रायपुर– गुजरात पाठ्यपुस्तक निगम बोर्ड के अध्यक्ष हरपाल सिंह भाटिया छत्तीसगढ़ दौर पर रहे हैं. उन्होने बताया कि सभी क्षेत्रीय भाषा, बोली को ध्यान में रखते हुए 5 अलग-अलग भाषा में पुस्तक लिखी गई है, जिसकी खासियत यह है कि इन पुस्तकों को पढ़कर आसानी से एक दूसरे भाषा को सीखा, समझा जा सकता है.
अध्यक्ष ने कहा कि वाणिज्य विषय के स्कूली शिक्षा से लेकर महाविद्यालीन शिक्षा तक के लिए 5 पाठ्य पुस्तक हिंदी, सिंधी, गुजराती, मराठी, और अंग्रेजी भाषा में पुस्तक लिखी गई है. वहीं छत्तीसगढ़ी भाषा में कहा कि स्थानीय भाषा में पढ़ाई-लिखाई और कामकाज होने से छत्तीसगढ़ी भाषा को पहचान मिलेगी. शिक्षा के लिए जरूरी है कि स्थानीय बोली और भाषा में कार्य होना चाहिए.
डॉ.तपेश चंद्र गुप्ता ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर के एक प्रखर वाणिज्य विषय के विद्वान को एक निश्चित शैक्षणिक संस्था के रूप में देखते हुए शासन को महत्वपूर्ण दायित्व एवं सम्मान पूर्वक कार्य सौंपा जाना चाहिए. ताकि शिक्षा का सही मूल्यांकन हो सके. साथ ही गुप्ता ने बताया कि डॉ. हरपाल 100 से ज्यादा रिसर्च पेपर प्रस्तुत कर चुके हैं. देश के लगभग 50 विद्यालय में भ्रमण कर शोध कार्य में सहभागिता दी है. गुजरात के आर्थिक एवं शैक्षणिक योजनाओं में प्रभावशील सहयोग एवं मार्गदर्शक के रूप में काम किया है.