दिल्ली. लाभ के पद को लेकर चल रही कवायद में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता आखिरकार रद हो ही गई. इस बारे में चुनाव आयोग ने अपना फैसला पहले ही दे दिया था जबकि उसने अपनी सिफारिश राष्ट्रपति के पास भेजी थी जिसे राष्ट्रपति ने मंजूर कर लिया.

चुनाव आयोग द्वारा पहले ही आप के 20 विधायकों के लाभ के पद पर होने के चलते उनकी विधानसभा सदस्यता रद कर दी थी. इस फैसले के बाद आप के नेताओं ने चुनाव आयोग पर अनाप-शनाप आरोप लगाने शुरु कर दिए थे. हमारी टीम ने जब इस बारे में याचिकाकर्ता प्रशांत पटेल से बात की और उनसे दस्तावेज हासिल किए और उनका अध्ययन किया तो ये बात साफ हो गई थी कि आप के विधायकों की सदस्यता जाना तय है. भले ही आम आदमी पार्टी के नेता कितने भी आरोप-प्रत्यारोप लगाएं. हमारी खबर पर मुहर आज राष्ट्रपति ने 20 आप विधायकों की सदस्यता रद करके लगा दी.

गौरतलब है कि आप ने पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था. जिनमें जरनैल सिंह के पार्टी छोड़ देने के चलते पार्टी में 20 विधायकों की विधायकी पर तलवार लटक रही थी. जो कि राष्ट्रपति की मुहर के बाद खत्म हो गई है. खास बात ये है कि चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ आम ने दिल्ली हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था जहां भी उसे कोई राहन नहीं मिली और हाइकोर्ट ने इस मामले को सुनने से इंकार कर दिया.

इस लिंक पर हमारी वो रिपोर्ट विस्तार से पढ़ सकते हैं, जिसमें हमने कहा था कि आप विधायकों की सदस्यता जाना तय है.

लल्लूराम डॉट कॉम एक्सक्लूसिव : क्यों नहीं बच पाएगी दिल्ली में आप संसदीय सचिवों की विधायकी, जानिए याचिकाकर्ता की जुबानी, क्या छत्तीसगढ़ में भी जाएगी विधायकी ?