दिल्ली. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में डीएमके के महिला अधिकार सम्मेलन महिला आरक्षण को लेकर लोगों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने इस विधेयक को तत्काल लागू करने की मांग की. इतना ही नहीं प्रियंका गांधी ने अपने पिता के हत्या के वाक्ये का भी जिक्र किया.

प्रियंका गांधी ने कहा, आज से 32 साल पहले, अपनी ज़िंदगी की सबसे अंधियारी रात में मैंने तमिलनाडु की ज़मीन पर पहली बार पांव रखा था. मैं तब 19 साल की थी और आज जिस उम्र में हूं, तब मेरी मां उससे कुछ साल कम की थीं. जैसे ही हवाई जहाज का दरवाजा खुला, हम रात के अंधेरे में डूब गए, लेकिन मुझे डर नहीं लगा. क्योंकि सबसे भीषण जो हो सकता था, वह हो चुका था.

उन्होंने यह भी कहा कि मां सोनिया गांधी से कुछ ऐसा कहा, जिसे सुनकर वह काफी दुखी हुईं. उन्होंने बताया कि जब मैं अपने पिता के शरीर के हिस्से इकट्ठा कर रही थी, तो मुझे कोई डर नहीं था. मैं उस वक्त बिल्कुल अकेले थी. 

तमिलनाडु की महिलाओं से नाता

आगे प्रियंका गांधी ने आगे कहा, नीली साड़ियां पहने हुई स्त्रियों के झुंड ने हमें घेर लिया. जीवन के युद्ध में हमारी पराजय को रोक न पाने वाले देवताओं ने ही शायद उन्हें हमें दिलासा देने भेजा था. वे हवाई अड्डे पर काम करने वाली स्त्रियां थीं. उन्होंने मेरी मां को बाहों में भर लिया और उनके शोक में विलाप करने लगीं, जैसे वे सभी मेरी माएं हों, जैसे उन्होंने भी अपने जीवनसाथी को खो दिया हो. दर्द की साझेदारी के उन आंसुओं ने मेरे दिल को तमिलनाडु की स्त्रियों के साथ एक डोर में बांध दिया. इस रिश्ते को मैं कभी मिटा नहीं सकती.

आगे प्रियंका ने कहा, मैं स्त्री हूं. पीढ़ी दर पीढ़ी, हमें सिखाया गया कि अपनी शक्ति दूसरों को सौंप दो. विनम्रता से बात करो, बीच में से हटकर कोने में खड़ी हो जाओ, अपने स्वत्व को लेकर शर्मिंदा रहो. अपनी प्रति करुणा दिखाने से पहले दूसरों का ध्यान दो. आज, ‘सशक्तीकरण’ के बारे में बहुत चर्चा हो रही है, क्योंकि हर राजनीतिक दल को यह एहसास होने लगा है कि महिलाएं एक ऐसी अपराजेय सामूहिक शक्ति बन सकती हैं, जो हमारे देश के भविष्य को आकार देगी.

तत्काल लागू हो महिला आरक्षण

प्रियंका गांधी ने यह भी कहा कि वह, आज भी हमारी तरफ लालच की नजर से देखते हैं. वोटों का लालच, हमारी शक्ति पर कब्जा करने और उसका इस्तेमाल करके हमें ही नीचे रखने का लालच. मैं महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल लागू करने की मांग करती हूं. हम, भारत की महिलाओं के पास अब बर्बाद करने के लिए समय नहीं है. राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल होना हमारा अधिकार है. मैं मांग करती हूं कि दिन-ब-दिन हमारे खिलाफ होने वाले अन्याय के प्रति अपनी सहनशीलता का महिमामंडन हम बंद कर दें. मैं हर उस सामाजिक, धार्मिक या राजनीतिक व्यवस्था को ख़ारिज करने की मांग करती हूं, जो हमारे उत्पीड़न पर पनपती है और हमें उसके साथ समझौता करने के लिए मजबूर करती है.