रायपुर/ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए कहा है कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गतिशील और मजबूत बनाने के लिए लाॅकडाउन जैसे संकट के समय में श्रमिकों को मनरेगा, आदिवासियों को लघु वनोपज संग्रहण तथा किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से ग्रामीणों, किसानों और मजदूूरों की जेब में पैसा डालने का काम कर रही है। हमारा प्रदेश धीरे धीरे सामान्य कामकाज की ओर अग्रसर हो रहा हैं। कल की कैबिनेट की बैठक में ऐसे कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं जो राज्य में आर्थिक गतिविधियों को और तेज करेंगे।
सीएम ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में हमने एक निर्णय लिया जिसका क्रियान्वयन हम अपने स्वप्न दृष्टा नेता पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी जी की पुण्य तिथि के दिन 21 मई से प्रारंभ करेंगे। राजीव गांधी किसान न्याय योजना बहुत ही दूरगामी निर्णय है और छत्तीसगढ़ के किसानों को इस संकट की घड़ी में संजीवनी प्रदान करने वाला निर्णय है। पूरे देश में कहीं भी किसानों के हित में इतना महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लिया गया है। हमने राज्य के किसानों से वादा किया था कि उन्हें उनकी उपज का पूरा दाम मिलेगा। लोगों ने इसमें कई अड़चने लगाई, अवरोध पैदा किये लेकिन हमने जो कहा था वो निभाया है।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत हम राज्य में फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करने और कृषि आदान सहायता हेतु खरीफ 2019 में पंजीकृत एवं उपार्जित रकबे के आधार पर धान, मक्का और गन्ना फसल के लिए 10 हजार रूपये प्रति एकड़ की दर से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से अनुदान राशि सीधे किसानों के खातों में ट्रांसफर करेंगे। इसके लिए हमने बजट में 5100 करोड़ रूपए का प्रावधान भी किया है। इस योजना के तहत राज्य के 18 लाख 75 हजार किसानों को लाभ मिलेगा। यहीं नही खरीफ 2020 से आगामी वर्षो में दलहन और तिलहन फसलों के पंजीकृत और अधिसूचित रकबे के आधार पर निर्धारित राशि प्रति एकड़ की दर से किसानों को आदान सहायता अनुदान के रूप में देंगे। अनुदान लेने वाला किसान यदि गत वर्ष धान की फसल लगाया हो और इस साल धान के स्थान पर योजना के तहत शामिल अन्य फसल लगाता हैं तो ऐसी स्थिति में किसानों को प्रति एकड़ अतिरिक्त सहायता दी जायेगी ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार मजदूरों, किसानों और आदिवासियों की जेब में पैसे डालने का काम कर रही है। लोगों की जेब में पैसा आने से इसका असर व्यापार और व्यवसाय पर पड़ेगा और अर्थव्यवस्था बराबर संचालित होती रहेगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने केन्द्र सरकार से मनरेगा को कृषि कार्य से जोड़ने का आग्रह किया है। मनरेगा के काम बारिश तक चलेंगे। यदि मनरेगा को कृषि से जोड़ा जाता है तो लोगों को इससे निरंतर रोजगार मिलेगा, कृषि की लागत कम होगी और कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा। बघेल ने कहा कि आम जनता, सामाजिक संगठनों और सेवा भाव से काम कर रहे अधिकारी-कर्मचारियों के सहयोग से कोविड-19 संक्रमण को रोकने में प्रदेश में काफी हदतक सफलता मिली है।
इसके साथ ही हमने उत्कृष्ठ हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम के शालाओं का संचालन पंजीकृत सोसायटी के माध्यम से करने का निर्णय लिया है। लगभग 40 उत्कृष्ट शालाएं प्रारंभ की जाएंगी। विकासखण्ड मुख्यालयों में 10वीं के बाद 11वीं और 12वीं की पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थियों के लिए आईटीआई का रोजगारपरक सर्टिफिकेट कोर्स आरंभ करने का निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कोरोना वायरस (कोविड-19) से बचाव के उपायों के तहत छत्तीसगढ़ राज्य में संपूर्ण लाॅकडाउन के फलस्वरूप बसों के दो माह और ट्रकों के एक माह के टैक्स की राशि माफ कर दिया गया है। राज्य़ सरकार सभी शहरी परिवारों को दो कमरों का पक्का आवास देने के लिए 40 हजार अतिरिक्त आवास बनाएगी। इसके साथ ही अब किराएदारों को भी योजना में समाहित करते हुए न्यूनतम दर पर आवास उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है।
