कुमार इंदर, जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान भोपाल के डायरेक्टर से सवाल किया है कि प्रोफेसर्स और असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्ति प्रक्रिया के बीच में नियमों में कैसे बदलाव किया गया। जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने एम्स के डायरेक्टर को इस बाबत व्यक्तिगत हलफनामा पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसा नहीं करने पर डायरेक्टर को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होना पड़ेगा। मामले पर अगली सुनवाई 23 जून को नियत की गई है।
इस मामले में राकेश कुमार मिश्रा और अन्य ने याचिका दायर कर बताया था कि 91 प्राध्यापकों, अतिरिक्त प्राध्यापकों और सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एनएस रूपराह ने जानकारी दी कि विज्ञापन के अनुसार आकलन के 50 अंक निर्धारित किए गए थे। परिणाम आने के पहले इसे 35 अंक कर दिया गया। इसके अलावा अध्यापन और शोध अनुभव के निर्धारित 15 अंक भी हटा दिए गए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत का हवाला देते हुए दलील दी कि खेल शुरू हो जाने के बाद बीच में नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता।
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