रायपुर- राज्य सरकार के आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विभाग में नियमों की खुलेआम धज्जियां उडा़ई जा रही है.यहां पर कार्यरत अधिकारी पदोन्नति की पात्रता रखने के बाद भी पदोन्नति आदेश जारी नहीं होने से खासे परेशान हैं,जबकि शासन द्वारा निधारित नियमों के तहत विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक के 20 दिनों की अवधि में पदोन्नति आदेश निकाला जाना अनिवार्य होता है. लेकिन विभाग के जिम्मेदार लोगों को नियमों की परवाह ही नहीं है.पदोन्नति की पात्रता रखने वाले अधिकारी पदोन्नति आदेश के इंतजार में निराश हो रहें हैं,लेकिन विभाग के मंत्री और सचिव को इनकी कोई परवाह नहीं है.

मिली जानकारी के मुताबिक आदिम जाति विकास विभाग में उपायुक्त पद से अपर आयुक्त के पद पर होने वाली पदोन्नति के लिये डीपीसी की बैठक मई माह में की जा चुकी है और नियमानुसार 20 दिनों के भीतर पदोन्नति आदेश निकाल दिया जाना चाहिये,लेकिन तीन महीने बाद भी आदेश नहीं निकलने से आक्रोश बढ़ता जा रहा है.हालात ये है कि पदोन्नत होने वाले दो अफसर सेवानिवृत्ति के कगार पर पहुंच गये हैं और इससे पहले भी कई अफसर डीपीसी के बावजूद पदोन्नति मिलने से पहले रिटायर्ड हो चुके हैं. बताया जा रहा है कि विभाग के कुछ दागी अफसरों को फायदा पहुंचाने के मकसद से पदोन्नति आदेश को लटकाया जा रहा है,जबकि इस कैडर के लिये पदोन्नति की प्रक्रिया करीब दस साल बाद पूरी हुई है.

विभाग की इस घोर लापरवाही से अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन भी नाराज है.फेडरेशन ने सीएम भूपेश बघेल को इस मामले में पत्र लिखकर पदोन्नति आदेश जारी कराने का आग्रह किया है. फेडरेशन के सदस्यों का कहना है कि वे इस मामले में न्यायालय की शरण लेने पर भी विचार कर रहें हैं. मिली जानकारी के मुताबिक सत्ता पक्ष के विधायक लालजीत सिंह राठिया ने इस मामले पर विधानसभा के मानसून सत्र में ध्यानाकर्षण की सूचना भी दे दी है.