मणिपुर के एक बेबस पति की पीड़ा-

वह द्वापर युग था, यह कलियुग है. वह महाभारत था, यह आज का भारत है. इज्जत वहां भी दागदार हुई, इज्जत यहां भी नीलाम हो गई. तमाशा वहां भी बना, दर्शक यहां भी हैं. तब दुशासन ने द्रौपदी को भरी सभा में बाल पकड़कर घसीटा था और आज द्रौपदी को दर्जनों दुशासनों ने सरेआम सबकी आंखों के सामने नग्न अवस्था में घसीटा है. जब उस सभा में द्रौपदी का अपमान हो रहा था तो भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य और विदुर जैसे महान व्यक्ति अपना कर्तव्य भूलकर मूकदर्शक बन गए थे और आज के शासक इतना कुछ होते हुए भी सिर्फ बातें बना रहे हैं.

सच कहें तो महाभारत और आज के भारत में असली अंतर यही है कि द्रौपदी के बुलाने पर श्रीकृष्ण तो आ गए, लेकिन मणिपुर की रोती-बिलखती, सम्मान की भीख मांगती बेटियों के लिए देवदूत बनकर कोई नहीं आया.

सुनो द्रौपदी! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे,
छोड़ो मेहंदी खड्ग संभालो, खुद ही अपना चीर बचा लो..
द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जाएंगे,
सुनो द्रौपदी! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे.

मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने और उनके साथ हैवानियत का वीडियो वायरल होने के बाद लोगों का खून खौलने लगा है. इस घटना की कड़ी निंदा की जा रही है और इसे सरकार की विफलता करार दिया गया है. वीडियो में दिख रही महिलाओं में से एक का पति सेना से सेवानिवृत्त है और कारगिल युद्ध का योद्धा रह चुका है.

एक हिंदी समाचार चैनल से बात करते हुए महिला के पति ने कहा, “मैंने इस देश की रक्षा की है लेकिन मैं अपनी पत्नी को अपमानित होने से नहीं बचा सका. मैंने कारगिल युद्ध में देश के लिए लड़ाई लड़ी और भारतीय शांति सेना के हिस्से के रूप में श्रीलंका में भी था लेकिन मुझे निराशा है कि मैं अपने घर, अपनी पत्नी और साथी ग्रामीणों की रक्षा नहीं कर सका.

‘आरोपी को सख्त सजा दी जाए’

उन्होंने कहा, “4 मई को आई भीड़ ने इलाके के कई घरों को जला दिया, दो महिलाओं को नग्न कर गांव के रास्तों पर लोगों के सामने घुमाया. पुलिस मौजूद थी लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. मैं उन सभी लोगों के लिए सख्त सजा चाहता हूं जिन्होंने घर जलाए और महिलाओं को अपमानित किया.”

महिला के पति ने बताया कि वीडियो सामने आने के एक दिन बाद गुरुवार (20 जुलाई) को मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया. अन्य दोषियों को भी जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाना चाहिए. वहीं, मणिपुर पुलिस ने एक ट्विटर पोस्ट में कहा, जांच जारी है.

160 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और कई घायल हुए हैं. यह हिंसा मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में शुरू हुई थी. मणिपुर की लगभग 53 प्रतिशत आबादी मेइतेई लोगों की है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं.

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