रायपुर- छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के मौके पर पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद छत्तीसगढ़ियां रंग में सराबोर नजर आए. राज्योत्सव के मंच से उन्होंने प्रदेश वासियों को छत्तीसगढ़ बोली में कहा- भाई बहनी मन ला जय जोहार, छत्तीसगढ़ के जन्मदिन के बधई…..राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार प्रदेश के दौरे पर आए रामनाथ कोविंद के इन अल्फाजों से राज्योत्सव के समापन कार्यक्रम में बैठे हजारों लोगों ने तालियां बजाकर अभिवादन किया. रामनाथ कोविंद ने कहा कि – ये राज्योत्सव छत्तीसगढ़ के लिए जितना महत्वपूर्ण है. उतना ही मेरे लिए भी महत्वपूर्ण है. राष्ट्रपति बनने के पश्चात छत्तीसगढ़ की यह मेरी पहली यात्रा है. उन्होंने कहा कि अब भी पुरानी कुछ यादें ताजा है. जब राज्य के गठन की बात हो रही थी, तब संसद में मैं राज्यसभा का सदस्य था. उस समय इस क्षेत्र के सांसद अपनी मांगों को लेकर राज्य गठन का मामला उठाया करते थे. खून-पसीना, संघर्ष, धरना-प्रदर्शन के बाद इस राज्य का गठन हो पाया. मैं भी सांसदों की मांगों में खड़े होकर हां में हां मिलाता था. मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने जब मुझे इसके लिए आमंत्रित किया, तब मुझे यह बाते याद आ गई.
रामनाथ कोविंद ने कहा कि ऐसा कहा जाता है कि माता कौशल्या की यह जन्मभूमि है. वाल्मिकी ने इसी धरती पर रामायण की रचना की थी. लिहाजा इस कार्यक्रम में आकर मुझे खुशी हो रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने योजनाओं की जो प्रदर्शनी लगाई है. उससे योजनाओं की कामयाबी की झलक देखने का मौका मिला. उसे देखने के पश्चात विश्वास मजबूत हुआ है कि जिस छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई थी, अब यह विकसित राज्य के रूप में नई ऊचाइंयों पर पहुंचेगा. 17 साल राज्य के विकास के लिए बहुत कम समय होता है. कोविंद ने कहा कि आज जब मैं एयरपोर्ट पर उतरा, तो स्वामी विवेकानंद के जीवन की कुछ झलकियां याद आ गई. उन्होंने दो साल यहां बिताया है. कोलकाता के बाहर यह सबसे लंबा प्रवास था. रामकृष्ण मिशन आदिवासियों के विकास के लिए नारायणपुर में 1980 से लागतार काम कर रहा है. दुर्गम आदिवासी क्षेत्रों में रामकृष्ण मिशन के काम करने का जज्बा मैंने खुद देखा है. मिशन द्वारा संचालित अस्पताल और आश्रम सेवा भाव की मिसाल है.
राष्ट्रपति ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरकार ने अनेक कदम उठाया है. ऐसा लगता है कि छत्तीसगढ़ के विकास को स्वामी विवेकानंद जी का आशीर्वाद मिल रहा है. यहां खनिज संपदा विकास के अमूल्य श्रोत है. इन सबसे बढ़कर है यहां के सरल लोग. यहां के लोगों में अपनी पहचान को लेकर गर्व का भाव होता है. इसलिए कहते हैं छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया. उन्होंने कहा कि- यहां की विभूतियों के नाम पर देने वाले अलंकरण से मैं प्रभावित हुआ हूं, जिन्होंने इस क्षेत्र के विकास के लिए तन मन धन सब कुछ न्यौछावर कर दिया. आज इस तरह के अलंकरण से उन्हें सुशोभित करना अच्छी परंपरा है.
रामनाथ कोविंद ने कहा कि 18 वीं सदी में इस क्षेत्र में जन्में गुरू बाबाघासीदास छत्तीसगढ़ की संत परंपरा में सबसे ऊपर है. वह समानता का अधिकार दिलाने में सबसे आगे रहे हैं. मैंने सीएम से अनुरोध किया था कि मैं रायपुर तो आ रहा हूं गिरौदपुरी चल सकूं, तो प्रसन्नता होगी, उन्होंने कहा कि यह मेरे दिल की बात थी. 1857 की लडा़ई में छत्तीसगढ़ के आधिवासी जननायक शहीद वीरनायारण सिंह गरीबों के हितों के रक्षक थे. उनकी कहानी बच्चा-बच्चा जानता है. गुंडाधूर की जीवनी भी प्रेरणा देती है. 20 वीं सदी में जन्मी मिनी माता ने गरीबों और अशिक्षा के खिलाफ लड़ने में जीवन समर्पित कर दिया. तीजन बाई के पंडवानी कार्यक्रम की लोकप्रियता यहां की लोक संस्कृति के व्यापक प्रभाव का उदाहरण है. जब वह विदेशों में जाती हैं, उनके कार्यक्रम को देखा, जीता जागता कलाकार उनमें दिखता है. यहां के लोगों के हुनर का जादू दिखता है.
