नई दिल्ली. पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार सुबह दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे के पहले फेज़ का उद्घाटन किया. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सबसे हाईटेक ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे को देश को समर्पित किया . 11 हज़ार करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुआ ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे कुल 135 किलोमीटर का है. एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करने से पहले पीएम मोदी ने यहां पर रोड शो किया.

प्रधानमंत्री का ‘रोड शो’ निजामुद्दीन ब्रिज से शुरू हुआ, यह दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का लगभग नौ किलोमीटर का पहला चरण है.

ईस्टर्न पेरीफेरल देश का पहला राजमार्ग है जहां सौर बिजली से सड़क रोशन होगी. इसके अलावा प्रत्येक 500 मीटर पर दोनों तरफ वाटर हारवेस्टिंग   की व्यवस्था है. साथ ही इसमें 36 राष्ट्रीय स्मारकों को प्रदर्शित किया गया है. 40 छोटे झरने इसकी खूबसूरती बढ़ा रहे हैं.  इसे रिकॉर्ड 500 दिनों में पूरा किया गया है, इस एक्सप्रेस वे पर 8 सौर संयंत्र हैं. जिनकी क्षमता 4 मेगावाट है. प्रधानमंत्री ने इस परियोजना के लिये आधारशिला पांच नवंबर 2015 को रखी थी.

इस तरह बना है ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे

– पूर्वी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे सोनीपत के कुंडली से पलवल तक बनाया गया है.

– इसकी लंबाई 135 किमी लंबाई है और इसको बनाने में 11 हज़ार करोड़ रुपये की लागत आई है.

– अब क़रीब 4 घंटे का सफ़र अब सवा घंटे में पूरा हो जाएगा.

– ये एक्सप्रेसवे हरियाणा और यूपी के 6 शहरों को जोड़ेगा.

– सोनीपत, बागपत, ग़ाज़ियाबाद ग्रेटर नोएडा, फ़रीदाबाद और पलवल को जोड़ेगा.

– यह सोलर पावर से लैस देश का पहला हाइवे है.

– 8 सोलर प्लांट लगाए गए हैं. जिनसे 4 हज़ार किलो वॉट बिजली का उत्पादन होगा.

– हर 500 मीटर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया है. क़रीब 2.5 लाख पौधे लगाए गए हैं जिनकी ड्रिप से सिंचाई होगी.

– 36 स्मारकों की आकृति और 40 फाउंटेन लगाए हैं. पूरे सफ़र में 406 छोटे-बड़े पुल बनाए गए हैं.

– इससे दिल्ली का ट्रैफ़िक क़रीब 27% कम हो जाएगा. दिल्ली में रोज़ना 50 हज़ार वाहनों का बोझ कम होगा.

– स्वच्छ भारत मिशन को ध्यान में रखते हुए हर 2.5 किलोमीटर की दूरी पर टॉयलेट्स बनाए गए हैं. इस पूरे मार्ग पर 6 इंटरचेंज, 4 फ्लाईओवर, 71 अंडरपास और 6 आरओबी हैं. इसके अलावा यमुना और हिंडन पर दो बड़े पुल हैं.