रायपुर। आगामी गणेशोत्सव के मद्देनजर रायपुर केंद्रीय जेल के कैदी भगवान गणेश की इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं बना रहे हैं। ये मूर्तियां मिट्टी से बनाई जा रही हैं, ताकि विसर्जन के बाद ये पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे। ये प्रतिमाएं जेल एम्पोरियम में प्रदर्शनी और बेहद किफायती दरों पर बिक्री के लिए रखी गई हैं।

बता दें कि इन प्रतिमाओं का निर्माण आजीवन कारावास की सजा काट रहे छह कैदियों भोजराम पिता बिसाहू, सुजीत पिता सुभाष, खेलन पिता पूरन, भेषन पिता हेमलाल, दीपक पिता कांता और हेमत पिता विष्णु ने किया है। जेल प्रशासन का मानना है कि इस तरह की गतिविधियाँ कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने, उनके भीतर छिपी कला को निखारने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम बनती हैं। इससे कैदियों को न केवल आत्मविश्वास मिलता है बल्कि उनका पुनर्वास भी सशक्त रूप से संभव हो पाता है।

आम जनता के लिए सुलभ कीमतें

कैदियों द्वारा बनाई गई इन प्रतिमाओं को बेहद किफायती दरों पर उपलब्ध कराया गया है। ₹51, ₹251 और ₹351 मूल्य श्रेणी में ये प्रतिमाएँ रायपुर जेल परिसर स्थित “जेल एम्पोरियम” में प्रदर्शनी और बिक्री के लिए रखी गई हैं। यहाँ आमजन इन प्रतिमाओं को खरीदकर कैदियों के प्रयासों की सराहना कर सकते हैं और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव की इस यात्रा का हिस्सा भी बन सकते हैं।

आस्था और पर्यावरण का संगम

प्लास्टर ऑफ पेरिस और रासायनिक रंगों से बनी प्रतिमाओं के विपरीत, कैदियों द्वारा निर्मित ये गणेश मूर्तियाँ मिट्टी से बनी हैं, जो विसर्जन के बाद पर्यावरण को कोई हानि नहीं पहुँचातीं। इस प्रकार, यह पहल आस्था और पर्यावरण संरक्षण दोनों का सुंदर संगम प्रस्तुत करती है।

इन मूर्तियों को जेल के बाहर एक स्टॉल पर बेचा जा रहा है। इनकी कीमत 51 रुपए से 351 रुपए तक है। लोग यहाँ से मूर्तियाँ खरीद रहे हैं, क्योंकि ये सस्ती होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए सुरक्षित भी हैं।

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