Jagdeep Dhankhar Resignation Update: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। राष्ट्रपति ने आगे की कार्यवाही के लिए गृह मंत्रालय को उनका इस्तीफा भेज दिया गया है। वहीं धनखड़ विदाई समारोह में शामिल नहीं होंगे। न ही कोई विदाई भाषण देंगे।

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इससे पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही में शामिल नहीं हुए। सुबह 11 बजे अपर सदन के कार्यवाही की शुरुआत जेडीयू सांसद हरिवंश ने की। इसके बाद पीठासीन घनश्याम तिवाड़ी ने सदन को जानकारी दी कि राष्ट्रपति ने धनखड़ का इस्तीफा मंजूर कर लिया है।

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बता दें कि देश के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक का था। उन्होंने 10 जुलाई को एक कार्यक्रम में कहा था, ‘ईश्वर की कृपा रही तो अगस्त, 2027 में रिटायर हो जाऊंगा।

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विपक्ष को भी नहीं पच रहा स्वास्थ्य का हवाला

 स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर इस्तीफा देने की बात न तो राजनीतिक पंडितों को पच रहा है और नही विपक्ष को। संसद की कार्यवाही के दौरान विपक्ष और जगदीप धनखड़ के रिश्ते काफी तल्ख रहें। विपक्ष धनखड़ को तानाशाह, हेडमास्टर, सरकार के प्रवक्ता तक कह चुका है। बावजूद इसके उनके अचानक इस्तीफा देने पर सवाल खड़े कर रहा है।

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मुख्य सचेतक जयराम रमेश, जिनके साथ राज्य सभा में उपराष्ट्रपति की कई बार बहस हुई, ने बताया कि उन्होंने शाम 7:30 बजे धनखड़ से टेलीफोन पर बात की थी। तब धनखड़ अपने परिवार के साथ थे और उन्होंने कहा कि वह कल उनसे बात करेंगे। इससे पहले शाम लगभग 5 बजे जयराम रमेश, प्रमोद तिवारी और अखिलेश प्रसाद सिंह धनखड़ से मिले। जयराम ने कहा कि सब कुछ सामान्य लग रहा था क्योंकि धनखड़ ने कहा कि बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक मंगलवार सुबह 10 बजे होगी।

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उन्होंने एक्स पर लिखी अपनी पोस्ट में कहा,  ‘मैं शाम तकरीबन 5 बजे तक उनके साथ था, कई अन्य सांसद भी मौजूद थे। इसके बाद शाम 7:30 बजे मैंने उनसे फ़ोन पर बात भी की थी। इसमें कोई संदेह नहीं कि धनखड़ को अपने स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। लेकिन यह स्पष्ट है कि उनके इस पूरी तरह से अप्रत्याशित इस्तीफ़े के पीछे जो दिख रहा है, उससे कहीं अधिक कुछ है।

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20 जुलाई पत्नी के जन्मदिन पर पत्रकारों को पार्टी दी

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत संसद भवन के बाद सबसे पहले उप-राष्ट्रपति भवन बना। इसी साल जनवरी में बिना किसी शोर-शराबे के धनखड़ ने वहां गृह प्रवेश किया। इस मौके पर वृंदावन के कथावाचक से भागवत कथा करवाई। कथावाचक के आग्रह पर 11-18 जुलाई के बीच वृंदावन में आने का वादा किया था, पर नहीं गए। पत्नी सुरेश धनखड़ के जन्मदिन पर रविवार (20 जुलाई) को उप-राष्ट्रपति ने अपने आवास पर संसद टीवी के सभी पत्रकारों को एक पार्टी दी।

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देश के पहले उपराष्ट्रपति जिनके खिलाफ महाभियोग लाया गया था

देश में 72 साल के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में धनखड़ पहले ऐसे राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति रहे, जिनके खिलाफ दिसंबर 2024 महाभियोग प्रस्ताव लाया था। जो बाद में तकनीकी कारणों से खारिज हो गया था। विपक्ष धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाता रहा था। विपक्ष का दावा था कि वह सिर्फ विपक्ष की आवाज व उनके सांसदों द्वारा उठाए गए सवालों को दबाते हैं। धनखड़ के पिछले कार्यकाल को देखें तो कई अहम पदों पर रहे, लेकिन वे अपना कार्यकाल पूरा होते नहीं देख पाए। एक बार विधायक के तौर पर उनके पांच साल एकमात्र अपवाद है।

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