रायपुर। एक मां की जिम्मेदारी अपने अजन्मे बच्चे के साथ शुरू हो जाती है। बच्चे के पोषण, विकास के साथ उसका स्वास्थ्य भी माता के साथ जुड़ा होता है। कोरोना संक्रमण के इस दौर मे काम पर ना जा पाने वाली नक्सल प्रभावित क्षेत्र की कई गर्भवती माताओं को अपने बच्चे की समुचित देखभाल के लिए मातृत्व वंदना योजना से सहारा मिला है।

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित इस योजना के तहत गर्भावस्था से लेकर बच्चे के जन्म तक विभिन्न चरणों में जच्चा-बच्चा की देखभाल के लिए पांच हजार रुपए दिए जाते हैं। नक्सल प्रभावित आदिवासी जिले सुकमा में मार्च 2019 से जून 2020 तक योजना के तहत 9 हजार 235 हितग्राहियों को 1 करोड़ 66 लाख 87 हजार रूपये का ऑनलाईन भुगतान किया गया। इससे लॉकडॉउन के समय हजारों कामकाजी महिलाओं को राहत मिली ।

प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना का मुख्य उददेश्य निम्न आय वर्ग की कामकाजी महिलाओं को मजदूरी के नुकसान की भरपाई कर जच्चा-बच्चा को समुचित पोषण और विकास का अवसर प्रदान करना है। इसके अंतर्गत स्वास्थ्य संबंधी नियमों के पालन पर परिवार में पहले जीवित बच्चे के लिए गर्भवती महिला और स्तनपान कराने वाली माताओं को पांच हजार रूपये की राशि प्रदान की जाती है। यह राशि सीधे उनके बैंक खाते में तीन किस्तों मे प्रदान की जाती है। गर्भधारण का पंजीयन कराने पर प्रथम किश्त के एक हजार रूपये, गर्भधारण के 6 माह बाद कम से कम एक बार प्रसव पूर्व जांच कराने पर दूसरी किश्त के दो हजार रूपये और बच्चे के जन्म पंजीकरण कराने और बच्चे का बीसीजी, ओपीवी, डीपीटी तथा हैप्टाईटिस-बी सहित पहले चक्र का टीकाकरण कराने पर तीसरी किस्त के 2 हजार रूपये की राशि प्रदान की जाती है।

सुकमा के कुम्हाररास स्थित आंगनबाड़ी क्रमांक 01 की कार्यकर्ता दयावती यालम ने बताया कि प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना से हितग्राहियों को बहुत लाभ मिल रहा है। ग्रामीण महिलाएं स्वयं आंगनबाड़ी केन्द्र आकर इस योजना के लिए आवेदन करती हैं। इस योजना के कारण संस्थागत प्रसव को भी प्रोत्साहन मिला है। उन्होंने बताया कि इस महीने उनके द्वारा 10 गर्भवती महिलाओं का पंजीयन किया गया है जिनमे से कुछ महिलाओं को पहली किस्त की राशि मिल चुकी है। जनवरी 2020 से अब तक लगभग 15 गर्भवती महिलाओं को इस योजना की तीनों किस्त की राशि का भुगतान उनके बैंक खाते में किया जा चुका है।

मातृत्व वंदना योजना से लाभान्वित कुम्हाररास निवासी करिश्मा नाग ने बताया की मातृत्व वंदना योजना के तहत उनके पहले बच्चे के लिए 3 हजार की राशि का भुगतान हुआ है तथा शिशु के एक वर्ष के उपरान्त दो हजार रुपए की आखिरी किस्त प्रदान की जाएगी। वहीं पार्वती नाग एवं बालमती नाग ने बताया कि उन्हें इस योजना के तहत पांच हजार की राशि प्रदान हुई है। लाभान्वित हितग्राहियों ने कहा कि यह योजना ग्रामीण अंचल की गर्भवती महिलाओं के लिए कारगर साबित हो रही है, इस योजना के तहत प्राप्त राशि से शिशु के लिए आवश्यक सामग्री की खरीदी में आर्थिक सहायता मिल रही है।