सीएम बघेल ने कहा कि लाॅकडाउन की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए प्रदेश के सामान्य परिवारों (ए.पी.एल.) को भी रिफाइन्ड आयोडाईज्ड नमक पीडीएस की दुकानों से 10 रूपए प्रति किलो की दर से अधिकतम दो किलो नमक प्रति राशनकार्ड प्रति माह एक जून से प्रदान किया जाएगा। इससे राज्य के 9.04 लाख परिवार लाभान्वित होंगे। राज्य सरकार द्वारा जमीनों की खरीदी-बिक्री की शासकीय गाइडलाईन की दरों में 30 प्रतिशत की छूट को पूरे साल के लिए बढ़ा दिया गया है।
छत्तीसगढ़ में वर्तमान में केवल 4 एक्टिव कोरोना पाजीटिव मरीज हैं। कुल 59 पाजीटिव मरीजों में से 55 स्वस्थ होकर अपने घरों को लौट चुके हैं। कोरोना से किसी की भी मृत्यु नहीं हुई हैं। छत्तीसगढ़ में ठीक होने वाले मरीजों का प्रतिशत 93 प्रतिशत से अधिक हैं। राज्य में अभी तक कुल 27 हजार 339 सैम्पल टेस्ट किए गए हैं। राज्य में 28 हजार 759 व्यक्तियों को क्वारेंटाइन में रखा गया है। अन्य राज्यों से लौटने वाले मजदूरों के लिए गांवों में ही 16,499 क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए है। सीमावर्ती क्षेत्रों में कुल 623 क्वारेंटाइन सेंटर बनाये गये हैं ।
बघेल ने कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के प्रसार की जानकारी मिलते ही बचाव की तैयारियां प्रारंभ कर दी थी। 27 जनवरी को हमने सभी जिलों में रैपिड रिस्पांस टीम गठित कर दी थी। 28 जनवरी से एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग प्रारंभ कर दी थी और एक फरवरी को पहले आइसोलेशन अस्पताल ने काम करना प्रारंभ कर दिया था। हमने स्वस्फूर्त निर्णय लेते हुए किसी भी राज्य से पहले 21 मार्च को छत्तीसगढ़ राज्य की सीमाएं सील कर दी और 22 मार्च को राज्य में लाकडाउन की घोषणा की। वर्तमान में प्रतिदिन जांच क्षमता 1200 सैंपल प्रतिदिन हो गयी हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि जब कोटा से छात्रों को लाने की बात चल रही थी तभी मैंने श्रमिकों को वापस लाने की केन्द्र सरकार से मांग की थी और कहा था कि ट्रेनों की व्यवस्था की जाए अब ट्रेनें आना शुरू हो गई है। श्रमिकों की वापसी के लिए मई का महीना काफी महत्वपूर्ण है। अगले महीने से बारिश शुरू हो जाएगी तब आने वाले श्रमिकों के क्वारेंटीन में बाहर रखने के इंतजाम में दिक्कत आएगी क्योकि संसाधन सीमित है। बाहर से आने वाले श्रमिकों की बड़ी संख्या की तुलना में स्कूलों और आंगनबाड़ियों की संख्या कम है।
लॉक-डाउन में मनरेगा के अंतर्गत ग्रामीणों को रोजगार देने में छत्तीसगढ़ अभी पूरे देश में प्रथम स्थान पर है। देशभर में मनरेगा कार्यों में लगे कुल मजदूरों में से करीब 24 फीसदी अकेले छत्तीसगढ़ से हैं। यह संख्या देश में सर्वाधिक है। प्रदेश की 9883 ग्राम पंचायतों में चल रहे विभिन्न मनरेगा कार्यों में औसतन लगभग 23 लाख मजदूूर काम कर रहे हैं। लाॅकडाउन में वनोपज संग्रहण में भी छत्तीसगढ़ देश में पहले स्थान पर हैं। देश के कुल वनोपज संग्रहण का 99 प्रतिशत अकेले छत्तीसगढ़ ने ही किया हैं। श्री बघेल ने कहा कि राज्य के 56.48 लाख गरीब परिवारो को अप्रैल, मई और जून, तीन माह का राशन, प्रति परिवार एक क्विंटल पांच किलोग्राम निःशुल्क प्रदान किया गया हैं। स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए ‘पढ़ाई तुंहर दुआर‘ वेबपोर्टल प्रारंभ। अब तक 21 लाख 26 हजार छात्र और 1.88 लाख शिक्षक पंजीकृत है।
बघेल ने कहा कि राज्य में जरूरततंद परिवारों के लिए राहत और कल्याणकारी योजनाओं के संचालन तथा सामान्य कामकाज को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 30 हजार करोड़ की आर्थिक सहायता दी जाये। उन्होंने मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि औद्योगिक नीति में bespoke policy के तहत बायो एथेनाॅल उत्पादन इकाईयों के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज देने का निर्णय लिया गया है। छत्तीसगढ़ में धान का उत्पादन आने वाले वर्षाें में बढ़ेगा। सरप्लस धान हर वर्ष बढ़ेगा। इसका उपयोग बायो एथेनाॅल के उत्पादन में किया जा सकेगा।