दुर्ग। जीएसटी कानून के तहत करदाताओं और अधिवक्ताओं को जल्द ही एक नई न्यायिक राहत मिलने जा रही है. इसी उद्देश्य को लेकर शनिवार को टैक्स बार एसोसिएशन, दुर्ग की ओर से एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया गया था. छत्तीसगढ़ में अपनी तरह का इस पहले कार्यक्रम में विशेष रूप से ‘जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल’ (GSTAT) की बारीकियों पर मंथन किया गया.

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कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कर अधिवक्ता और राज्य अलंकरण से सम्मानित विवेक सारस्वत ने “The Appellate Journey: Mastering Second Appeals before the GSTAT” विषय पर उपस्थित चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और अधिवक्ताओं का मार्गदर्शन किया एवं जी एस टी ए टी पोर्टल के माध्यम से फाइलिंग की प्रक्रिया का भी समझाई.

ट्रिब्यूनल के गठन और कार्यप्रणाली पर फोकस

एडवोकेट विवेक सारस्वत ने कहा कि जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन कर व्यवस्था में एक ऐतिहासिक कदम है. उन्होंने बताया कि सरकार ने ट्रिब्यूनल के लिए कुछ सदस्यों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी है, लेकिन कुछ नियुक्तियां अभी प्रक्रिया में हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि जनवरी 2026 से ट्रिब्यूनल पूरी तरह से कार्य करना शुरू कर देगा. ऐसे में प्रोफेशनल्स का अभी से तैयार होना बेहद जरूरी है.

राज्य सदस्य की नियक्ति शेष

सेमिनार में ट्रिब्यूनल के ढांचे पर चर्चा करते हुए बताया गया कि GSTAT द्वारा राज्य पीठों के लिए सदस्यों की नियुक्ति कर दी गई है. छत्तीसगढ़ राज्य पीठ, रायपुर के लिए भी स्थिति स्पष्ट हो गई है. यहाँ न्यायिक सदस्य (Judicial Member) के रूप में प्रदीप कुमार व्यास और तकनीकी सदस्य (केंद्रीय) के पद पर सतीश कुमार अग्रवाल की नियुक्ति की गई है. हालांकि, तकनीकी सदस्य (राज्य) की नियुक्ति अभी शेष है.

अधिसूचना के अनुसार, नव-नियुक्त सदस्य आगामी 21 जनवरी 2026 को अपना पदभार ग्रहण करेंगे, जिसके साथ ही प्रदेश में जीएसटी विवादों के निपटारे के लिए एक नई और मजबूत व्यवस्था की शुरुआत हो जाएगी.

शंकाओं का हुआ समाधान

सेमिनार में बड़ी संख्या में कर सलाहकारों और वकीलों ने हिस्सा लिया. सत्र के दौरान एडवोकेट सारस्वत ने न सेकंड अपील की कानूनी पेचीदगियों को समझाया, बल्कि उपस्थित सदस्यों के मन में ट्रिब्यूनल की प्रक्रिया को लेकर उठ रहे सवालों का भी मौके पर ही समाधान किया. उन्होंने जोर दिया कि नए ट्रिब्यूनल में केस प्रस्तुत करते समय किन तकनीकी बिंदुओं का ध्यान रखना होगा.

करदाताओं को बड़ी राहत

एडवोकेट विवेक सारस्वत ने ट्रिब्यूनल को करदाताओं के लिए ‘किफायती और सुगम’ बताया. अब तक ट्रिब्यूनल न होने के कारण व्यापारियों को छोटे-मोटे विवादों के लिए भी सीधे हाईकोर्ट (Writ Petition) जाना पड़ता था. GSTAT के शुरू होने से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अपील दायर करने के लिए अनिवार्य ‘प्री- डिपॉजिट’ की राशि अब विवादित टैक्स का केवल 10% होगी (अधिकतम 20 करोड़ रुपये सीजीएसटी, 20 करोड़ एसजीएसटी, 40 करोड़ आईजीएसटी तक), जो पहले की तुलना में काफी कम है. यह ट्रिब्यूनल पूरी तरह से डिजिटल और पेपरलेस होगा, जिससे न केवल वकीलों और करदाताओं का समय बचेगा, बल्कि पुराने लंबित मामलों का निपटारा भी फास्ट ट्रैक मोड में हो सकेगा.

कार्यक्रम में टैक्स बार एसोसिएशन, दुर्ग के अध्यक्ष अखिलेश मिश्रा, सचिव प्रभांक ठाकुर, कोषाध्यक्ष धर्मेश शाह और वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश्वर राव, मिलाप चंद, राजेंद्र कोठरी सहित बड़ी संख्या में सदस्य मौजूद रहे.