देश में पहली बार सोलर, पवन, थर्मल और हाइड्रोजन स्रोतों से बिजली उत्पन्न कर ई-वाहनों को चार्ज करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए नेशनल हाईवे फॉर ईवी (NHEV) 3जी एनर्जी स्टेशन स्थापित करेगा। यह पहल दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण कम करने में मददगार साबित होगी और साथ ही बिजली की बचत भी सुनिश्चित करेगी। गुरुग्राम के ग्वाल पहाड़ी स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी (NISE) में शुक्रवार को एनएचईवी वर्किंग कमेटी की सातवीं बैठक आयोजित होगी। इस बैठक में दिल्ली-गुरुग्राम-जयपुर और दिल्ली-फरीदाबाद-आगरा कॉरिडोर पर पहले चरण में 14 अत्याधुनिक 3जी एनर्जी स्टेशनों का अंतिम रोडमैप तैयार किया जाएगा।

इन चार्जिंग स्टेशनों पर 200 से 500 किलोवॉट तक के अल्ट्रा-फास्ट चार्जर लगाए जाएंगे, जिससे कोई भी इलेक्ट्रिक वाहन केवल 30 मिनट में 100 से 200 किलोमीटर तक चलने के लिए चार्ज हो सकेगा। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से संचालित होने के कारण प्रत्येक स्टेशन से सालाना लगभग 8,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम होगा।

तीन हजार 200 किलोवॉट क्षमता वाले हाइब्रिड सर्विस हब सोलर, पवन, थर्मल और हाइड्रोजन माइक्रो-इलेक्ट्रोलाइज़र से संचालित होंगे। भविष्य में इन्हें पूरी तरह हाइड्रोजन आधारित तकनीक में बदला जाएगा। दिल्ली-जयपुर और दिल्ली-आगरा को जोड़ने वाले विश्व के सबसे बड़े ईवी कॉरिडोर के निर्माण के लिए शुक्रवार की बैठक में विस्तृत योजना तैयार की जाएगी।  अभिजीत सिन्हा, निदेशक, एनएचईवी

एनएचईवी का उद्देश्य देश के लगभग 5,000 किलोमीटर लंबे हाईवे को इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उपयुक्त बनाना है। पहले चरण में यह पहल दिल्ली-गुरुग्राम-जयपुर और दिल्ली-फरीदाबाद-आगरा हाईवे पर शुरू की जाएगी। इस कदम से यात्रियों को यात्रा में आसानी और सुविधा प्राप्त होगी।

दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए 5 ट्रक हब बनेंगे

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण कम करने के लिए एनएचईवी पांच बड़े इलेक्ट्रिक ट्रक चार्जिंग हब भी स्थापित करेगा। ये नए हब गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, नोएडा और गाजियाबाद में बनाए जाएंगे। वर्तमान में रोजाना लगभग 15,000 डीजल ट्रक राजधानी में प्रवेश करते हैं, जो वायु प्रदूषण का बड़ा कारण हैं। नई चार्जिंग सुविधाओं की मदद से 24 घंटे में करीब 10,000 इलेक्ट्रिक ट्रकों को चार्ज किया जा सकेगा। इससे डीजल ट्रकों का प्रवेश धीरे-धीरे कम होगा और दिल्ली की वायु गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार आएगा। इस पहल से नागरिकों को प्रदूषण से राहत मिलने की उम्मीद है।

गुरुग्राम होकर गुजरेगा विश्व का सबसे लंबा ई-हाईवे: वर्तमान में जर्मनी के बर्लिन में 109 किमी लंबा ई-हाईवे है। देश का पहला ई-हाईवे दिल्ली के इंडिया गेट से जयपुर के अलबर्ट पिंटो हॉल तक घोषित किया गया है। लगभग 280 किमी लंबा यह हाईवे पूरी तरह तैयार होने के बाद विश्व का सबसे लंबा ई-हाईवे बन जाएगा। पहले इसका प्रारंभिक बिंदु गुरुग्राम था, जिसे बाद में इंडिया गेट तक बढ़ाया गया। दिल्ली-गुरुग्राम-जयपुर और फिर दिल्ली-आगरा कॉरिडोर के पूरा होने पर यह हाईवे लगभग 500 किमी लंबा हो जाएगा।

3 प्वाइंट में समझें 3G चार्जिंग स्टेशन

ग्रीन एनर्जी: ये चार्जिंग स्टेशन 100% नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) से संचालित होंगे। इसमें सोलर पैनल, पवन टरबाइन, हाइड्रोजन और स्टोरेज बैटरी से पावर जनरेट की जाएगी, और कोई ग्रिड कनेक्शन नहीं होगा। प्रत्येक स्टेशन से सालाना लगभग 8,000 टन CO₂ उत्सर्जन बचाया जा सकेगा, जिससे हाईवे पर चलने वाली ईवी वास्तविक रूप से शून्य उत्सर्जन (Zero Emission) वाली होंगी। यह भारत का पहला ऐसा प्रोजेक्ट है जो थर्मल पावर को पूरी तरह बायपास करेगा।

गिगानटिक क्षमता: इस पहल के तहत 3.2 मेगावॉट क्षमता वाले विशाल चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। एक ही स्थान पर 60-120 kW फास्ट चार्जर, ट्रक और बस के लिए 600 kW पैंटोग्राफ, वायरलेस चार्जिंग पैड, बैटरी स्वैप सिस्टम और हाइड्रोजन डिस्पेंसर जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। चार 800 kWh के सब-स्टेशन मिलाकर कुल 3,200 kWh बिजली उत्पन्न की जाएगी, जिससे एक साथ लगभग 300 कारें या 50 ट्रक-बसे चार्ज हो सकेंगी।

जेनरेशन नेक्स्ट: ये चार्जिंग स्टेशन 5G नेटवर्क, AI आधारित लोड मैनेजमेंट और जियो रूट प्लानिंग से लैस होंगे। वाहन अपने आप यह जानकारी देगा कि अगला 3G स्टेशन कहां है, कितनी चार्जिंग बची है और कितनी देर रुकना है। भविष्य में, 2047 तक इन स्टेशनों को 6.4 मेगावॉट क्षमता वाले 5G स्टेशन में अपग्रेड किया जाएगा।

पर्यटन और लॉजिस्टिक्स को बूस्ट: यह प्रोजेक्ट भारत सरकार के ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस (EODB) पायलट का हिस्सा है, जो नेशनल हाईवे को ई-हाईवे (NHEV) में बदलने पर केंद्रित है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस पहल से इलेक्ट्रिक टैक्सी और टूरिस्ट बसों की संख्या बढ़ेगी। वर्तमान में अधिकांश लोग पेट्रोल-डीजल वाहन ही चुनते हैं क्योंकि चार्जिंग स्टेशन न मिलने का डर रहता है। अब हर 50 किमी पर चार्जिंग उपलब्ध होने से लोग EV से निश्चिंत होकर यात्रा कर सकेंगे। इसके साथ ही लॉजिस्टिक्स कंपनियां भी इलेक्ट्रिक ट्रक चलाने की तैयारी कर रही हैं।

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