लखनऊ। उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों, बच्चों और महिलाओं के लिए जरुरत के कई सारे सामान जैसे चप्पलें, शिशुगृह, नर्सरी, शाम की चाय और बिस्कुट, शैम्पू, सैनिटरी नैपकिन आदि अब उपलब्ध होंगे. राज्य में जेल के नियमों को पर्याप्त रूप से संशोधित किया गया है ताकि कैदियों, विशेषकर महिला कैदियों को बेहतर सुविधाएं दी जा सके.

नई जेल नियमों में राज्य मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित संशोधन विभिन्न न्यायालयों द्वारा समय-समय पर दिए गए आदेशों पर आधारित हैं. जेल और होमगार्ड राज्य मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने संवाददाताओं को बताया कि नई जेल नियमावली में अखिल भारतीय जेल सुधार समिति और मानवाधिकार आयोग की सिफारिशों पर भी विचार किया गया है.

काला पानी की सजा खत्म

अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि जेल के नियमों में बदलाव किया गया है और पोर्ट ब्लेयर में ‘काला पानी’ की सजा 100 साल बाद समाप्त कर दी गई है. उन्होंने कहा कि “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर नई जेल नियमावली लागू की गई है. इससे न केवल जेलों में अपराधियों के रहने की स्थिति में सुधार, बल्कि उनकी शिक्षा और पेशेवर कौशल की उन्नति को भी बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा प्रौद्योगिकी के अधिकतम उपयोग पर भी ध्यान दिया गया है.”

फास्ट एंड सिक्योर्ड ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डस पर फोकस

अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सुधारों के साथ अब से फास्ट एंड सिक्योर्ड ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डस पर सुप्रीम कोर्ट से अदालत के आदेशों को इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से सुरक्षित रूप से प्रसारित करने के लिए एक सॉफ्टवेयर अब पूरे राज्य में होगा. अवनीश कुमार अवस्थी ने आगे कहा कि “इसका उद्देश्य ऐसी स्थिति से बचना है जहां सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें जमानत दिए जाने के बाद भी कैदियों की रिहाई में देरी होती है. केवल जेल अधिकारियों को रिहाई आदेश की प्रमाणित हार्ड कॉपी मिलने में देरी के आधार पर” ये निर्णय लिया गया है.

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