बस्तर की आदिवासी कलाकृति मैंने राष्ट्रपति भवन में उचित स्थान पर रखवा दी है- रामनाथ कोविंद
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि- जब मैं पिछली बार रायपुर आया था, तब सीएम ने मुझे बस्तर की कलाकृति भेंट की थी. बस्तर के आदिवासी कलाकारों द्वारा निर्मित कलाकृति थी. जब मैं राष्ट्रपति भवन में पहुंचा, तब निर्णय़ किया कि इस कलाकृति को उचित स्थान दिया जाए. एक तरफ सदियों पुरानी परंपरा यहां के जीवन को आधार देती है, तो अब छत्तीसगढ़ में विकास की नई इबारत लिखी जा रही है. उन्होंने कहा कि नया रायपुर को इको फ्रेैंडली सिटी के तौर पर विकसित किया जा रहा है. मैंने चंडीगढ़ समेत कई शहरो ंको देखा है. लेकिन नया रायपुर टाउन प्लानिंग का आदर्श पेश करते हैं. नया रायपुर छत्तीसगढ़ के विकास का आइना बन गया है. कोविंद ने कहा कि छत्तीसगढ़ के कई कार्यों को देश ने सराहा है. कई राज्यों ने छत्तीसगढ़ से सीखा है. खाद्य सुरक्षा कानून बनाने वाला देश का पहला राज्य छत्तीसगढ़ रहा है. 56 लाख परिवारों को स्मार्ट कार्ड के जरिए निशुल्क इलाज की सुविधा दी जा रही है. शून्य ब्याज दर पर कृषि ऋण दिया जा रहा है. बालिकाओं को निशुल्क शिक्षा दी जा रही है, ये अतुलनीय है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के सर्वे में अंबिकापुर ने स्वच्छता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है. वहां की महिलाओं ने बखूबी काम किया है.
बस्तर में शहीद वीर जवानों को याद करते हुए रामनाथ कोविंद ने कहा कि- राज्य की अस्मिता और सुरक्षा के लिए पुलिस के कई जवान शहीद हुए हैं. जिन पुलिस वालों ने अपनी शहादत दी है, उनकी संख्या 11 सौ से अधिक है. आज मैं उनकी स्मृति को नमन करता हूं. जिन्होंने राज्य की असमिता को बनाए रखने, देश की रक्षा के लिए कुर्बानी दी है. यदि उन जवानों ने कुर्बानी नहीं दी होती, तो संभवतः हम यह उत्सव भी नहीं मना रहे होते.
प्रदेश ने जो मानक स्थापित किए हैं, किसी दूसरे प्रदेश में देखने को नहीं मिलते- बलरामदास टंडन
इधर राज्यपाल बलराम दास टंडन ने कहा कि प्रदेश में जिस तरह से विकास के काम किए गए, वह वाकई में अद्भूत है. केंद्र सरकार ने भी जिस तरह से आम जनता के लिए जो योजनाएं बनाई गई, उसे भी राज्य में बखूबी क्रियान्वित किया गया है. सुनकर अच्छा लगेगा कि प्रदेश के सभी निकाय खुले में शौच मुक्त हो गई है. उन्होंने कहा कि मैंने जिंदगी के बहुत पहलू देखे हैं, लेकिन आज इतना कह सकता हूं कि प्रदेश ने जोे मानक स्थापित किए हैं, किसी दूसरे प्रदेश में देखने को नहीं मिलते. यह कभी दूसरे प्रदेश में नहीं सुना होगा कि राइट टू फूट सिक्युरिटी बनाया गया है. प्रदेश का कोई व्यक्ति भूखा नहीं सोएगा, इस प्रकार का शासन प्रदेश में किया गया गया है. राइट टू स्किल डेवलपमेंट के जरिए लोगों का स्कील बढ़ाया जा रहा है. उन्नति के मार्ग पर प्रदेश को ले जाने के लिए जो कदम उठाए जा रहे हैं, वह सराहनीय है. बलरामदास टंडन ने कहा कि – आगे ये प्रदेश उन्नत प्रदेशों की फेहरिस्त में पहुंच चुका है. अब हम आगे ऐसा कदमचाल बनाकर चल सके कि विकास की दिशा में यह प्रदेश देश का प्रथम प्रदेश हो सके.