अररिया। बिहार चुनाव से पहले जन सुराज के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) एक नए विवाद में फंस गए हैं। दो राज्यों की मतदाता सूची में नाम होने के मामले में चुनाव आयोग ने पीके को नोटिस जारी किया है। हालांकि पीके ने इस पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि यह सिर्फ प्रशासनिक भ्रम है और इसमें उनकी कोई गलती नहीं है।
चुनाव आयोग ने जारी किया नोटिस
निर्वाचन आयोग ने प्रशांत किशोर को नोटिस भेजते हुए तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा है। आयोग के मुताबिक, पीके का नाम बिहार के करगहर विधानसभा क्षेत्र और पश्चिम बंगाल के भबानीपुर विधानसभा क्षेत्र- दोनों जगहों की वोटर लिस्ट में दर्ज है। रिटर्निंग ऑफिसर ने जानकारी दी कि बिहार में पीके का नाम मतदान केंद्र संख्या 367 (मध्य विद्यालय, कोनार, उत्तर भाग) में दर्ज है। उनका मतदाता पहचान पत्र नंबर IUI3123718 है। वहीं पश्चिम बंगाल में उनका नाम भबानीपुर विधानसभा क्षेत्र के सेंट हेलेन स्कूल, बी. रानीशंकरी लेन स्थित मतदान केंद्र पर दर्ज पाया गया है।
2021 से मेरा वोटर आईडी करगहर का
यह मामला सामने आने के बाद निर्वाचन विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए SIR (Special Inquiry Report) के तहत जांच शुरू की है। प्रशांत किशोर का जवाब सामने आया और कहा मैं 2019 से करगहर का मतदाता हूं, झूठा विवाद बनाया जा रहा। इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा मैं 2019 से करगहर विधानसभा क्षेत्र का मतदाता हूं। बीच में जब मैं दो साल कोलकाता में था, तो वहां का मतदाता पहचान पत्र बनवाया था। 2021 से मेरा वोटर आईडी करगहर का है। अगर आयोग ने SIR कर लिया था और मेरा नाम करगहर में बना हुआ है तो अब झूठ-मूठ का नोटिस क्यों भेज रहे हैं? चुनाव आयोग ने अगर यह मान लिया कि मेरा नाम दो जगह है, तो बाकी लोगों को क्यों परेशान कर रहा है? यह नोटिस केवल दिखावे के लिए है, इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं।
विवाद के राजनीतिक मायने
प्रशांत किशोर इस समय जन सुराज अभियान के तहत बिहार में जनता से जुड़ने के कार्यक्रम चला रहे हैं। दो वोटर आईडी वाले इस विवाद ने उन्हें राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर ला दिया है। कुछ विपक्षी नेताओं का कहना है कि पीके को पहले अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, जबकि उनके समर्थकों का दावा है कि यह राजनीतिक दबाव में की गई कार्रवाई है।
यह विवाद खत्म हो जाएगा
चुनाव आयोग अब पीके से प्राप्त जवाब के बाद आगे की कार्रवाई तय करेगा। यदि यह सिद्ध होता है कि उनका नाम दो राज्यों की मतदाता सूची में दर्ज है, तो यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 17 के तहत कानूनी उल्लंघन माना जा सकता है। हालांकि पीके का कहना है कि वे सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ जवाब देंगे और जल्द ही यह विवाद खत्म हो जाएगा।
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