राजकुमार पाण्डेय की कलम से

मंत्रालयीन अफसर ने आंकड़ों के साथ दिखा दिया विभागीय मंत्री को आईना

विधानसभा में विभागों के आंकड़े ही पूरे कामकाज का लेखा जोखा होते हैं. सत्र के बीच ड्रॉप आउट का मसला उठा तो मंत्री महोदय ने आंकड़े गिनाकर विपक्ष को पटकनी दे डाली. लंबे समय तक चली बहस के बीच सत्तापक्ष अपने आंकड़ों के दम पर सदन में दम भरता नजर आया. इधर, मंत्रीजी की फजीहत तब हो गई जब इस घटनाक्रम के दो दिन बाद मंत्रालयीन अफसरों ने अपने अलग ही आंकड़े जारी कर दिए. कहा जा रहा है कि यह खेला असली आइना दिखाने के लिए किया गया था.

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कोर्ट ने पूछा तो SIR में हो गई 83 फीसदी अटेंडेंस

स्कूलों में ई-अटेंडेंस की हालत कैसी है, यह किसी से छुपी नहीं है और इस पर मोटी रकम भी खर्च की गई है. कोर्ट में चले केस के दौरान दलीलें आईं कि ई-अटेंडेंस तो लग ही नहीं रहीं. इस बीच कोर्ट ने विभाग से ई-अटेंडेंस का आंकड़ा पूछ लिया. विभाग ने समय मांगा और मंत्रालय से लेकर जिला स्तर पर ऐसा जोर लगाया कि शिक्षकों को मिले SIR के काम के बीच ई-अटेंडेंस का ग्राफ चढ़कर 83 फीसदी पहुंच गया. ई-अटेंडेंस एप की जानकारी अदालत की दहलीज पर पहुंची तब जाकर इसका खुलासा हो सका.

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खबरों से तैयार कर रहे रिपोर्ट

सरकार की खामियां तलाशनी हो तो खबरों से पूरी तरह अपडेट रहना जरूरी हो ही जाता है. लेकिन खबरों को ही माध्यम बनाकर अन्य कोई होमवर्क नहीं करना थोड़ा अचरज भरा लगता है. लेकिन प्रमुख विपक्षी दल के एक नेताजी ने यही कर दिया. चैनल्स की लिंक और अखबारों की कटिंग की नेताजी के पास भरमार है और सरकार की खामी गिनाने के यही सबूत. इन्हीं को माध्यम बनाकर नेताजी अपने सबूतों की बानगी सुनाते हुए नजर आते हैं.

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जिले में बैठे पुलिस अफसर विधानसभा में रहे व्यस्त

विधानसभा सत्र के दौरान वैसे तो हर विभाग के अधिकारियों की व्यस्तता बढ़ जाती है, लेकिन एक जिले के प्रमुख पुलिस अधिकारी कुछ ज्यादा ही व्यस्त रहे. अफसर महोदय कार्यालय तो आते थे, लेकिन कोई मेल-मुलाकात के लिए आ जाए तो बाहर से ही जवाब मिलता था कि भोपाल में विधानसभा चल रही है और साहब जानकारी जुटाने में बिजी हैं. विधानसभा की जानकारी के नाम पर महोदय ने अपने कार्यालय में खूब आराम फरमाया.

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