कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश सरकार में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को 2018 के रेल रोको आंदोलन मामले में बड़ी राहत मिली है। ग्वालियर की एमपी एमएलए कोर्ट ने पुलिस की उस खात्मा रिपोर्ट को मंजूर किया है जिसमें मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के खिलाफ जांच में कोई साक्ष्य न मिलने की बात कही गयी। एमपी एमएलए कोर्ट ने केस डायरी पर खात्मा स्वीकृति देते हुए पुलिस को निर्देश दिए हैं कि मामले में भविष्य में सही साक्ष्य पता चलने पर आगे जांच किया जाए।
दरअसल बीते 3 अगस्त 2018 को तत्कालीन कांग्रेस के पूर्व विधायक और वर्तमान में प्रदेश सरकार में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने रेल रोको आंदोलन का आवाहन किया था। इस दौरान प्रद्युम्न सिंह तोमर अपने 300 से ज्यादा कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भीड़ के साथ मानसिंह चौराहे पर इकट्ठा हुए थे। जिसके बाद सभी ग्वालियर रेलवे स्टेशन की ओर रेल रोकने निकल पड़े।
रेल रोको आंदोलन के दौरान शुरुआती दौर में पुलिस बल और कार्यकर्ताओं के बीच हल्की धक्का मुक्की शुरू हुई थी। लेकिन बाद में उपद्रव बढ़ने पर मौके पर मौजूद कलेक्टर और एसडीएम की अनुमति के बाद बल प्रयोग किया गया और अश्रु गैस के गोले भी दागने पड़े थे। तब कहीं जाकर उपद्रवियों की भीड़ को तितर बितर किया गया। इस उपद्रव मामले में पुलिस कर्मचारियों के साथ मारपीट के अलावा शासकीय कार्य में बाधा डालने और शासकीय वाहन में तोड़फोड़ के कारण पड़ाव थाना पुलिस ने प्रद्युम्न सिंह तोमर और उनके साथी पप्पू सिंह रोहित सिंह सहित 300 से ज्यादा महिला पुरुष कार्यकर्ताओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 341 353 186 427 और 147 के तहत मामला दर्ज किया था।
ग्वालियर सीएसपी के निर्देशन में जांच के बाद पड़ाव थाना पुलिस ने इस आशय के साथ रिपोर्ट कोर्ट में पेश किया। जिसमें बताया गया कि मामले में सभी पुलिस के शासकीय कर्मचारी गवाह रहे लेकिन कोई स्वतंत्र गवाह न होने से प्रद्युमन सिंह तोमर और उनके साथियों के विरुद्ध सबूतों का अभाव रहा है। ऐसे में खात्मा निवेदन को स्वीकार किया जाए। जिस पर कोर्ट ने 7 मई 2022 को पुलिस के आवेदन को नामंजूर करते हुए निर्देश दिए कि मामले की जांच में जिन शासकीय वाहन के साथ प्राइवेट वाहनों की तोड़फोड़ की गई है उनके वाहन मालिकों के बयान के आधार पर आगे की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाए।
पुलिस ने कोर्ट के निर्देश के बाद 18 अप्रैल 2023 को एक बार फिर कोर्ट के समक्ष खात्मा रिपोर्ट पेश की थी जिसमें बताया गया कि परिवहन विभाग से वाहन मालिकों के नाम की जानकारी प्राप्त हुई। लेकिन जो एड्रेस दस्तावेजों में थे उस पते पर कोई भी व्यक्ति नहीं मिला। जिसके चलते कथन होने के हालात नहीं बन सके। लिहाजा कोर्ट ने शनिवार को ऑर्डर जारी किए जिसमें बताया गया है कि जांच में प्रद्युम्न सिंह तोमर और उनके साथियों के खिलाफ कोई भी चलानी योग्य सबूत नहीं मिले। ऐसे में प्रद्युम्न सिंह तोमर और उनके साथियों को बड़ी राहत देते हुए केस डायरी की खात्मा स्वीकृति मंजूर की गई। इसके साथ ही पुलिस को निर्देश दिए कि भविष्य में मामले से जुड़े सबूत पता चलने पर जांच की जाए।
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