रायपुर। प्रदेश के अशासकीय विद्यालय अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं. इसके लिए पूर्व में विभिन्न मांगों से संबंधित समय-समय पर अनेक ज्ञापन विभागों को सौंपे जा चुके हैं, जिनका निराकरण आज तक नहीं हो पाया है. इसके चलते प्रदेश के अनेक (लगभग 1000 स्कूल) बंद हो चुके हैं, अनेकों स्कूल बंद होने के कगार पर हैं.

ये हैं मांगें-
1 . वर्ष 2020-2021 की आरटीई की प्रतिपूर्ति राशि अशासकीय विद्यालयों को अविलंभ प्रदान की जाए . कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों की प्रतिपूर्ति राशि भी आपकी घोषणा अनुसार प्रदाय की जानी है .

2. 16 महीने तक स्कूल बसों का संचालन बंद रहा. अप्रैल 2020 से जुलाई 2021 (16 महीने) प्रदेश की सभी स्कूल बसों का रोड टैक्स माफ किया जाए. बसों की पात्रता अवधि भी 12 वषों से 2 वर्ष आगे बढाया जाए.

3. नवीन मान्यता ,मान्यता नवीनीकरण पर स्कूल शिक्षा विभाग अड़ियल रवैया अपनाए हुए हैं . पूरे प्रदेश में मान्यता की प्रक्रिया 2 से 3 वर्ष विलंब से चल रही है . बार-बार स्कूलों को दफ्तरों के चक्कर लगवाए जा रहे हैं जो कि प्रदेश की स्कूली शिक्षा व्यवस्था के प्रतिकूल है . मान्यता नवीनीकरण के नियमों को दोबारा संशोधित किए जाने की आवश्यकता है .

3.लोक शिक्षण संचालनालय का पत्र क्रमांक 154 दिनांक 3.4.2021 को तुरंत प्रभाव से निरस्त कर निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत प्रवेशित विद्यार्थियों को स्कूल शिक्षा विभाग गणवेश एवं पुस्तके वास्तविक दर से उपलब्ध कराएं .यह प्राथमिक रूप से राज्य शासन/ स्कूल शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी है.

4. कोरोना संक्रमण के दौरान प्रदेश के सभी अशासकीय विद्यालयों का स्कूल शिक्षा विभाग ने निरीक्षण किया था . अलग-अलग जिलों में कमियां बता कर अशासकीय विद्यालयों को परेशान किया जा रहा है . कोई गंभीर आर्थिक अनियमितता अगर स्कूल में ना पाई जाए तो उन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई ना की जाए . कोरोना इस सदी की सबसे भयावह त्रासदी थी. इस बात को ध्यान में रखते हुए स्कूलों को इस दौरान प्रतिरक्षा प्रदान की जानी चाहिए .

उपरोक्त सभी मांग बारंबार निवेदन के बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग एवं परिवहन विभाग द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है. निवेदन है कि आगामी तीन दिवसों के भीतर समस्त मांगों को निराकृत किया जाए . प्रदेश संगठन मांगें पूरी ना होने की स्थिति में चरणबद्ध आन्दोलन करने को बाध्य होगा .