रायपुर। राज्य शासन की प्राथमिकताओं में शामिल धान खरीदी, लघु वनोपजों का संग्रहण, रोजगार सृजन और सुपोषण अभियान पर प्रशासन मिशन मोड पर काम करेगा. इस संबंध में मुख्य सचिव आरपी मण्डल ने सोमवार को मंत्रालय महानदी भवन में वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी संभागों के कमिश्नर, जिलों के कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, सीईओ जिला पंचायत, खाद्य अधिकारी और वन विभाग के अधिकारियों की बैठक में निर्देश दिए.

पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी और प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी के साथ जिलों के प्रभारी सचिव और विभागीय सचिव की उपस्थिति में मुख्य सचिव आरपी मण्डल ने अधिकारियों की बैठक ली. उन्होंने नगरीय निकायों के शांतिपूर्वक आम चुनाव के लिए अधिकारियों को बधाई दी. वहीं प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों से लगे जिलों में धान के अवैध परिवहन की रोकथाम करने के कड़े निर्देश कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को दिए.

उन्होंने कहा कि पंजी में दर्ज बारदानों की संख्या, निरीक्षण के दौरान पाए गए बरदानों की संख्या और किसानों को वितरित बारदानों की संख्या में अंतर पाए जाने पर समिति प्रबंधक के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाएगा. मध्यम और छोटे किसानों से धान की खरीदी प्राथमिकता के आधार पर की जाए.

उन्होंने बताया कि भारतीय खाद्य निगम के द्वारा 24 लाख मिट्रिक टन उसना चावल की खरीदी की जाएगी. उन्होंने बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, बालोद, दुर्ग, धमतरी, बलौदाबाजार, रायपुर, मुंगेली, गरियाबंद जिलों के मिलरों से उसना धान की मिलिंग के लिए चार माह का अनुबंध कराने के निर्देश दिए है. साथ ही धान की मिलिंग के लिए सीधे खरीदी केन्द्र से धान का उठाव करने के निर्देश भी दिए है.

राज्य में तेन्दुपत्ता के अलावा वनों से उत्पन्न होने वाले 22 प्रकार के लघु वनोपजों की खरीदी न्युनतम समर्थन मूल्य पर छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा की जानी है. इसके लिए हाट बाजार और ग्राम स्तर के संग्रहण केन्द्र स्थापित करने के निर्देश मुख्य सचिव ने दिए है. स्थानीय स्वसहायता समूहों के माध्यम से लघु वनोपजों का संग्रहण और प्राथमिक प्रसंस्करण का कार्य किया जाएगा. इस प्रक्रिया से 50 हजार से अधिक ग्रामीणों को रोजगार मिल सकेगा.

स्व-सहायता समूह ग्रामीण क्षेत्रों में पैदा होने वाले महूआ फूल, ईमली, महूआ बीज, शाल, हर्रा, चिरौंजी, चरोटा, धवई फूल, बहेरा, लाख रंगीन, लाख कुसुमी, नागर मोथा, करंज बीज, काल मेघ, फूल बाहरी, आंवला, बायबिडिंग, बेल, जामुन बीज, शहद, केवाच, कुल्लु गोंद की खरीदी स्थानीय ग्रामीण से करेंगे. लघु वनोपजों संग्रहण का कार्य जनवरी के अंत से शुरू होना है. अतः अभियान के रूप में इस कार्य को किया जाएगा.

सुपोषण अभियान की चर्चा करते हुए मण्डल ने जानकारी दी कि (एनएमडीसी) राष्ट्रीय खनिज विकास निगम ने राज्य के बस्तर संभाग में कुपोषण की रोकथाम के लिए सहयोग देने की सहमति दी है. एनएमडीसी और अक्षय पात्र इस्काॅन द्वारा बस्तर संभाग के प्रत्येक जिले में चार करोड़ 50 लाख रुपए लागत के सेन्ट्रलाइस्ड किचन की स्थापना की जाएगी. इसके लिए आवश्यक जमीन उपलब्ध कराने के निर्देश कलेक्टरों को दिए गए हैं.