कांकेर। जिला जेल में निरूद्ध 9 कैदियों ने विश्व रिकाॅर्ड की ओर कदम बढ़ाते हुए काष्ठ कला का उत्कृष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया। बंदियों ने जेल में रहते हुए वुडन कला के माध्यम से लकड़ी पर राष्ट्रगीत वंदेमातरम् उकेरा। काष्ठ कला के माध्यम से यह अब तक का सबसे बड़ा वंदेमातरम् बताया जा रहा है। इस नए प्रयोग को देशभक्ति से जोड़ा जा रहा है, जिससे कैदियों में देशभक्ति की भावना प्रबल हो सके।
जिला जेल कांकेर में बंद कैदियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए कई प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाते हैं। जिसमें एक काष्ठ कला भी है। जिसमें बड़े फर्नीचर से लेकर छोटी की रिंग पर नाम उकेरने की कला सिखाई जाती है। सामान्य प्रशिक्षण से हटकर जेल कैदियों में देशभक्ति और राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से काष्ठ कला के माध्यम से सबसे बड़ा वंदेमातरम् लिखने को कार्य कर दिखाया है।
जेल के कैदियों ने प्रशिक्षक अजय मंडावी के मार्गदर्शन में लगभग एक महीने की मेहनत से 22 फीट चौड़ा और 38 फीट लंबा वंदेमातरम् लकड़ी से तैयार किया है। जिसका प्रत्येक अक्षर और उसकी मात्राएं अलग-अलग तैयार की गई हैं। जिसका गुरूवार को जिला जेल में प्रदर्शन किया गया।
कैदियों ने जेल परिसर में लगभग तीन घंटे की मेहनत से लकड़ी पर बने शब्दों को जोड़कर राष्ट्रगीत वंदेमातरम् तैयार किया। जिसमें वंदेमातरम् गीत तैयार करने वाले बंदियों के साथ जेल के अन्य बंदियों ने भी सहयोग प्रदान किया। जेलर एचसी भार्गव ने बताया कि जेल प्रशासन के साथ-साथ पूरे जिले के लिए यह उपलब्धि है। यह एक रचनात्मक कार्य है, जिसका अन्य बंदियों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और उन्हें प्रोत्साहन मिलेगा।
जिला जेल में बंद कैदियों की कारीगरी सिर्फ जेल तक ही सिमित नहीं है। बल्कि इसकी पहुंच राष्ट्रपति भवन तक है। प्रशिक्षक अजय मंडावी ने बताया कि 2010 से जिला जेल में काष्ठकला का प्रशिक्षण कैदियों को दे रहे हैं। उसी समय से ही कैदियों को वंदेमातरम गीत लकड़ी पर उकेरने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अब तक छोटे रूप में राष्ट्रगीत वंदेमातरम को उकेरा गया था। जिला जेल में तैयार वंदेमारतगीत को राष्ट्रपति भवन में भी जगह मिली है। साथ ही केन्द्र व राज्य के कई मंत्रियों व विधायकों को भी सौंपा गया है।
विशाल राष्ट्रगीत के प्रदर्शन के दौरान गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकाॅर्ड के नवल किशोर राठी भी मौजूद थे। जिन्होंने काष्ठकला की प्रशंसा की और अमेरिका के गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में इसे दर्ज कराने की बात कही। उन्होंने कहा कि गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान प्राप्त करने के लिए अलग-अलग वर्ग हैं। काष्ठ कला के माध्यम से तैयार किया गया वंदेमातरम अपने आप में यूनिक है। जिसके चलते पूरी उम्मीद है कि इसे रिकॉर्ड बुक में स्थान मिलेगा। इसकी निर्धारित प्रक्रिया है। प्रदर्शन के बाद इसके लिए सभी औपाचिकताओं को पूरा कर प्रपोजल भेजा जाएगा और रिकॉर्ड बुक में स्थान मिलने की प्रक्रिया में लगभग दो माह का समय लगेगा।