मंत्रीपुत्र को अभी भी उम्मीद

बीजेपी ने दूसरी सूची में तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित सात सांसदों को मैदान में उतारकर पार्टी और विपक्ष के साथ समूचे मध्य प्रदेश को चौंका दिया है… लेकिन मध्य प्रदेश के एक मंत्रीपुत्र को अभी भी आस बनी हुई है कि उनका नाम भी टिकट की सूची में आएगा… टिकट वितरण के नए समीकरण आने के बाद प्रदेश से लेकर दिल्ली तक मंथन किया… और बाद में पिता-पुत्र ने निष्कर्ष निकाला कि पिता का टिकट तो पक्का है ही… लेकिन समीकरण सटीक बैठ गए तो मनचाहा टिकट भी मिल सकता है… आपको बता दें राजनैतिक पोस्टर को लेकर हाल ही में नेताजी चर्चा में आए थे…

ममता के कदम से छोटे राजा खुश
राजनीति में विपक्षियों की की चाल से कभी-कभी विरोधियों का भी भला हो जाता है… मध्य प्रदेश में मालवा और बुंदेलखंड के प्रवेशद्वार की विधानसभा में भी ऐसा ही कुछ हुआ है… जहां बीजेपी की ममता ने झाडू थामी तो इसका सीधा-सीधा फायदा छोटे राजा को हो गया… छोटो राजा को मीणा समाज की कददावर नेता के इस कदम की लंबे समय से प्रतीक्षा थी… छोटे राजा अब सारे समीकरण अपने अनुकूल मानकर चल रहे हैं…

आने लगे समीकरण वाले फोन
चुनाव में ऊंट किस करवट बैठैगा… इसका पहला अंदाजा जिलों में प्रशासनिक काम संभालने वाले लगा लेते हैं… पल्ला किसका भारी नजर आ रहा है… इससे वो भलीभांति वाखिफ भी हो गए हैं… इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि जमावट के लिए राजनैतिक दलों के कार्यालयों में इनके फोन आने लगे हैं… फोन करने के साथ पहले जमीन मजबूत होने की बात बताते हैं… फिर चुनाव बाद खुद के समीकरणों को लेकर चर्चा करते हैं… अब सवाल ये है कि इनकी नजर में आखिर पल्ला किसका भारी है… चौथे स्तंभ की मर्यादा के कारण फिलहाल हम भी खुलकर नहीं लिख सकते…

जबरन की न से कई की नींद हराम

मध्यप्रदेश में चुनावी रंग सुर्ख लाल होता जा रहा है। टिकट वितरण को लेकर ऐसे समीकरण सामने आ रहे हैं, जो चौंकाने वाले हैं। लिहाजा बीजेपी के कई मंत्रियों तक नींद उड़न छू हो गई है। अब यशोधरा राजे सिंधिया को ही देख लीजिए। यह अलग बात है कि तबीयत का बहाना और सीट खाली करना। लेकिन, चौंकाने वाले नामों के साथ इलेक्शन मैनेजमेंट का गेम खेल रही बीजेपी के निर्णयों ने कई नेताओं की चैन छीन लिया है। इसमें ग्वालियर-चंबल और मालवा क्षेत्र के मंत्री का ब्लड प्रेशर हाई हो चुका है। दो राज्य मंत्री और एक ठेठ गांव के कैबिनेट मंत्री तो दिल्ली तक अपनी फील्डिंग जमाने में लगे हुए हैं।

कॉल सेंटर, करोड़ों का खेल और फर्जी कॉल, माननीय को भनक नहीं

कहते हैं गलतियों से सबक लेना चाहिए। लेकिन, भोपाल नगर निगम तो मानों गलतियों के लिए ही बना है। बीते दिनों एक टेंडर में बचे बवाल के बाद अब कॉल सेंटर के लिए फर्जी कॉल और लंबे खेल का मामला सुर्खियों में है। पहले तो टेंडर में गड़बड़ी फिर एक कंपनी को लाभ पहुंचाने कागजों में गड़बड़ी हुई। इससे भी बात नहीं बनी तो एक मंत्री के नाम से फर्जी कॉल भी ठोक दिया गया। वैसे यह कॉल भी भोपाल नगर निगम और यूएडीडी में वरिष्ठ पद पर रहे अफसर ने किया। आजकल इनका ठिकाना मंत्री जी के स्टॉप में है। खबर पक्की है कि करोड़ों के इस खेल की भनक भी मंत्री जी को नहीं। वरना चुनावी समय में आखिर कौन अपने हाथ जलाना चाहता है।

चर्चा जोरो पर है
मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर मोदी-अमित शाह की जोड़ी प्राथमिक रूप से एक तीर से हजार तरह के समीकरण साधने में सफल रही है… बीजेपी की दूसरी सूची आई और समीकरण विपक्ष के खराब हो गए…चर्चा जोरों पर है कि बीजेपी की सूची के आधार पर कांग्रेस में नए सिरे से मंथन हुआ है… कुछ चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हुई है तो कुछ की सीधे विधानसभा से मांग निकलकर आई थी कि समीकरणों पर नए सिरे से मंथन किया जाए…वंही बीजेपी के अंदर भी चर्चा जोरो पर है कि आने वाली सूची में कई और दिग्गज बीजेपी नेताओं के नाम हो सकते है।

(सुधीर दंडोतिया की कलम से)

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