सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। बच्चों पर अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले स्कूलों के प्राचार्य ही शिक्षा विभाग की महत्वपूर्ण बैठक में अनुशासनहीन नजर आए. बैठक के दौरान कोई वाट्सएप में व्यस्त था, तो कोई मोबाइल यूज कर रहा था, कई तो वीडियो देख रहे थे, कई आपस में चर्चा में मशगूल थे, तो कई छपकी ले रहे थे. कमरे के अंदर के साथ-साथ बाहर में देखने लायक नजारा था. दीन-दुनिया से बेखबर प्राचार्य अपनी चर्चा में मशगूल थे.

जरा वीडियो के देखिए… इसे देखकर तो समझ ही गए होंगे कि नजारा किसी बैठक का है, जहां बैठे लोगों को सरकारी कर्मचारी समझ रहे तो आप सही सोच रहे हैं. चलिए आपको विस्तार से बताते हैं, ये सरकारी कर्मचारी शिक्षा विभाग के हैं, जिनके कंधों पर राजधानी में ही शिक्षा का अलख जगाने की नहीं, बल्कि राज्य के सभी जिलों में यानी प्रदेश में रोल मॉडल बन दूसरे जिलों की सीख देने की जिम्मेदारी है.

मायाराम सुरजन स्कूल में प्रशिक्षण बैठक में रायपुर जिले के सभी सरकारी स्कूलों की प्राचार्य़ शामिल हुए. बैठक में कक्षा दसवीं एवं बरहवी के परीक्षा पर चर्चा, छत्तीसगढ़ फीस विनियमन के प्रभावी क्रियान्वयन, शिक्षकों के डाटा एंट्री प्रशिक्षण के अलावा छात्रवृति एवं आरटीई पर रणनीति बनाने का था. लेकिन बैठक में ज्यादातर प्राचार्यों का रवैया शर्मिंदगी भरा रहा.

लल्लूराम डॉट कॉम ने पाया कि बैठक में मौजूद प्राचार्यों में से कोई फोन कॉल में व्यस्त थे, कई फोन चला रहा थे, कई लोग वीडियो देख रहे थे, तो कई आपसी चर्चा में मशगूल थे. हद तो तब हो गई जब प्रशिक्षण के दौर कई प्राचार्य गहरी नींद के आगोश में थे. मजबूरी में आयोजकों को एनाउंस करना पड़ा कि प्रशिक्षण में ध्यान दें, मोबाइल ना चलाएं और न सोएं.

प्राचार्यों का कारनाम यही नहीं रूकता. जिला शिक्षा अधिकारी जरूरी काम से बाहर निकले प्रशिक्षण में मौजूद कई प्राचार्य नौ-दो-ग्यारह हो गए. तो कई प्राचार्य कमरे से बाहर निकलकर साथियों के साथ गप मारने लगे. कई तो भवन से बाहर निकलकर आपसी चर्चा में मशगूल हो गए. ‘जैसा गुरू, वैसा चेला’ की कहावत तो आपने सुना ही होगा. विद्यार्थी अपने गुरुओं के पद चिन्हों पर चलते हैं, अब समझा जा सकता है इन प्राचार्यों से विद्यार्थी क्या गुण सीखने वाले हैं. बैठककी यह वीडियो सरकारी तंत्र, व्यवस्था, को पोल खोल रही है.

देखिए वीडियो :

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