विप्लव गुप्ता, पेण्ड्रा। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले बैगा आदिवासी के साथ प्रधानमंत्री आवास के नाम पर बड़ा छलावा किया गया. तीन साल बीत जाने के बाद आवास के अधूरे निर्माण की वजह से बैगा आदिवासी आज भी कच्चे मकान में रहने को मजबूर हैं. यहां तक हितग्राहियों के पास आवास पूरा करने का नोटिस आ गया है, जबकि हितग्राहियों को आवास के लिए अनुदान की किश्तें मिली ही नहीं है.

पूरा मामला गौरेला ब्लॉक के साल्हेघोरी गांव का है, जहां सन् 2017-18 में गांव के बैगा आदिवासियों के नाम से प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुए थे. गांव के सरपंच, सचिव व ठेकेदार अच्छे मकान निर्माण करके देने की बात कहकर कम-पढ़े लिखे बैगा आदिवासियों के मकान निर्माण का जिम्मा लेते हुए आधा-अधूरा व स्तर हीन मकान सौंप दिया. लिहाजा, आज भी बैगा आदिवासियों के मकान आधे-अधूरे पड़े हैं, वहीं जिन मकानों को पूर्ण किया गया है, उन आवासों से पानी का रिसाव हो रहा है, जिसके कारण बैगा आदिवासी अपने कच्चे मकान में ही रहने को मजबूर हैं.

ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के सरपंच ने ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए खाते में आवास की राशि आरटीजीएस करवा ली और उनके नाम पर स्वीकृत हुई राशि आहरण कर लिया गया. वहीं इनके द्वारा आवास के संबंध में बात कही जाती है तो मामले में पल्ला झाड़ लिया जा रहा है. इस संबंध में गौरेला जनपद पंचायत के सीईओ ओपी शर्मा ने ग्रामीणों से शिकायत मिलने की बात कही, जिसकी जांच कर पूरे मामले का प्रतिवेदन एसडीएम को सौंप दिया गया है. बहरहाल, पूरे मामले में जांच के नाम पर विभाग ने खानापूर्ति तो कर ली लेकिन बैगा आदिवासियों की मकान आज भी आधे अधूरे पड़े हुए हैं जिसके कारण बैग आदिवासी आज भी कच्चे मकान में रहने को मजबूर हैं.