चंद्रकांत/बक्सर: मोहन (काल्पनिक नाम) का सपना था कि वह सरकारी अधिकारी बनकर समाज की सेवा करें, लेकिन नियति ने उनके जीवन की दिशा बदल दी. हत्या के प्रयास के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया. हालांकि, इस मुश्किल घड़ी में भी उन्होंने अपने सपनों को नहीं छोड़ा. जेल में रहते हुए उन्होंने स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू की है, ताकि रिहाई के बाद एक सम्मानजनक जीवन जी सकें. 

बेहतर जीवन की ओर बढ़ा सके कदम

मोहन जैसे कई बंदी हैं, जो जेल की सजा काटते हुए भी अपने भविष्य को संवारने के प्रयास कर रहे हैं. कारा एवं सुधार विभाग की पहल से अब जेल केवल दंड देने का स्थान नहीं रहा, बल्कि इसे सुधार गृह में बदलने की कोशिश की जा रही है. कैदियों को स्वरोजगार के प्रशिक्षण के साथ-साथ शैक्षणिक योग्यता बढ़ाने के अवसर भी दिए जा रहे हैं. दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से बंदी अपनी पढ़ाई जारी रखे हुए हैं, जिससे वे जेल से रिहा होने के बाद बेहतर जीवन की ओर कदम बढ़ा सके.

स्नातक व स्नातकोत्तर में लिया दाखिला

कारा प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय कारा में इस समय 2 कैदी स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं, जबकि 9 का स्नाकोत्तर में नामांकन है. 12 बंदी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. इनमें से कुछ लोक प्रशासन और मास कम्युनिकेशन जैसे विषयों का अध्ययन कर रहे हैं. इन विषयों की पढ़ाई के लिए ऑनलाइन क्लास की सुविधा भी दी गई है. इसके अलावा जेल में आने वाले हर व्यक्ति को साक्षर बनाने की पहल की जा रही है. जिन बंदियों ने खुद दूरस्थ शिक्षा संस्थानों में नामांकन लिया है, वे जेल में निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाने में भी योगदान दे रहे हैं. वर्तमान में जेल में करीब 400 निरक्षर बंदी हैं, जिन्हें पढ़ाने का कार्य वे बंदी कर रहे हैं, जो पहले से पढ़ाई कर रहे हैं.

बंदियों ने किया न्यूट्रिशन का कोर्स 

केंद्रीय कारा में कई कैदी न्यूट्रिशन का कोर्स भी कर चुके हैं. पिछले वर्ष भी 82 बंदियों ने इग्नू से ‘सर्टिफिकेट इन फूड एंड न्यूट्रिशन’ (CFN) कोर्स किया था, जबकि इस वर्ष नामांकन के लिए नए बंदियों को आमंत्रित किया गया है. इसके अलावा कक्षा 10वीं में 36 और 12वीं में 4 कैदियों ने पढ़ाई जारी रखी है. डिप्लोमा कोर्स के लिए भी कई बंदियों ने नामांकन लिया है.

बंदियों को मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश

जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल की देखरेख में कारा प्रशासन बंदियों को सुधारने और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चला रहा है. इनमें शैक्षणिक और रोजगार परक प्रशिक्षण दोनों शामिल हैं. इनका उद्देश्य यह है कि बंदी जेल से रिहा होने के बाद सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकें और पुनः अपराध की दुनिया में न लौटें. 

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