रायपुर- मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि शिक्षा की मशाल से ही हम सब मिलकर नक्सलवाद को खत्म करेंगे। उन्होंने कहा-नक्सल हिंसा और आतंक का जवाब शांति और विकास तथा शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के जरिए दिया जा रहा है। बस्तर को बंधक बनाने की साजिश अब नहीं चलेगी। किसी को भी स्कूलों, अस्पतालों को तोड़ने का हक नहीं है। शिक्षा के जरिए इन इलाकों में जागृति आ रही है। मुख्यमंत्री आज शाम यहां अपने निवास परिसर में प्रयास आवासीय विद्यालयों से आईआईटी और एनआईटी जैसी राष्ट्रीय स्तर की तकनीकी शिक्षा संस्थाओं के लिए चयनित 54 बच्चों के सम्मान समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने कहा-नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा और सुकमा जिले में संचालित एजुकेशन सिटी में आज नक्सल क्षेत्रों के छह-सात हजार बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे क्षेत्रों और अन्य सुदूरवर्ती इलाकों के बच्चों के लिए मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना के तहत राज्य के सभी पांच संभागीय मुख्यालयों में प्रयास आवासीय विद्यालयों का भी संचालन किया जा रहा है, जिनके काफी उत्साहवर्धक नतीजे मिल रहे हैं। इस वर्ष प्रयास आवासीय विद्यालयों के 54 बच्चों का आईआईटी और एनआईटी जैसी उच्च तकनीकी शिक्षा संस्थाओं में चयन होना, जहां एक बड़ी उपलब्धि है, वहीं यह इन बच्चों में शिक्षा के साथ बढ़ते आत्मविश्वास का भी परिचायक है। मुख्यमंत्री ने इन सभी बच्चों, उनके अभिभावकों और शिक्षकों को तथा प्रयास आवासीय विद्यालयों के सुचारू संचालन में लगे अधिकारियों को बधाई दी। डॉ. रमन सिंह ने कहा-इस वर्ष प्रयास विद्यालयों के इन बच्चों ने एक सफलता हासिल की है। राष्ट्रीय स्तर की संयुक्त इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में इन बच्चों को उत्साहजनक कामयाबी मिली है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर राजधानी रायपुर के गुढ़ियारी में बालक-बालिकाओं के लिए संचालित ढाई-ढाई सीटों वाले प्रयास आवासीय विद्यालयों में सीटों की संख्या दोगुनी करने की भी घोषणा की।
उन्होंने कहा कि अब राजधानी के इन प्रयास विद्यालयों में 500-500 बच्चों को प्रवेश मिलेगा। डॉ. रमन सिंह ने यह भी कहा कि प्रयास आवासीय विद्यालयों के जिन बच्चों का चयन आईआईटी के लिए हुआ है, उन्हे छात्रावास और मेस की फीस के लिए हर साल 40 हजार रूपए की सहायता राज्य सरकार की ओर से दी जाएगी। डॉ. रमन सिंह ने जिला मुख्यालय कोरबा में भी बालक-बालिकाओं के लिए 250-250 सीटों के प्रयास विद्यालयों की स्थापना जल्द करने का ऐलान किया। उन्होंने यह भी कहा कि जशपुर जिले में प्रशासन द्वारा बच्चों को जेईई आदि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए संकल्प परियोजना के तहत कोचिंग की सुविधा दी जा रही है। राज्य सरकार इसके लिए वहां जो भी अतिरिक्त फैकल्टी और अन्य संसाधनों की जरूरत होगी, उसके लिए पूरी मदद करेंगी। उन्होंने कहा-हम सबकी यह इच्छा है कि पटना के सुपर 30 की तर्ज पर छत्तीसगढ़ के हर जिले से हम लोग मिलकर सुपर 36 का लक्ष्य निर्धारित करें, ताकि हर जिले में कम से कम 36 बच्चों का चयन आईआईटी और एनआईटी जैसी संस्थाओं के लिए हो सके।
समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने आगे कहा-छत्तीसगढ़ के खुशहाल भविष्य के लिए राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2010 में रायपुर में प्रयास आवासीय विद्यालय की शुरूआत की गई थी। अब सभी पांच संभागीय मुख्यालयों में इनका संचालन हो रहा है। मुख्यमंत्री ने इन विद्यालयों के परीक्षा परिणामों पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि रायपुर में 266 बच्चों के साथ वर्ष 2010 में शुरू हुए प्रयास विद्यालय से पहले बैच में 151 बच्चों ने अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा (एआई-ट्रिपल-ई) में कामयाबी हासिल की। बाद के वर्षों में भी प्रयास विद्यालयों के कई बच्चों का चयन उच्च तकनीकी शिक्षा संस्थाओं के लिए हुआ। मुख्यमंत्री ने इस वर्ष आईआईटी और जेईई तथा एनआईटी में प्रवेश की योग्यता हासिल कर चुके 54 बच्चों का उल्लेख करते हुए उनसे कहा -आपने बचपन से काफी संघर्ष देखा है। ये आपका आत्मविश्वास है और आपके साथ आपके माता-पिता और शिक्षकों का आशीर्वाद है कि आपने इतनी बड़ी सफलता हासिल की है। आप इसी तरह आगे भी मेहनत और लगन के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखें। आईआईटी और एनआईटी की पढ़ाई पूरी होने के बाद आपके लिए जीवन का एक बड़ा व्यापक क्षेत्र बनेगा। मुख्यमंत्री ने इन बच्चों से यह भी कहा कि अपने जड़ों को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने सभी बच्चों और उनके अभिभावकों के सम्मान में रात्रि भोज का भी आयोजन किया। समारोह को सम्बोधित करते हुए स्कूल शिक्षा और आदिम जाति विकास मंत्री श्री केदार कश्यप ने प्रयास आवासीय विद्यालयों के बच्चों को बारहवीं बोर्ड सहित अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षाओं में लगातार मिल रही शानदार कामयाबी का उल्लेख किया और इसके लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट किया।
