अच्छे दिन आए.

दिल्ली में देगा विरोधी खेमा दस्तक

मध्य प्रदेश में संगठन सृजन की लड़ाई अभी तक खत्म नहीं हुई है जो नेता जिला अध्यक्ष, शहर अध्यक्ष नहीं बन पाए हैं वो लगातार विरोध कर रहे हैं. उनकी नाराजगी कम होने के बजाये लगातार बढ़ती जा रही है और अब नाराज नेताओं का एक गुट तैयार हो गया जो जल्द दिल्ली जाएगा और आलाकमान से मुलाकात कर अपनी दावेदारी पेश करेगा. विरोधी गुट की रणनीति ये है कि किसी तरह संगठन सृजन को लेकर बनाए गए आईसीसी ऑब्जर्वर की रिपोर्ट आलाकमान तक पहुंचे, जिससे सच्चाई सामने आ सके. विरोधी खेमे को लगता ये है कि आईसीसी ऑब्जर्वर की रिपोर्ट में वो टॉप पर है, इसलिए किसी तरह उसे शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई जाए.

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गोवा ट्रिप और टेंडर

राजधानी भोपाल में नगर निगम का एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया. जहां टेंडर के बदले गोवा ट्रिप की मांग की गई. मामले को लेकर नगर निगम में गजब की चर्चा है. दरअसल, मामला सिविल वर्क के टेंडर से जुड़ा हुआ है. पहले टेंडर को लेकर जमकर सियासत हुई. 74 बंगले से लेकर मामला मंत्रालय तक पहुंचा. एक शर्त के चक्कर में कंपनी ने पहले सब मैनेज किया, लेकिन बाद में मामला नेता नगरी में उलझ गया. मामला गोवा ट्रिप से सुलझा है, यह ट्रिप भी बीते माह पूरी हुई.

धड़कनें हुई तेज

मध्यप्रदेश एसटीएफ की सबसे बड़ी कार्रवाई. मामला निवेशकों से 2283 करोड़ रुपये की ठगी का. कुछ निवेशक छोटे तो कुछ बड़े, मैं यहां कहूंगा जो बड़े निवेशक उनमें कुछ मगरमच्छ भी. सफेद पोश वरिष्ठ अफसर. मगरमच्छ इसलिए कहा गया क्योंकि ठगी की राशि भी करोड़ से कम नहीं होगी और नौकरी में रहते करोड़ का निवेश कैसे. मतलब, गजब का शिष्टाचार. खैर, जब से पूरा मामला मीडिया में आया तब से ही तीन प्रशासनिक महकमों में हलचल भी तेज है. उड़ती-उड़ती खबर तो यह भी है कि अफसरों तक एसटीएफ के हाथ दूर नहीं है. क्रिप्टो करेंसी के खेल के साथ बड़े ब्याज के काले जाल में अकसर बड़ों-बड़ों का नाम आ ही जाता है. वाकई एसटीएफ की कार्रवाई शानदार है. अब इंतजार इस बात का है कि इस मामले में एसटीएफ के साथ लोकायुक्त और आयकर विभाग की एंट्री कब होती है साहब.

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