दिल्ली की बीजेपी सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की फीस में मनमानी पर नियंत्रण लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. दिल्ली सचिवालय में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) की अध्यक्षता में हुई आठवीं कैबिनेट बैठक में स्कूल फीस से संबंधित एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया. ‘दिल्ली स्कूल फीस (फीस निर्धारण पारदर्शिता नियमन) अध्यादेश 2025’ का लाभ वर्तमान शिक्षण सत्र के अभिभावकों को भी मिलेगा. सरकार ने बताया कि यह अध्यादेश राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद कानून का रूप लेगा और इसकी व्यवस्था 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी.
शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी स्कूल ने इस सत्र में निर्धारित मानकों से अधिक फीस वसूली है, तो उसे वह राशि वापस करनी होगी. स्कूल इसे भविष्य की फीस में समायोजित करने का विकल्प भी रख सकते हैं. सरकार ने अध्यादेश में ऐसे स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया है, जिसके तहत 1 से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. यदि स्कूल फिर भी नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो उनकी मान्यता रद्द की जा सकती है और आवश्यकता पड़ने पर सरकार स्कूल का टेकओवर भी कर सकती है. यह अध्यादेश दिल्ली के सभी 1677 निजी स्कूलों पर लागू होगा, और फीस निर्धारण के लिए स्कूलों में एक समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें अभिभावकों को भी शामिल किया जाएगा.
‘उपराज्यपाल को भेजेंगे मसौदा’
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने बताया कि आज कैबिनेट की मंजूरी के बाद अध्यादेश का प्रस्ताव और मसौदा दिल्ली के उपराज्यपाल को भेजा जाएगा. इसके बाद उपराज्यपाल इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजेंगे. राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने पर दिल्ली के निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण लगाने वाला अध्यादेश लागू हो जाएगा.
फीस पर अभिभावकों के बिना फैसला नहीं
चरण 1: स्कूल स्तर
एक ‘फीस रेगुलेशन समिति’ का गठन स्कूल स्तर पर किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता स्कूल प्रबंधन के चेयरपर्सन करेंगे और सचिव का पद स्कूल के प्रिंसिपल के पास होगा. इस समिति में तीन शिक्षक और पांच अभिभावक सदस्य शामिल होंगे, साथ ही शिक्षा निदेशक का एक प्रतिनिधि पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करेगा. समिति स्कूल की स्थिति, शैक्षणिक गतिविधियों, खेल के मैदान और अन्य सुविधाओं के आधार पर फीस वृद्धि के लिए प्रस्ताव तैयार करेगी.
चरण 2: जिला स्तर
यदि किसी व्यक्ति को स्कूल स्तर की समिति के निर्णय से असहमति है, तो वह जिला स्तर की ‘फीस अपील समिति’ में अपील कर सकता है. इस समिति के अध्यक्ष उप शिक्षा निदेशक होंगे, जो संबंधित जिले में कार्यरत हैं. समिति में एक अन्य अधिकारी, एक चार्टर्ड एकाउंटेंट, एक जिला लेखाकार अधिकारी और दो चयनित शिक्षक सदस्य शामिल होंगे. यह समिति अपने निर्णय को 30 से 45 दिनों के भीतर सुनाएगी.
चरण 3: राज्य स्तर
यदि जिला समिति के निर्णय से असंतोष बना रहता है, तो राज्य स्तर पर एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा. इस समिति की अध्यक्षता शिक्षा निदेशक करेंगे, जिन्हें मंत्रालय द्वारा नियुक्त किया जाएगा. समिति में कुल सात सदस्य होंगे, जिनमें एक शिक्षा विशेषज्ञ, एक चार्टर्ड एकाउंटेंट, लेखा नियंत्रक, निजी स्कूलों के विशेषज्ञ, एक अभिभावक प्रतिनिधि और शिक्षा निदेशालय के अतिरिक्त निदेशक शामिल होंगे.
इंटर्नशिप योजना को मंजूरी
दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने मंगलवार को ‘विकसित दिल्ली मुख्यमंत्री इंटर्नशिप योजना’ को स्वीकृति प्रदान की है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य स्नातक और परास्नातक स्तर के युवाओं को सरकारी कार्यप्रणाली से जोड़ना है. इसके माध्यम से भारत के प्रतिभाशाली युवाओं की ऊर्जा और नवाचार को नीति निर्माण में शामिल किया जाएगा, जिससे दिल्ली को एक स्मार्ट, स्वच्छ, संवेदनशील और समृद्ध महानगर बनाने में मदद मिलेगी. इस योजना के तहत, भारत के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत 150 मेधावी युवाओं को दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में 89 दिनों तक इंटर्नशिप करने का अवसर मिलेगा.
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