श्री कश्यप ने कहा-मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के मार्गदर्शन में और उनकी प्रेरणा से ही प्रयास विद्यालयों की स्थापना का लक्ष्य पूर्ण हो रहा है। सुकमा और जावंगा (दंतेवाड़ा) की एजुकेशन सिटी आज एक रोल मॉडल है। दुर्ग में बालिकाओं के लिए 500 सीटों के छात्रावास की स्थापना की गई है। श्री कश्यप ने कहा-सरस्वती साईकिल योजना की वजह से आज प्रदेश के हाईस्कूलों में बालिकाओं की दर्ज संख्या 60 प्रतिशत से बढ़कर 97 प्रतिशत तक पहुंच गई है। ड्रॉपआउट लगातार कम हो रहा है। श्री कश्यप ने भी प्रयासा विद्यालयों से आईआईटी और एनआईटी के लिए चयनित बच्चों को बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड ने अपने उद्बोधन में प्रयास विद्यालयों के बच्चों की सफलता में उनके शिक्षकों, अभिभावकों और संबंधित जिला कलेक्टरों की भूमिका की भी विशेष रूप से सराहना की।
मुख्य सचिव ने कहा-मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों के अनुरूप प्रशासन के अधिकारी प्रयास विद्यालयों का सुचारू संचालन सुनिश्चित कर रहे हैं। रायपुर कलेक्टर ओ.पी. चौधरी ने समारोह में बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर राजधानी के गुढ़ियारी स्थित प्रयास बालक आवासीय विद्यालय को बहुत जल्द सड्डू में शिफ्ट किया जाएगा। गुढ़ियारी में बालिकाओं का प्रयास आवासीय विद्यालय यथावत संचालित होगा। जशपुर कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला ने वहां संचालित संकल्प परियोजना की जानकारी दी। समारोह में पिछले वर्षों की प्रतियोगी परीक्षाओं से आईआईटी के लिए चयनित छात्र -छात्राओं ने अपने अनुभव साझा किए। इनमें से श्री करण राठिया जशपुर जिले पत्थलगांव के निवासी हैं। उन्होंने वर्ष 2014 से वर्ष 2016 तक रायपुर के प्रयास विद्यालय में अध्ययन किया था। वे अभी आईआईटी धनबाद में पेट्रोलियम इंजीनियरिंग की शिक्षा ले रहे हैं। अम्बिकापुर (सरगुजा) के ऋषिकेश तिग्गा वर्तमान में कानपुर आईआईटी के छात्र हैं। इस वर्ष जेईई एडवांस में 169वें रैंक के साथ प्रयास विद्यालय की छात्रा किरण तटबंधी का भी आईआईटी के लिए चयन हुआ है। वे बलरामपुर जिले के ग्राम सनावल की निवासी हैं। उनके पिता ट्रक ड्राईवर हैं। तीनों छात्र-छात्राओं ने कहा-आईआईटी में चयन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के आशीर्वाद और प्रयास विद्यालयों के शिक्षकों के मार्गदर्शन से ही संभव हुआ है। समारोह में बताया गया कि आज सम्मानित हुए 54 विद्यार्थियों में से 31 विद्यार्थी प्रयास विद्यालयों के और 23 विद्यार्थी अन्य जिलों में संचालित प्रकल्पों में से हैं। इन्होंने आईआईटी और एनआईटी के लिए क्वालिफाई किया है। कुल 42 बालक और 12 बालिकाएं इनमें शामिल हैं। चयनित बच्चों में से 21 विद्यार्थियों के चयन आईआईटी तथा आईआईटी (प्रीपेटरी) के लिए तथा 33 का चयन एनआईटी के लिए किया गया है।
अंग्रेजी बोलना विद्वता की निशानी नहीं : डॉ. रमन सिंह
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा- हमें अधिक से अधिक भाषाएं सीखने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सिर्फ अंग्रेजी बोलना ही विद्वता की निशानी नहीं है। विदेशों में तो होटलों के बैरे और बटलर भी अंग्रेजी बोलते हैं। मुख्यमंत्री ने आज शाम यहां अपने निवास परिसर में प्रयास आवासीय विद्यालयों से आईआईटी और एनआईटी के लिए चयनित छात्र-छात्राओं को सम्मानित और सम्बोधित करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा-राज्य के आदिवासी बहुल और सुदूरवर्ती नक्सल प्रभावित इलाकों के इन बच्चों ने जीवन के कठिन संघर्षों के बीच यह कामयाबी हासिल की है। मेरी शुभकामना है कि जीवन के हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाएंगे। डॉ. रमन सिंह ने कहा-तकनीकी पढ़ाई के लिए अंग्रेजी सीखना तो जरूरी है, लेकिन हमे अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी और अपनी मातृभाषाओं को नहीं भूलना चाहिए। डॉ. सिंह ने हाल ही की अपनी दक्षिण कोरिया और जापान यात्रा का उल्लेख करते हुए कि इन दोनों देशों में जहां भी मैं गया, जिस कार्यक्रम में गया, वहां के लोगों को उनकी अपनी भाषाओं में बोलते देखा। मैंने भी वहां कार्यक्रमों को अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी में सम्बोधित किया, जिसका मुझे गर्व है।