शब्बीर अहमद,भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनावी साल में नाराज, वरिष्ठ और टिकट के दावदार नेताओं को एडजस्ट करने के लिए लगातार कवायदें की जा रही है. पिछले एक महीने में दर्जन भर से ज्यादा निगम मंडल, बोर्ड, आयोग और प्राधिकरण में नियुक्तियां की गई हैं, लेकिन बीजेपी सूत्रों का कहना है कि अब निगम मंडलों में नियुक्तियां नहीं होंगी यानी निगम मंडलों की नियुक्ति पर फिलहाल ब्रेक लग गया है.

हालांकि उन नेताओं के लिए एक अच्छी खबर है ये है कि जो लंबे समय से निगम मंडलों में नियुक्तियों के लिए लॉबिंग करने में जुटे हुए है. इन नेताओं को प्राधिकरण में जगह देने की तैयार की जा रही है. जिन नेताओं को प्राधिकरण में जगह मिलने है, उनमें अधिकतर नाम तैयार हो चुके. कुछ बचे है वो भी एक हफ्ते के अंदर फाइनल होने की उम्मीद है. बताया जा रहा है कि 20 मार्च के बाद फिर से राजनीतिक नियुक्तियां शुरू होंगी.

टिकट के दावदारों को खुश करने की रणनीति

मध्यप्रदेश में सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद सूबे की कई ऐसी विधानसभा सीटें है, जहां एक से ज्यादा टिकट के दावेदार है. ये बीजेपी के लिए चुनाव में मूसीबत बन सकती है. इस बात को ध्यान में रखते हुए बीजेपी इस रणनीति के तहत काम कर रही है कि जहां-जहां ज्यादा टिकट का घमासान है, वहां के एक नेता को लाभ का पद दिया जाए. जिससे उसे चुनाव से पहले खुश किया जा सके.

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इन नेताओं को मिली जिम्मेदारी

प्रदेश में करीब आधा दर्जन ऐसे नेता हैं, जो टिकट की दावेदारी कर रहे थे लेकिन उन्हें मंत्री का दर्जा देकर शांत किया गया. इन नेताओं की बात करें तो इंदौर एक नंबर विधानसभा से लंबे समय से दावेदारी गोलू शुक्ला कर रहे है, उनको इंदौर विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बना गया है. वहीं भांडेर विधानसभा से दावेदारी कर रहे धनश्याम पिरोनिया को बांस एवं बांस शिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष नियुक्त किया. पृथ्वीपुर से दावेदारी कर रहे नंदराम कुशवाह को पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम में उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

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नियुक्तियों में सिंधिया का दबदबा !

अब तक हुई राजनीतिक नियुक्तियों में सिंधिया खेमे का दबदबा साफ देखा जा सकता है. सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए सभी बड़े नेताओं को किसी ना किसी निगम मंडल, बोर्ड, आयोग या फिर प्राधिकरण में जिम्मेदारी दी गई है. भले ही वो कांग्रेस से बीजेपी में आकर उपचुनाव हारे हो.

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मध्यप्रदेश में यह है विकास प्राधिकरण

भोपाल, इंदौर, उज्जैन, देवास, जबलपुर, सिंगरौली, कटनी, अमरकंटक और रतलाम में विकास प्राधिकरण है, जबकि प्रदेश के पांच ऐसे शहर हैं, जहां पर स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी साडा है. ये शहर ग्वालियर, खजुराहो, ओरछा, महेश्वर, मंडलेश्वर है. अभी इसमें से सिर्फ भोपाल और इंदौर अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. बाकी जगह नियुक्ति को लेकर कवायद जारी है और नामों पर मंथन किया जा रहा है.

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