पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। मैनपुर विकासखंड में बड़े गोबरा बालक बालिका आश्रम को हटा कर विगत 10 वर्षों से भाठिगढ में संचालित किया जा रहा था. लंबे समय से मांग के बाद जब सुनवाई नहीं हुई तो गोबरा इलाके के ग्रामीण थाने पहुंचकर आश्रम चोरी का लिखित शिकायत देकर अनोखा विरोध कर विभाग को कटघरे में ला दिया. अभी ये मसला ठंडा ही नहीं हुआ था कि रविवार को देहारगुड़ा में संचालित एकलव्य आवासीय विद्यालय को हटाने की तैयारी शुरू हो गई थी.

बकायदा ट्रक भेज कर सामान भी लोड कराया जा रहा था. सूचना मिलते ही जिला पंचायत सदस्य लोकेश्वरी नेताम स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ देहारगुड़ा पहुंच ट्रक में लदे सामान को वापस खाली करवाया. ग्रामीण इस कदर नाराज थे कि रविवार को ही थाने पहुंच कर वहां के प्राचार्य के खिलाफ बगैर किसी लिखित अनुमति के सामान गायब करने के मामले में थाने में लिखित शिकायत सौंप दिया. मामला बिगड़ता देख आज आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त बीके सुखदेव स्थानीय प्रशासन के साथ मैनपुर पहुंचे.

जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ,जिपं सदस्य लोकेश्वरी नेताम, सरपंच डिगेश्वरी सांडे और स्थानीय प्रबंधन के साथ समवन्यक बैठक किया. दो घण्टे तक चले बहस के बीच यह तय हुआ कि एकलव्य विद्यालय गरियाबन्द नहीं जाएगा. उसका संचालन मैनपुर में ही होगा.

सुखदेव ने बताया कि देहारगुड़ा के शासकीय हॉस्टल के कुछ कमरे में डबल डेकर बेड लगाकर छात्र छात्राओं को रहने की व्यवस्था की जाएगी. DAV स्कूल प्रबंधन से बातचीत के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने वहां के तीन कमरे को स्कूल संचालन के लिए मांगने का प्रस्ताव पारित किया है. DAV प्रबंधन राजी हो जाता है तो स्कूल का संचालन उन्हीं कमरों में होगा.

जानिए क्यों हटाया जा रहा था ?
सहायक आयुक्त बीके सुखदेवे ने बताया कि केंद्रीय मद से जिले में दो एकलव्य विद्यालय सन्चालित हैं. दोनों के लिए भवन बनाया नहीं जा सका है. मैनपुर में प्री मीट्रिक आदिवासी छात्रावास में किसी तरह व्यवस्था किया गया था. क्लास संचालन के लिए कोई भी भवन देने तैयार नहीं थे. पिछले 6 माह से लगातार प्रयास के बाद स्थल और भवन नहीं उपलब्ध हो रहा था. इसलिए उसे गरियाबन्द में सन्चालित करने का निर्णय लिया गया था.

आदिवासी हितैषी कर अनदेखी
आदिवासी समाज का नेतृत्व करने वाली जिला पंचायत की सभापति लोकेश्वरी नेताम ने शैक्षणिक संस्थाओं के स्थल बदलने को लेकर प्रसाशन पर जम कर हल्ला बोला है. लोकेश्वरी ने कहा कि मैनपुर के बीहड़ इलाके में इसकी आवश्यकता महसूस किया गया, तब जाकर संस्थाओं को उचित स्थान पर खोला गया, फिर जगह का उलट फेर कर अफसर क्या बताना चाहते हैं. एकलव्य को हटाने की प्लनिंग करने से पहले स्थानीय लोगों से बात करना भी जरूरी नहीं समझा गया था. इसी को लेकर