रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार में प्रमुख सचिव आर्थिक योजना, 20 सूत्री कार्यक्रम और सूचना प्रौद्योगिकी आलोक शुक्ला ने बाल दिवस पर अपने ब्लॉग में बच्चों के पोषण की चर्चा करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे लक्ष्य सुपोषण अभियान की चर्चा की है. इसके अलावा उन्होंने प्रदेश के युवा ऊर्जावान अधिकारियों की चर्चा की है. आईएएस आलोक शुक्ला के ब्लॉग के अंश…
छत्तीसगढ़ के लिये यह शर्म की बात है कि, विकास के कई सोपान तय करने के बाद भी, आज भी बड़ी संख्या में बच्चे कुपोषण से ग्रस्त हैं. माननीय मुख्य मंत्री जी को इस बात की बड़ी चिंता रहती है. मैने इसके संबंध में उन्हें अक्सर टेलीविज़न आदि पर बोलते देखा है. उनसे प्रेरणा लेकर अनेक ज़िलों में बच्चों के सुपोषण के लिये अभियान चलाया गया है. रायपुर ज़िले में इसे नाम दिया गया है – लक्ष्य सुपोषण.
कल मुझे रायपुर में इस कार्यक्रम को नज़दीक से देखने का अवसर मिला. इस कार्यक्रम में अति गंभीर कुपोषण से ग्रस्त 819 बच्चे चिन्हित किये गये हैं. इन बच्चों को प्रतिदिन भरपेट गर्म भोजन देने की व्यवस्था की गई है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह भोजन उन्हें उनके घरों में एवं आंगनबाड़ियों में दिया जाता है. इसके लिये उन्हें एन.आर.सी. में भर्ती कराने की आवश्यकता नहीं है.
बच्चों को प्रात: नाश्ते में बिस्किट, दूध और केला दिया जाता है. दोपहर के भोजन में अंडा और खिचड़ी खाने को मिलती है, और इसके बाद स्वादिष्ट और पौष्टिक लड़डू भी दिये जाते हैं. बच्चों का भोजन उनके घर में ही एक सुपोषण पेटी में रखा जाता है, जिसकी चाबी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पास होती है. इसकी मानीटरिंग के लिये एक एप भी बनाया गया है. हर बार बच्चों को भोजन देते समय एप पर उनकी फोटो डाली जाती है. हर्ष का विषय है कि एक माह के समय में ही अधिकांश बच्चों का वज़न बढ़ने लगा है. 819 में से 12 बच्चे पूरी तरह से सामान्य हो गये है.
इस कार्यक्रम का सबसे रोचक पहलू यह है कि यह पूरा कार्यक्रम जनसहयोग से चलाया जा रहा है. इसमें सरकार का एक पैसा भी नहीं लगा है. ज़िला प्रशासन के आग्रह पर रायपुर के लोगों ने आगे बढ़कर इस कार्यक्रम के लिये धन दिया है. एक बच्चे को 6 माह के लिये गोद लेने के लिये 12,000/- रुपये की राशि देना होती है. आशा की जाती है कि 6 माह में बच्चा सुपोषित हो जायेगा. इस प्रकार दान देने बालों को सुपोषण योध्दा का नाम दिया गया है. आप भी यदि सुपोषण योध्दा बनना चाहें तो 8120926247 पर रायपुर ज़िला प्रशासन से संपर्क कर सकते हैं. इस कार्यक्रम के लिये रायपुर ज़िले के कलेक्टर भारतीदासन और मुख्य कार्यपालन अधिकारी गौरव तो बधाई पात्र हैं ही, साथ ही उनकी टीम के अन्य सदस्य अशोक पांडे और नेहा अग्रवाल भी तारीफ के हकदार हैं.
प्रदेश के अनेक ज़िलों ने माननीय मुख्य मंत्री जी से प्रेरणा लेकर मुख्य मंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत कार्य प्रारंभ किया है. इनमें से दंतेवाड़ा ज़िला विशेष उल्लेखनीय है. यह सत्य है कि कार्यक्रम में अभी बुहत कुछ किया जाना बाकी है. पोषण को स्वास्थ्य और समाज की अन्य बातों से अलग करके नहीं देखा जा सकता. बच्चों के सुपोषण के लिये अनेक बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है, जैसे – कच्ची उम्र में विवाह को रोकना, पहला बच्चा देर से होना और दो बच्चों के बीच अंतर रखना, गर्भवती के स्वास्थ्य की देखभाल, सुरक्षित प्रसव, स्तनपान को बढ़ावा देना, बच्चों को निमानिया, दस्त, मलेरिया आदि बीमारियों से बचाना, आदि. इसके लिये शासन के विभागों के बीच समन्वय के अतिरिक्त समाज के सभी लोगों के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है.
मुझे विश्वास है कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान छत्तीसगढ़ में जब आगे बढ़ेगा, तो इन बातों को केन्द्र में रखा जायेगा. कार्यक्रम के कर्णधारों को यह बात समझनी होगी कि सुपोषण के लिये पौष्टिक आहार देना तो आवश्क है ही, परन्तु मात्र पौष्टिक आहार देना पर्याप्त नहीं है. इसके लिये पूरी सोच और सामाजिक परिस्थितियों में बदलाव की आवश्यकता है. परन्तु इस सबके बारे में फिर कभी. आज तो सुपोषण योध्दाओं की जय-जयकार करने का अवसर है.