भारत सरकार स्मार्टफोन निर्माताओं को प्रीइंस्टॉल ऐप्स को हटाने और प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम अपडेट की अनिवार्य स्क्रीनिंग की अनुमति देने के लिए नए सिक्योरिटी नियम बनाने की योजना बना रही है. हाल ही में पेश किए गए एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. बता दें कि आज के समय में अधिकतम स्मार्टफोन निर्माता Android पर बेस्ड अपनी कस्टम स्किम के साथ ब्लोटवेयर्स (पहले से इंस्टॉल किए थर्ड-पार्टी ऐप्स) देखे हैं, जिनमें Xiaomi, Vivo, Realme, Tecno, Samsung सहित कुछ अन्य ब्रांड्स शामिल हैं.
नए सुरक्षा नियम
हालांकि, अब तक नए सुरक्षा नियम के बारे में ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है. लेकिन कहा जा रहा है कि इससे दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्मार्टफोन मार्केट में नई स्मार्टफोन की लॉन्चिंग पर प्रभाव पड़ सकता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि जासूसी और यूजर्स डाटा के दुरुपयोग के बारे में चिंताओं के बीच भारत का आईटी मंत्रालय इन नए नियमों पर विचार कर रहा है, क्योंकि यह जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं है. अधिकारी ने कहा कि पहले से इंस्टॉल किए गए एप एक कमजोर सुरक्षा बिंदु हो सकते हैं और हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि चीन सहित कोई भी विदेशी देश इसका फायदा नहीं उठा रहा है. अधिकारी ने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है.
नए नियमों के तहत, स्मार्टफोन निर्माताओं को एप को हटाने यानी अनइंस्टॉल करने का ऑप्शन देना होगा और भारतीय मानक एजेंसी ब्यूरो द्वारा अधिकृत लैब द्वारा नए मॉडल की जांच भी की जाएगी. वहीं सरकार यूजर्स के लिए रोल आउट करने से पहले हर बड़े ऑपरेटिंग सिस्टम अपडेट की स्क्रीनिंग को अनिवार्य करने पर भी विचार कर रही है. हालांकि, सरकार की ओर से अब तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
बता दें कि 2020 में भारत और चीन के बीच हुए बॉर्डर क्लैश के बाद से भारत ने चाइनीज कंपनियों पर नकेल कसनी शुरू कर दी, जिसके तहत TikTok सहित 300 से अधिक चाइनीज ऐप पर बैन भी लगा दिया गया था. सरकार ने कुछ बड़ी चाइनीज फर्म के निवेश की जांच भी तेज कर दी है.
वर्तमान में, अधिकांश स्मार्टफोन पहले से इंस्टॉल किए गए ऐप्स के साथ आते हैं जिन्हें हटाया नहीं जा सकता, जैसे कि चीनी स्मार्टफोन निर्माता शाओमी का ऐप स्टोर GetApps, सैमसंग का पेमेंट ऐप Samsung Pay Mini और iPhone निर्माता Apple का Safari ब्राउजर.
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