Prashant Kishor prediction on Modi government 3.0: लोकसभा चुनाव-2024 (Lok Sabha Elections-2024) अब अपने अंतिम चरण में है। सिर्फ दो चरण के मतदान शेष है। वहीं राजनीतिक विश्लेषक प्रशांत किशोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को लेकर हर दिन नई भविष्यवाणी कर रहे हैं। प्रशांत किशोर ने कहा कि मुझे लगता है कि मोदी 3.0 सरकार धमाकेदार शुरुआत करेगी। तीसरे कार्यकाल में मोदी सरकार में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में ला सकती है। राज्यों की केंद्र सरकार पर निर्भरता बढ़ाने के लिए राज्यों की फाइनेंशियल ऑटनोमी पर अंकुश लगाया जा सकता है। अंग्रेजी-हिंदी मैगजीन इंडिया टुडे के साथ एक इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने मोदी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी नैरेटिव में स्ट्रक्चरल और ऑपरेशनल बदलावों की भविष्यवाणी की।

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वहीं उत्तर प्रदेश में नेतृत्व बदलाव के सवाल पर पीके ने कहा कि किसी के बयान से बीजेपी में इतने बड़े मुद्दे पर कोई कन्फ्यूजन नहीं हो सकता। मुझे नहीं लगता कि यूपी सरकार के साथ मोदी सरकार कोई छेड़छाड़ करेगी। सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। यह इतना आसान नहीं है कि आप उठें और नेतृत्व में बदलाव हो जाएगा।

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प्रशांत किशोर ने कहा कि मुझे लगता है कि मोदी 3.0 सरकार धमाकेदार शुरुआत करेगी। केंद्र के पास शक्ति और संसाधन दोनों का और भी ज्यादा कंसंट्रेशन होगा। राज्यों की फाइनेंशियल ऑटोनोमी में कटौती करने की भी कोशिश की जा सकती है। प्रशांत किशोर ने कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई बड़ा गुस्सा नहीं है और बीजेपी लगभग 303 सीटें जीतेगी।

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‘पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है’

राजनीतिक रणनीतिकार किशोर ने कहा कि राज्यों के पास वर्तमान में राजस्व के तीन प्रमुख स्रोत हैं – पेट्रोलियम, शराब और भूमि। उन्होंने कहा कि मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर पेट्रोलियम को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। फिलहाल पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और नेचुरल गैस जैसे पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। हालांकि, उन पर अभी भी वैट, सेंट्रल सेल्स टैक्स और सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी लगते हैं।

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राज्यों के राजस्व में होगा भारी नुकसान

उन्होंने आगे कहा कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के तहत लाना इंडस्ट्री की लंबे समय से मांग रही है। देश के राज्य इस मांग के खिलाफ रहे हैं, क्योंकि राज्यों को इससे राजस्व का भारी नुकसान होगा। मसलन, अगर पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो इससे राज्यों को टैक्स का नुकसान होगा और अपना हिस्सा हासिल करने के लिए राज्यों को केंद्र पर और ज्यादा निर्भर रहना होगा। मौजूदा समय में जीएसटी के तहत उच्चतम टैक्स स्लैब 28% है। पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन पर 100% से ज्यादा टैक्स लगता है।

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